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हर महिला को बॉडीबिल्डर होना चाहिए, तब ही वे अत्याचार के खिलाफ लड़ पाएंगी: बॉडीबिल्डर प्रिया सिंह

बॉडीबिल्डर प्रिया सिंह ने अजमेर में आयोजित एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि हर महिला को बॉडीबिल्डर होना चाहिए, तब ही वे अत्याचार के खिलाफ लड़ पाएंगी.

Bodybuilder Priya Singh
बॉडीबिल्डर प्रिया सिंह

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 3, 2024, 9:24 PM IST

Updated : Jan 3, 2024, 10:03 PM IST

बॉडीबिल्डर प्रिया सिंह ने महिलाओं को दिए फिटनेस टिप्स

अजमेर.माली समाज की ओर से सावित्रीबाई ज्योतिबा फुले जन्म जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करने देश की पहली महिला बॉडीबिल्डर प्रिया सिंह पहुंची. इस दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि हर महिला को बॉडीबिल्डर होना चाहिए, तब ही दिमाग का खुलापन आएगा और तब ही एक महिला अत्याचार के खिलाफ लड़ पाएगी.

बातचीत में प्रिया सिंह ने बताया कि एक महिला होने के नाते महिला बॉडीबिल्डर बनने का सफर तय करना उनके लिए आसान नहीं था. उन्होंने बताया कि उनका बाल विवाह हुआ था. इसलिए जल्द संतान भी हुई. पांचवी तक पढ़ी लिखी होने के कारण कोई रोजगार भी उन्हें नहीं मिल रहा था. लिहाजा मेहनत मजदूरी करके गुजरा किया. लेकिन मन में इन विकट परिस्थितियों से निकलने की तीव्र इच्छा थी.

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तब किसी ने बताया कि फिटनेस इंडस्ट्री में बात बन सकती है. उस दौर में महिला फिटनेस ट्रेनर नहीं हुआ करती थी. जिम में 100 जने आते थे, तो उनमें 15 से 20 महिलाएं ही हुआ करती थीं. फिटनेस को लेकर महिलाओं में जागरूकता की काफी कमी थी. मुझे कुछ करना था और ये फील्ड मुझे पसंद आया. बस यही सोचते हुए मेहनत की और पहले जिम ट्रेनर बनी. इस दौरान जब एक वर्कशॉप के लिए बाहर गई, तो राजस्थान की कोई लड़की नहीं देख, निराशा हुई. इस पर जब मैंने प्रश्न किया तो जवाब मिला कि राजस्थान पुरुष प्रधान राज्य है. यहां महिलाएं घूंघट में रहती हैं.

यदि कोई महिला छोटे कपड़े पहनती है, तो उसकी लेग पुलिंग की जाती है. पहली बार जब मैंने बॉडीबिल्डिंग का कार्यक्रम देखा, तो वहां प्रतिभागियों की मसल्स पर बात की जा रही थी. प्रतियोगिता के दौरान प्रतियोगी सुंदरता बिल्कुल खत्म हो जाती है, वह केवल एक खिलाड़ी होती है. उन्होंने कहा कि पुरुष में टेस्टोस्टेरोन ज्यादा होता है. महिलाओं में फैट ज्यादा होता है. इस कारण महिलाओं का बॉडी बनाना काफी कठिन होता है.

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पहले खुद में बदलाव लाना जरूरी: उन्होंने कहा कि कोई भी गेम और क्षेत्र छोटा-बड़ा नहीं होता. हौसले बुलंद और नियत नेक हो, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको हरा नहीं सकती. यदि सिर्फ सोच इतनी सी हो कि मैं महिला हूं तो फिर आगे बढ़ाना मुमकिन नहीं है. आपकी मानसिक स्थिति और सोच पर निर्भर है कि आप किस हद तक जा सकते हैं. जब तक मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक आप घर और बाहर कुछ बदलाव नहीं कर सकते.

बॉडीबिल्डिंग है कठिन गेम:प्रिया सिंह ने कहा कि बॉडीबिल्डिंग अन्य खेलों की तुलना में काफी कठिन खेल है. उन्होंने बताया कि जब तैयारी पर आते हैं, तो अन्न छोड़ दिया जाता है. प्रतियोगिता में एक महीना बचता है तब केवल उबली चीजें ही खा पाते हैं और प्रतियोगिता के आखिरी 15 दिन नमक छोड़ देते हैं. इसके बाद जब प्रतियोगिता के 30 घंटे पहले पानी छोड़ देना पड़ता है. यह काफी कठिन गेम है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि महिला अत्याचार के जितने भी मामले होते हैं, वह इसलिए होते हैं कि महिलाएं अपने आप को कमजोरी समझती हैं.

लड़के डरते हैं मुझसे: उन्होंने कहा कि आज मैं कहीं भी निकलती हूं, तो लड़के मुझसे डरते हैं. मैं किसी भी एंगल से आपको देखने पर क्या मर्द लगती हूं, लेकिन ताकत मर्दों से भी ज्यादा है. एक बार में ही किसी मर्द को पछाड़ सकती हूं. उन्होंने कहा कि महिलाओं को फील्ड में आना चाहिए. हर महिला को बॉडीबिल्डर होना चाहिए, तब ही दिमाग का खुलापन आएगा और तब ही एक महिला अत्याचार के खिलाफ लड़ पाएगी. बॉडीबिल्डर प्रिया सिंह ने कहा कि आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां महिला नहीं हो. देश में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है. मैं महिलाओं से कहूंगी कि बॉडीबिल्डर बनाकर दिखा दीजिए, 77 प्रतिशत पर भी महिलाएं राज करेंगी. महिलाएं घर को तो सवार ही रही हैं, वह देश को भी जल्द सवारेंगी.

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बॉडी को फिट रखने के लिए दिए टिप्स: प्रिया सिंह ने कहा कि 24 घंटे में से अपने शरीर को एक घंटा अवश्य दीजिए. वह एक घंटा आपका पूरा जीवन बदल देगा. बाहर के जंक फूड खाना बंद कर दीजिए. उन्होंने कहा कि अक्सर शादी के बाद महिलाओं का वजन बढ़ जाता है और इस कारण उन्हें शुगर, पीसीओडी जैसे रोग लग जाते हैं. ऐसे में बीमारी को पकड़ कर महिलाएं दवाइयां के पीछे दौड़ती हैं. ऐसे में महिलाओं को अपनी फिटनेस की ओर ध्यान देना चाहिए. योगा, जुम्बा जैसी शारीरिक एक्टिविटी करनी चाहिए. शरीर फिट रहेगा, तो बीमारियां नहीं लगेगी.

मजबूरी बहुत कुछ सिखा देती है: उन्होंने कहा कि परिजन राजी होते, तो मुझे मजदूरी करने की जरूरत नहीं पड़ती. मैं भी यहां एक आम महिला की तरह सिर पर घूंघट ओढ़ कर किसी कोने में बैठी होती. उन्होंने कहा कि मां के पेट से कोई सीख कर नहीं आता. मजबूरियां बहुत कुछ इंसान को सिखा देती है. मजबूरी ऐसी चीज है कि एक महिला को कहां से कहां लाकर बिठा देती है.

बालिका खिलाड़ियों को दिए प्रशस्ति पत्र और पुरस्कार: सावित्रीबाई ज्योतिबा फुले जन्म जयंती के अवसर पर माली समाज की महिला मंडल की ओर से आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली समाज की बालिका खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया. प्रिया सिंह की ओर से उन्हें प्रशस्ति पत्र और पुरस्कृत किया गया.

Last Updated : Jan 3, 2024, 10:03 PM IST

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