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अलवरः फर्जी दुष्कर्म मामले में फंसाने के आरोप में तत्कालीन थाना प्रभारी समेत 4 को 5 साल की सजा

अलवर जिले के सदर थाना अधिकारी ब्रजेश मीणा, महिला मनीषा खान, जाकिर और शमीम पर फर्जी दुष्कर्म का मामला दर्ज कर फसाने के नाम पर 6 लाख रुपये ऐंठने के मामले में सोमवार को एसीबी कोर्ट ने फैसला सुनाया है. इस फैसले के अनुसार आरोपियों को 25 हजार रुपये का जुर्माना और 5 साल की सजा सुनाई है.

अलवर की खबर, Sadar police station incharge Brijesh Meena

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Published : Sep 23, 2019, 10:44 PM IST

अलवर.जिले की भ्रष्टाचार निरोधक अदालत ने जबरन बलात्कार का झूंठा केस लगा कर रिश्वत की मांग करने के मामले में जिले के तत्कालीन सदर थाना प्रभारी बृजेश मीणा और एक महिला सहित चार लोगों के आरोप सिद्ध होने पर पांच साल के कारावास की सजा सुनाई है और 25 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है. वहीं, आरोप सिद्ध होने के बात से सभी चारों लोगों को जेल भेज दिया गया है.

अदालत के विशिष्ट लोक अभियोजक अशोक भारद्वाज ने बताया कि अलवर के मीणा पाड़ी निवासी ललित किशोर ने 4 सितंबर 2012 को एसीबी में एक परिवाद दिया था. जिसमें बताया गया कि उसके तीन मित्र असम से सूरज कुमार, हंसमुख, जगदीश और शिव नारायण पाठक उससे मिलने आए थे और एक युवती मनीषा खान ने उन पर दुष्कर्म का आरोप लगाया.

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इस मामले को रफा-दफा करने के लिए तत्कालीन थाना प्रभारी बृजेश मीणा ने जाकिर पुत्र सफेदा निवासी चादूकी, समीम पुत्र भाग मल निवासी गोवर्धन मथुरा और मनीषा खान पुत्री दुलीखान निवासी किशनगढ़ के माध्यम से रिश्वत की मांग की. इस मामले में बाद में बलात्कार का आरोप लगाने वाली युवती ने बलात्कार नहीं करने का राजीनामा किया. इससे ये आरोप सिद्ध हुआ कि तीनों लोगों को रिश्वत की खातिर जबरन फंसाया गया था. उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम न्यायालय के विशिष्ट न्यायाधीश गणेश कुमार गुप्ता ने बृजेश मीणा तत्कालीन थाना प्रभारी सदर जाकिर, समीम और मनीषा को दोषी मानते हुए अलग-अलग धाराओं में अधिकतम 5 साल की सजा सुनाई है इसके साथ ही उन्हें 25 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है.

साथ ही उन्होंने बताया कि सभी आरोपियों को धारा 7 के तहत 2 वर्ष की सजा ₹10000 जुर्माना, और 13(1)(d)13(2) के पीसी एक्ट के तहत 4 वर्ष की सजा ₹20000 जुर्माना, धारा 220 आईपीसी के तहत 5 वर्ष की सजा, ₹25000 जुर्माना और धारा 392 आईपीसी के तहत 5 वर्ष की सजा और ₹25000 का जुर्माना लगाया है .

वहीं, उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में इन सभी आरोपियों ने षड्यंत्र पूर्वक असम से आए तीन लोगों को बलात्कार के केस में फंसाया था और यह महिला बलात्कार होने का परिवाद लेकर सदर थाना गई थी. सदर थाना प्रभारी ने एसीबी में परिवाद देने वाले ललित किशोर से उस वक्त कहा कि जो तुम्हारे दोस्त रुपए लेकर आए हैं वह दे दो.

इसके बाद ₹10 लाख 3 हजार नगद दिए गए और जाकिर ने ढाई लाख रुपए अपने साथी के एसबीआई बैंक खाते में डलवाए. इसके अलावा इनसे चार हस्ताक्षरित खाली चेक लिए जिनमें एक चेक ₹30 लाख 5 हजार को तैयब के खाते में प्राप्त किए गए. इन प्राप्त राशियों को एसएचओ बृजेश मीणा और अन्य लोगों ने बांट लिए.

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उन्होंने बताया कि तत्कालीन थाना प्रभारी बृजेश कुमार मीणा के विरुद्ध सक्षम अधिकारी महानिदेशक पुलिस राजस्थान से अभियोजन की स्वीकृति प्राप्त कर ली है. सह आरोपी जाकिर, समीम और मनीषा तीनों व्यक्ति लोक सेवक नहीं है. इसलिए इनके खिलाफ अभियोजन सीधा चलाया गया. तत्कालीन थाना प्रभारी ब्रजेश मीणा जमानत पर चल रहे थे.

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