सीकर.देश की 2 प्रमुख राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही पार्टियां एक दूसरे की धुर-विरोधी हैं. देश में कई राजनीतिक दलों के गठबंधन होते हैं और साथ में चुनाव भी लड़ते हैं. कुछ राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर गठबंधन करते हैं तो कुछ राजनीतिक दल कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन करते हैं, लेकिन देशभर में ऐसा शायद ही कहीं देखने को मिले जहां पर भाजपा और कांग्रेस का आपस का गठबंधन हो जाता है. यह अनूठा उदाहरण हर बार पंचायत चुनाव के वक्त सीकर जिले की धोद पंचायत समिति में देखने को मिलता है और पिछले 25 साल से यही चल रहा है.
जानकारी के मुताबिक सीकर जिले की धोद पंचायत समिति और धोद विधानसभा क्षेत्र में माकपा का दबदबा रहता है और यहां पर माकपा ने लगातार चार बार विधायक की कुर्सी पर भी कब्जा किया था. इसके साथ-साथ पंचायत समिति में हमेशा ही माकपा दोनों राजनीतिक दलों से आगे रही है और इसी वजह से माकपा को हराने के लिए दोनों राजनीतिक दल साथ हो जाते हैं.
जब पंचायत समिति सदस्य के चुनाव होते हैं तो कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने ही चुनाव लड़ते हैं और माकपा भी इनके सामने चुनाव लड़ती है. लेकिन जब पंचायत समिति सदस्य के चुनाव संपन्न हो जाते हैं और प्रधान का चुनाव होता है, उस वक्त माकपा के खिलाफ वोट डालने के लिए और अपना प्रधान बनाने के लिए भाजपा और कांग्रेस के पंचायत समिति सदस्य एक साथ ही वोट देते हैं. ये सिलसिला 25 साल से चल रहा है और माकपा दोनों दलों को कड़ी टक्कर देती है.
पंचायत समिति सदस्य को निर्दलीय बनाते हैं प्रधान का उम्मीदवार...
धोद पंचायत समिति में प्रधान के चुनाव में 1995 से लेकर अब तक हर बार कांग्रेस और भाजपा के पंचायत समिति सदस्यों ने एक साथ वोट किया है. हर बार पार्टी के किसी जीते हुए सदस्य को निर्दलीय प्रधान का चुनाव लड़ाया है. इसके बाद निर्दलीय प्रधान उम्मीदवार को कांग्रेस को भाजपा के जीते हुए सदस्यों ने एक साथ मतदान किया है. यही वजह है कि आज तक धोद पंचायत समिति में कांग्रेस और भाजपा का प्रधान नहीं बना है. इन्होंने निर्दलीय प्रधान बनाए हैं, जबकि माकपा का दो बार प्रधान बना है.