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सीएम गहलोत भी नहीं खोल पाए बांसवाड़ा कांग्रेस नेताओं के बीच गुटबाजी की गांठ...खुलकर सामने आई धड़ेबाजी - बांसवाड़ा में सीएम अशोक गहलोत

सीएम अशोक गहलोत के मंगलवार को बांसवाड़ा दौरे में भी जिला कांग्रेस के नेताओं में गुटबाजी खुलकर देखने को मिली. इस सभा में जहां कई नेताओं ने कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी तो वहीं लोकसभा चुनाव में हार के बाद भी ऐसी स्थिति को लेकर सीएम गहलोत भी नाराज नजर आए.

सीएम गहलोत के दौरे में भी कांग्रेस नेताओं में दिखी गुटबाजी

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Published : Jun 25, 2019, 9:37 PM IST

बांसवाड़ा. लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वागड़ कांग्रेस नेताओं को एकजुट करने के मकसद से मंगलवार को वागड़ दौरे पर रहे, लेकिन उन्हें भी पार्टी के प्रमुख नेताओं के बीच गुटबाजी की गांठ खोलने में सफलता नहीं मिल पाई. उल्टा पार्टी की धड़ेबाजी और भी खुलकर सामने आ गई. खासकर बांसवाड़ा जिले में बागीदौरा विधायक पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय और बांसवाड़ा विधायक जनजाति मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया के बीच की दरार और भी बढ़ती हुई नजर आई.

सीएम गहलोत के दौरे में भी कांग्रेस नेताओं में दिखी गुटबाजी

डूंगरपुर के बाद मुख्यमंत्री गहलोत बागीदौरा विधानसभा क्षेत्र में आने वाले मडकोला पहुंचे. जहां मॉडल स्कूल बिल्डिंग के लोकार्पण के बाद जन सभा रखी गई थी. जनसभा के मंच से पार्टी नेताओं में व्याप्त धड़ाबंदी साफ दिखाई दी. मंच पर विधायक मालवीय के समर्थकों के अलावा कोई भी नेता नजर नहीं आया. यहां तक कि एक कुर्सी पर जनजाति मंत्री बामणिया का नाम अंकित था, लेकिन वे सभा से नदारद ही रहे. जबकि बामनिया बीते एक सप्ताह से बांसवाड़ा में ही है. पता चला है कि बामनिया मुख्यमंत्री के डूंगरपुर और प्रतापगढ़ के कार्यक्रम में शामिल हुए, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि वे अपने ही जिले में हुई मुख्यमंत्री की सभा से दूर नजर आए.

यहां तक कि कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय के तौर पर विधानसभा में पहुंचकर हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने वाली रमिला खड़िया ने भी सभा से दूरी बनाए रखी. जबकि कुशलगढ़ बागीदौरा विधानसभा क्षेत्र से सटा हुआ है. वहीं लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी रहे ताराचंद भगोरा की गैर मौजूदगी भी चर्चा का विषय रही.

मंच पर मालवीय समर्थक पार्टी जिलाध्यक्ष चांदमल जैन, प्रदेश सचिव जैनेंद्र त्रिवेदी के अलावा कोई बड़ा पदाधिकारी नहीं था. आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के बाद से ही बामनिया और मालवीय के बीच खींचतान चली आ रही है. जो धीरे-धीरे और भी बढ़ती जा रही है. पता चला है कि यह देख कर सीएम गहलोत भी नाराजगी जता गए. पार्टी नेताओं की आपसी खींचतान का खामियाजा शीघ्र ही फेरबदल के रूप में नजर आ सकता है.

इस बीच इस संबंध में जब पार्टी जिलाध्यक्ष जैन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वे दो दिन से सभा स्थल की तैयारियों में जुटे हुए हैं. उन्होंने खुद बामनिया से बातचीत कर जनसभा के लिए आमंत्रित किया था और उनके लिए कुर्सी भी आरक्षित रखी गई, लेकिन वे क्यों नहीं आए, इस बारे में वह कुछ नहीं कह सकते. बामनिया के निकट सूत्रों से पता चला है कि वे सुबह डूंगरपुर गए थे. बाद में प्रतापगढ़ के कार्यक्रमों में शामिल होते हुए जयपुर के लिए रवाना हो गए.

मालवीय बोले, अब मेरी कितनी परीक्षा होगी

कुछ माह पहले बागीदौरा विधानसभा क्षेत्र में ही सीएम की सभा के दौरान विधायक मालवीय ने मंत्री नहीं बनाने की पीड़ा 'यह मोर कितना ही नाचे, कोई देखने वाला नहीं' कहते हुए व्यक्त की थी. मंगलवार को इस सभा में भी मालवीय ने अप्रत्यक्ष रूप से गहलोत के समक्ष फिर से अपनी पीड़ा रखी. क्षेत्र के लोगों से ही क्षेत्र में व्यापक स्तर पर काम कराए जाने के बावजूद बीटीपी के लोकसभा चुनाव में पैर पसारने पर पूछा कि क्या हम आदिवासी नहीं है.

उन्होंने कहा कि आपके इस रवैए के कारण मुख्यमंत्री हमसे नाराज है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि एक ओर वसुंधरा राजे ने उन्हें फंसाने की पूरी कोशिश की और वे जेल जाते-जाते बचे. वहीं मालवीय ने सीएम की ओर नजरें करते हुए कहा कि आखिर आप मेरी कितनी परीक्षा लोगे. अब मैं थक गया हूं. उन्होंने कहा कि मैं पिछले 38 साल से कांग्रेस की सेवा कर रहा हूं. मालवीय की इस पीड़ा को लेकर भी तरह-तरह की चर्चाएं चलती रही.

भावुक हो गए विधायक मालवीय

विधायक मालवीय बाद में एक बार फिर मंच पर आए और गत दिनों भीलवाड़ा में उनकी तबीयत बिगड़ने और मुख्यमंत्री द्वारा उनके लिए विशेष प्लेन भेजकर उनकी जान बचाने की बात कहते हुए वे भावुक हो गए तथा इसके लिए सीएम का आभार भी जताया.

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