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जयपुर के बाद अलवर से मिलता है सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स, हर साल करीब 8 हजार करोड़ होता है कलेक्शन - जीएसटी विभाग

राजस्थान में जीएसटी के 18 संभाग बनाए गए (Government gets tax from Alwar) हैं. इन सभी संभागों से केंद्र और राज्य सरकार को जीएसटी, सेस से साल 2022-23 में अब तक करीब 53 हजार 343 करोड़ से ज्यादा का राजस्व मिला. इसमें अलवर और भिवाड़ी संभाग का योगदान 7 हजार करोड़ से ज्यादा का रहा.

Government gets tax from Alwar
Government gets tax from Alwar

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Published : Mar 4, 2023, 9:57 PM IST

अलवर. प्रदेश में जयपुर के बाद सबसे ज्यादा टैक्स अलवर से केंद्र और राज्य सरकार को मिलता है. बीते दिनों सरकार ने जीएसटी विभाग में भिवाड़ी, जोधपुर और जयपुर समेत कुछ नए संभाग बनाए. इसका व्यापारियों को फायदा मिला है. वहीं, टैक्स में भी बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में दिल्ली-मुंबई-एक्सप्रेसवे भी अलवर के लिए वरदान साबित हो रहा है. अलवर के औद्योगिक क्षेत्रों की डिमांड बढ़ रही है. नए कारोबारी अलवर में निवेश कर रहे हैं.

जीएसटी विभाग के अनुसार, प्रदेश में जीएसटी के 18 संभाग बनाए गए हैं. इन सभी संभागों से केंद्र और राज्य सरकार को जीएसटी, सेस से साल 2022-23 में अब तक करीब 53 हजार 343 करोड़ से ज्यादा का राजस्व मिला. इसमें अलवर और भिवाड़ी संभाग का योगदान 7 हजार करोड़ से ज्यादा का रहा. जीएसटी का केवल जयपुर संभाग ही ऐसा है, जो कि अलवर और भिवाड़ी से ज्यादा राजस्व सरकार को देता है. पहले अलवर जिला एक ही संभाग था, इसमें भिवाड़ी और दौसा जिला शामिल था.

सरकार को यहां से मिलाता है सबसे ज्यादा टैक्स

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बीते साल भिवाड़ी को जीएसटी का अलग संभाग का दर्जा दिया गया. भिवाड़ी प्रदेश का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है. जीएसटी विभाग के अनुसार, अकेले भिवाड़ी संभाग से साल 2022-23 में अब तक केंद्र सरकार को 3421 करोड़ आइजीएसटी, 739 करोड़ सीजीएसटी मिल चुका है. राज्य सरकार को 1202 करोड़ एसजीएसटी और 511 करोड़ रुपए सेस के रूप में मिल चुके हैं. भिवाड़ी संभाग से केंद्र और राज्य के खाते में 5874 करोड़ से ज्यादा राशि जमा हो चुकी है. हालांकि, भिवाड़ी के अलग होने के बाद अलवर संभाग में राजस्व के स्रोत सीमित रह गए, फिर भी अलवर संभाग ने केद्र को 555 करोड़ आइजीएसटी, 291 करोड़ सीजीएसटी दिया है. वहीं, राज्य को 438 करोड़ एसजीएसटी और 39 करोड़ से ज्यादा सेस दिया है यानी 1325 करोड़ रुपए केद्र और राज्य की तिजोरी में दिए हैं.

हर साल करीब 8 हजार करोड़ होता है कलेक्शन

एक्सप्रेस वे से मिल रहा फायदा: अलवर को दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे से बड़ा फायदा मिल रहा है. अलवर जिले के बीच से होकर एक्सप्रेस वे गुजरता है. ऐसे में अलवर के एमआईए के अलावा आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों की डिमांड बढ़ गई है. देशभर के कारोबारी अलवर में निवेश कर रहे हैं, क्योंकि एक्सप्रेस वे की मदद से कच्चा माल और तैयार माल एक जगह से दूसरी जगह आसानी से पहुंच सकता है.

सरकार को इन जिलों से मिलता है टैक्स

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