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नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास, अजमेर की पॉस्को एक्ट कोर्ट ने सुनाई सजा

अजमेर की पॉस्को एक्ट कोर्ट ने 13 वर्षीय नाबालिग किशोरी के अपहरण और दुष्कर्म के मामले में दोषी को आजीवन कारावास (अंतिम सांस तक जेल) की सजा सुनाई है. इसके अलावा कोर्ट ने 58 हजार रुपए का आर्थिक जुर्माना भी लगाया है.

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नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास

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Published : Jun 3, 2023, 3:52 PM IST

नाबालिग से दुष्कर्म के दोषी को आजीवन कारावास

अजमेर. 13 वर्षीय नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ रेप के मामले में अजमेर की पॉक्सो एक्ट की कोर्ट संख्या-1 ने आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट के मुताबिक शेष प्राकृतिक जीवन जीने तक दोषी को जेल में रहना होगा. साथ ही 58 हजार रुपए का जुर्माना भी आरोपी पर लगाया है. यह प्रकरण 3 वर्ष पुराना केकड़ी थाना क्षेत्र का है.

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अप्रैल 2020 में हुई थी वारदातः विशिष्ट लोक अभियोजक रूपेंद्र परिहार ने बताया कि 27 अप्रैल 2020 को केकड़ी थाने में पीड़िता के पिता ने रिपोर्ट देकर बताया कि वह किसान है और खेती बाड़ी का काम करता है. रात को साढ़े तीन बजे करीब जब उसकी पत्नी उठी तो वह नाबालिग बच्ची को घर में नहीं पाकर परेशान हो गई. बच्ची को आसपास क्षेत्र में तलाश किया लेकिन वह नहीं मिली. पीड़िता के पिता ने अपने ससुर को बच्चे के लापता होने की सूचना दी. ससुर जब अपने दामाद के खेत पर आ रहे थे तब सड़क पर बदहवास और लहूलुहान हालत में बच्ची मिली. पीड़िता ने बताया कि एक व्यक्ति रात को सोते समय उठाकर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया. पीड़िता को इलाज के लिए केकड़ी अस्पताल में ले जाया गया. पिता की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर केकड़ी पुलिस ने फरार आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

कोर्ट में पेश किए गए 50 दस्तावेज और 19 गवाहः परिहार ने बताया कि केकड़ी पुलिस ने केकड़ी के 28 वर्षीय जयपुर रोड निवासी सांवरलाल माली को गिरफ्तार किया था. रात में अंधेरे के कारण पीड़ित आरोपी को पहचान नहीं पाई. डीएनए और मेडिकल रिपोर्ट में पीड़िता के साथ रेप होने की पुष्टि हुई. उन्होंने बताया कि ब्रिटेन में 50 दस्तावेज और 19 गवाह पेश किए गए हैं. विशिष्ट लोक अभियोजक रुपिंदर परिहार ने बताया कि जज बीएल जाट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी ने घृणित कृत्य किया है. आरोपी के प्रति किसी भी तरह की नरमी का रुख नहीं अपनाया जा सकता है. आरोपी ने गंभीर प्रकृति का अपराध किया है. इसके लिए उसे अलग-अलग धाराओं में सजा सुनाते हुए आजीवन कारावास (प्राकृतिक जीवन जीने तक) और 58 हजार के अर्थदंड से दंडित किया.

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