अजमेर. जिले में चौहान वंश के राजा अर्णोराज ने खूबसूरत आनासागर झील का निर्माण करवाया था. चारों ओर पहाड़ियों के बीच बनी झील की सुंदरता सदियों से लोगों को आकर्षित करती आ रही है. सदियों से प्रवासी और देशी पक्षियों के लिए यह झील पसंदीदा स्थान रहा है. इसकी वजह ये है कि झील में पक्षी को अनुकूल वातावरण मिलता रहा है. खासकर शीत ऋतु में दर्जनों प्रजाति के सुंदर पक्षियों से झील गुलजार रहती है. मगर पहली बार ऐसा हो रहा है कि जब प्रवासी ही नहीं (Birds not seen in Anasagar lake) देसी पक्षियों ने भी अपनी पसंदीदा झील से मुंह फेर लिया है, या यूं कहें कि पक्षियों ने अब झील को गुड बाय कह दिया है. इसके पीछे क्या वजह है देखिए खास रिपोर्ट...
अजमेर में ऐतिहासिक आनासागर झील की सुंदरता को बढ़ाने और पर्यटन को बढ़ावा देने की आड़ में प्रशासन ने झील का दायरा ही नहीं समेटा, बल्कि पर्यावरण संतुलन को भी बिगाड़ दिया. यही वजह है कि सदियों से सात समंदर पार कर आने वाले विभिन्न प्रजातियों के हजारों पक्षियों ने आनासागर झील से नाता तोड़ लिया (Birds not seen in Anasagar lake) है. इसका कारण है कि अब प्रवासी और देशी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के लिए झील सुकूनदायक और सुरक्षित नहीं रही है.
जबकि स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत झील के कुछ हिस्से को मिनी बर्ड सेंचुरी के रूप में विकसित किया गया है. उसके बावजूद पक्षियों को झील नहीं लुभा रही है. इस बार हालात यह हैं कि झील में प्रवासी और देसी पक्षियों की अठखेलियां देखने को नहीं मिल रहीं हैं. जबकि वर्षभर में 100 से अधिक प्रजातियों के पक्षी झील में नजर आते रहे हैं.
शीत ऋतु में प्रवासी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां के सुंदर और आकर्षक पक्षियों से झील आबाद रहती थी. इस बार शरद ऋतु में प्रवासी पक्षियों की बहुत कम प्रजाति झील में देखने को मिल रही हैं. उनकी भी संख्या काफी कम है. शीत ऋतु में 60 से ज्यादा विभिन्न प्रजातियों के हजारों पक्षी रहते थे, मगर आज पक्षी प्रेमियों की आंखें उनकी विभिन्न प्रजातियों को देखने के लिए तरस रही हैं. प्रवासी और देसी पक्षियों के नहीं आने से लोगों में काफी निराशा है.
ईटीवी भारत ने आनासागर झील से पक्षियों के मुंह फेरने के बारे में (reason for birds not coming anasagar lake) पक्षी विशेषज्ञ डॉ आबिद अली खान से बातचीत की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. डॉ खान ने तो आगामी वर्षों में प्रवासी और देसी पक्षियों के झील से हमेशा के लिए रुखसत होने की भी आशंका जताई है. यह पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों के लिए काफी चिंता का विषय बन गया है. झील में पक्षियों के लिए नकारात्मक माहौल तैयार करने वाला कोई और नहीं, खुद अजमेर प्रशासन है.
बातचीत में पक्षीविद डॉ. आबिद अली खान बताते हैं कि वह कई वर्षों से झील में आने वाले पक्षियों की निगरानी करने के साथ गणना भी करते आये हैं. डॉ. खान ने बताया कि वर्तमान में झील में महज 18 प्रजाति के पक्षी हैं जिनकी संख्या भी काफी कम है. इनमें ग्रेटर वाइट पेलिकन 5, नॉर्दन शोवलर 8, मलार्ड डक 1, वाइट हेडेड गल 110, ब्लैक हेडेड गल 25, पलास गल 4, रफ 27, कॉमन सैंडपाइपर 8, वाइट वेग टेल, पाइड किंगफिशर 3 प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां हैं. वहीं हेरोनस, फिटिलट, कारमोरेंट्स की 3 अलग-अलग प्रजाति, बैंक मेंना और ई गरेट्स 3 प्रकार की देशी प्रजाति झील में मौजूद हैं.