अलवर. पानी की कमी को देखते हुए अब जिले के किसान आधुनिक खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. यहां नींबू, बेर, आंवले और खीरे सहित कई अन्य फसलों की खेती की जा रही है. जिससे किसानों को कम जगह में बेहतर पैदावार से अधिक फायदा हो रहा है. साथ ही इसमें नुकसान की संभावना भी कम रहती है. इसके अलावा सरकार की तरफ से भी आधुनिक खेती में किसान को कई तरह की छूट दी जा रही है.
दरअसल, मौसम व महंगाई की मार के चलते जिले के किसान सरसों व बाजरे की पारंपरिक खेती को छोड़कर बेर, नींबू, खीरा, पपीता और आंवला की खेती कर रहे हैं. वहीं, किसानों को बगीचा लगाने के लिए सरकार की तरफ से 70 प्रतिशत तक छूट दी जा रही है. सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2022-2023 में 103 हेक्टेयर का लक्ष्य दिया गया है. अभी तक जिले में लगभग 68 हेक्टेयर भूमि में किसान नींबू, आंवला, बेर और खीरे की खेती कर चुके हैं. इनकी खेती एक साल मे दो बार होती है. दो बार जुलाई से अगस्त और फरवरी से मार्च के बीच फलदार पौधे लगाए जाते हैं. विशेषज्ञों की मानें तो फरवरी और मार्च के बीच बगीचे अधिक कारगर साबित होते हैं. इन दोनों महीने का मौसम पौधे के लिए अच्छे माने जाते हैं. जबकि जुलाई और अगस्त माह में थोड़ी परेशानी होती है. जिसका मुख्य कारण अगस्त में गर्मी अधिक होती है.
इसे भी पढ़ें - अलवर मंडी में हो रही प्याज की बंपर आवक, रात भर लाइन में लगे रहते हैं सैकड़ों वाहन