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प्रवासी और देसी पक्षियों ने आनासागर झील से फेरा मुंह...वजह कई हैं...

प्रवासी पक्षियों ने इस बार आनासागर झील से किनारा कर लिया है. आनासागर झील (Birds turn away from Anasagar lake ) पहले विभिन्न प्रकार के देशी और विदेशी पक्षियों से गुलजार रहते थे, लेकिन इस बार इनकी संख्या बेहद कम हो गई है. पक्षी प्रेमियों का कहना है कि झील का माहौल अनुकूल न होने से पक्षी यहां कम आ रहे हैं. पक्षियों के झील से मुंह फेरने के कई कारण हैं. पढ़ें पूरी खबर

Birds not seen in Anasagar lake
Birds not seen in Anasagar lake

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Published : Dec 8, 2022, 8:32 PM IST

अजमेर. जिले में चौहान वंश के राजा अर्णोराज ने खूबसूरत आनासागर झील का निर्माण करवाया था. चारों ओर पहाड़ियों के बीच बनी झील की सुंदरता सदियों से लोगों को आकर्षित करती आ रही है. सदियों से प्रवासी और देशी पक्षियों के लिए यह झील पसंदीदा स्थान रहा है. इसकी वजह ये है कि झील में पक्षी को अनुकूल वातावरण मिलता रहा है. खासकर शीत ऋतु में दर्जनों प्रजाति के सुंदर पक्षियों से झील गुलजार रहती है. मगर पहली बार ऐसा हो रहा है कि जब प्रवासी ही नहीं (Birds not seen in Anasagar lake) देसी पक्षियों ने भी अपनी पसंदीदा झील से मुंह फेर लिया है, या यूं कहें कि पक्षियों ने अब झील को गुड बाय कह दिया है. इसके पीछे क्या वजह है देखिए खास रिपोर्ट...

अजमेर में ऐतिहासिक आनासागर झील की सुंदरता को बढ़ाने और पर्यटन को बढ़ावा देने की आड़ में प्रशासन ने झील का दायरा ही नहीं समेटा, बल्कि पर्यावरण संतुलन को भी बिगाड़ दिया. यही वजह है कि सदियों से सात समंदर पार कर आने वाले विभिन्न प्रजातियों के हजारों पक्षियों ने आनासागर झील से नाता तोड़ लिया (Birds not seen in Anasagar lake) है. इसका कारण है कि अब प्रवासी और देशी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के लिए झील सुकूनदायक और सुरक्षित नहीं रही है.

आनासागर झील नहीं आ रहे पक्षी

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जबकि स्मार्ट सिटी परियोजना के अंतर्गत झील के कुछ हिस्से को मिनी बर्ड सेंचुरी के रूप में विकसित किया गया है. उसके बावजूद पक्षियों को झील नहीं लुभा रही है. इस बार हालात यह हैं कि झील में प्रवासी और देसी पक्षियों की अठखेलियां देखने को नहीं मिल रहीं हैं. जबकि वर्षभर में 100 से अधिक प्रजातियों के पक्षी झील में नजर आते रहे हैं.

शीत ऋतु में प्रवासी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां के सुंदर और आकर्षक पक्षियों से झील आबाद रहती थी. इस बार शरद ऋतु में प्रवासी पक्षियों की बहुत कम प्रजाति झील में देखने को मिल रही हैं. उनकी भी संख्या काफी कम है. शीत ऋतु में 60 से ज्यादा विभिन्न प्रजातियों के हजारों पक्षी रहते थे, मगर आज पक्षी प्रेमियों की आंखें उनकी विभिन्न प्रजातियों को देखने के लिए तरस रही हैं. प्रवासी और देसी पक्षियों के नहीं आने से लोगों में काफी निराशा है.

आनासागर झील नहीं आ रहे पक्षी

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ईटीवी भारत ने आनासागर झील से पक्षियों के मुंह फेरने के बारे में (reason for birds not coming anasagar lake) पक्षी विशेषज्ञ डॉ आबिद अली खान से बातचीत की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. डॉ खान ने तो आगामी वर्षों में प्रवासी और देसी पक्षियों के झील से हमेशा के लिए रुखसत होने की भी आशंका जताई है. यह पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों के लिए काफी चिंता का विषय बन गया है. झील में पक्षियों के लिए नकारात्मक माहौल तैयार करने वाला कोई और नहीं, खुद अजमेर प्रशासन है.

