अलवर.जिले की भ्रष्टाचार निरोधक अदालत ने जबरन बलात्कार का झूंठा केस लगा कर रिश्वत की मांग करने के मामले में जिले के तत्कालीन सदर थाना प्रभारी बृजेश मीणा और एक महिला सहित चार लोगों के आरोप सिद्ध होने पर पांच साल के कारावास की सजा सुनाई है और 25 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है. वहीं, आरोप सिद्ध होने के बात से सभी चारों लोगों को जेल भेज दिया गया है.
अदालत के विशिष्ट लोक अभियोजक अशोक भारद्वाज ने बताया कि अलवर के मीणा पाड़ी निवासी ललित किशोर ने 4 सितंबर 2012 को एसीबी में एक परिवाद दिया था. जिसमें बताया गया कि उसके तीन मित्र असम से सूरज कुमार, हंसमुख, जगदीश और शिव नारायण पाठक उससे मिलने आए थे और एक युवती मनीषा खान ने उन पर दुष्कर्म का आरोप लगाया.
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इस मामले को रफा-दफा करने के लिए तत्कालीन थाना प्रभारी बृजेश मीणा ने जाकिर पुत्र सफेदा निवासी चादूकी, समीम पुत्र भाग मल निवासी गोवर्धन मथुरा और मनीषा खान पुत्री दुलीखान निवासी किशनगढ़ के माध्यम से रिश्वत की मांग की. इस मामले में बाद में बलात्कार का आरोप लगाने वाली युवती ने बलात्कार नहीं करने का राजीनामा किया. इससे ये आरोप सिद्ध हुआ कि तीनों लोगों को रिश्वत की खातिर जबरन फंसाया गया था. उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम न्यायालय के विशिष्ट न्यायाधीश गणेश कुमार गुप्ता ने बृजेश मीणा तत्कालीन थाना प्रभारी सदर जाकिर, समीम और मनीषा को दोषी मानते हुए अलग-अलग धाराओं में अधिकतम 5 साल की सजा सुनाई है इसके साथ ही उन्हें 25 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है.