बांसवाड़ा. हमारे देश में जुगाड़ करने वालों की कमी नहीं है. जरूरत कैसी भी हो, यहां जुगाड़ निकाल ही लिया जाता है. बांसवाड़ा शहर में कच्ची घाणी में तिलहन की पेराई करने के काम में बैल के स्थान पर मोटरसाइकिल को घूमते देखकर लोग ठिठक जाते हैं. तिलहन से बनाए जाने वाले सर्दी के मेवे को शहर के लोग खूब पसंद करते हैं, लेकिन इसे बनाने के लिए पहली बार बाइक का इस्तेमाल लोगों के कौतूहल का विषय बना हुआ है.
शहर में इस प्रकार के तीन स्थानों पर जुगाड़ चल रहे हैं. इसमें मोटरसाइकिल बैल का काम कर रही है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि मोटरसाइकिल की जरूरत कहीं आने-जाने के लिए पड़ती है तो उसे जुगाड़ से बाहर निकाल कर अपना काम निपटाया जा सकता है. बैल के लिए चारे पानी की व्यवस्था के साथ उसकी देखभाल काफी मुश्किल भरा काम होता. वहीं, बैल के स्थान पर बाइक से ज्यादा काम भी लिया जा सकता है.
भीलवाड़ा जिले के लोहारिया गांव से आया एक परिवार बांसवाड़ा के शताब्दी मोड़, कुशलबाग और उदयपुर बाईपास पर मोटरसाइकिल के जरिए ना केवल तिलहन का तेल निकाला रहा है, बल्कि बड़े पैमाने पर कच्ची घाणी अर्थात कान्या (स्थानीय भाषा में तिलहन और गुड़ से बनाए जाने वाला खाद्य पदार्थ) निकाला जा रहा है.