बातचीत में पक्षीविद डॉ. आबिद अली खान बताते हैं कि वह कई वर्षों से झील में आने वाले पक्षियों की निगरानी करने के साथ गणना भी करते आये हैं. डॉ. खान ने बताया कि वर्तमान में झील में महज 18 प्रजाति के पक्षी हैं जिनकी संख्या भी काफी कम है. इनमें ग्रेटर वाइट पेलिकन 5, नॉर्दन शोवलर 8, मलार्ड डक 1, वाइट हेडेड गल 110, ब्लैक हेडेड गल 25, पलास गल 4, रफ 27, कॉमन सैंडपाइपर 8, वाइट वेग टेल, पाइड किंगफिशर 3 प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां हैं. वहीं हेरोनस, फिटिलट, कारमोरेंट्स की 3 अलग-अलग प्रजाति, बैंक मेंना और ई गरेट्स 3 प्रकार की देशी प्रजाति झील में मौजूद हैं.

पक्षियों के रूठने का यह कारण:

वेट लैंड की कमी: आना सागर झील में ढाई सौ बीघा के लगभग वेटलैंड क्षेत्र है. इसका दायरा काफी कम हो चुका है. वेटलैंड प्रवासी और देसी पक्षियों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. झील में मछलियां आने के बाद पक्षियों को बैठने के लिए अनुकूल वातावरण की आवश्यकता रहती है. वहीं कई पक्षी ऐसे होते हैं जो खड़े रहकर शिकार करते हैं. ऐसे पक्षियों के लिए वेटलैंड होना आवश्यक है. अजमेर स्मार्ट सिटी की ओर से झील के कुछ हिस्से को वेटलैंड के रूप में विकसित किया गया लेकिन यह पक्षियों को नहीं लुभा रहा है. इसका कारण है कि झील में प्राकृतिक रूप से घास और झाड़ नहीं रहे.

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पाथवे ने छीना सुकून और सुरक्षा: झील में आने वाले पक्षियों में कई ऐसे पक्षी हैं जो काफी संवेदनशील है. उन्हें अपने प्रवास के दौरान बाहरी दखल बिल्कुल पसंद नहीं आता है. अजमेरी स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से आनासागर झील के चारों और पाथवे का निर्माण किया गया है. इस कारण पाथवे पर हमेशा लोगों की आवाजाही रहती है. पाथवे पर लाइटनिंग भी की गई है जो पक्षियों के सुकून से रहने के वातावरण को नकारात्मक बनाती है.

झील में मोटर बोट बनी पक्षियों के लिए बेरी: कुछ वर्षों पहले तक आनासागर झील काफी शांति थी. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जेल में मोटर बोट को अनुमति दी गई. मोटर बोट के साथ-साथ हाई स्पीड बोट का संचालन भी झील में होने लगा. हालात ये हैं कि झील में बोट चलाने के लिए निश्चित स्थान निर्धारित किया गया है, मगर रुपयों के लालच में बोट संचालक वेटलैंड तक बोट चलाने लगे हैं. बोट की तेज आवाज से पक्षी खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं. यही वजह है कि हर वर्ष आने वाले पेंटेड स्ट्रोक (जांगिल) पक्षी इस बार एक भी नहीं आया.

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मछलियां पकड़ने वाले भी पक्षियों की हद में आ घुसे
आनासागर झील में मछलियों का ठेका मत्स्य विभाग की ओर से दिया जाता है. ठेकेदार के लोग मछलियां पकड़ने के चक्कर में वेटलैंड तक अपना दायरा बढ़ा लेते हैं. इस कारण पक्षी अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं.

...तो कहना पड़ेगा गुड बाय
पक्षीविद डॉ. आबिद अली खान ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि विकास, हाट औऱ सौंदर्यकरण के नाम पर पक्षियों के लिए अनुकूल वातावरण को जिम्मेदारों ने खत्म कर दिया है. झील में पक्षी खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं. केंद्र और राज्य सरकारों ने ध्यान नहीं दिया तो आनासागर झील से प्रवासी विदेशी पक्षियों को हमेशा के लिए गुड बाय कहना पड़ेगा. डॉ. खान ने बताया कि पक्षियों का झील से मुंह फेर लेना काफी चिंताजनक है.

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