राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की वीसी से पहले कलेक्टर ने ली मैराथन बैठक

नागौर में गुरुवार को जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने जिले भर के चिकित्सकों और निजी अस्पतालों के चिकित्सकों की मैराथन बैठक ली. बता दें कि शुक्रवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समस्त जिला कलेक्टर से फ्लैग शिप योजनाओं की समीक्षा करेंगे, इसकी तैयारी के तहत ये बैठक की गई.

नागौर न्यूज, nagore news
टीबी रोगियों के लिए एक्शन प्लान

By

Published : Feb 13, 2020, 11:43 PM IST

नागौर.प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार को समस्त जिला कलेक्टर से वीसी के जरिए सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं की करेंगे. इस के तहत जिला कलेक्ट्रेट सभागार कक्ष में जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव की अध्यक्षता में कई मैराथन बैठकों का आयोजन किया गया, जिनमें आईटी सेंटर में जिले के सभी उपखंड अधिकारियों से फ्लैगशिप योजनाओं की समीक्षा की गई.

टीबी रोगियों के लिए एक्शन प्लान

साथ ही चिकित्सा महकमे से जुड़े सभी चिकित्सक और निजी अस्पतालों के चिकित्सकों की बैठक आयोजित करके नागौर जिले में टीबी रोग की समाप्ति को लेकर जिला प्रशासन आने वाले वक्त में अभियान की शुरुआत करेगा.

पढ़ें-16 सीसी और 17 CC का नोटिस के सवाल पर बोले धारीवाल- इसी के तहत होगी कार्रवाई, फांसी नहीं लगेगी

जिला कलेक्टर दिनेश कुमार यादव ने बताया कि सभी चिकित्सकों को टीबी रोगियों की सूचना पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही राज्य सरकार की मंशा है कि 2022 तक टीबी के रोग को पूरी तरीके से नष्ट किया जाए, इसको लेकर कार्य योजना तैयार की जानी है.

साथ ही उन्होंने कहा कि नागौर जिले के सभी चिकित्सक टीबी रोगियों की पूरी सूचना पोर्टल पर अपलोड करें ताकि सरकार के पास टीबी रोगियों का सही आंकड़ा पहुंच जाए. जिला कलेक्टर ने बताया कि सरकार की मंशा है कि टीबी रोगियों को सरकार की ओर से बेहतर चिकित्सा सुविधा सहित अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा सके.

पढ़ेंःसुमेरपुर : करीब 12 लाख का डोडा पोस्त जब्त, कार चालक मौके से फरार

सरकार द्वारा मरीजों को अप्रैल 2018 से प्रति माह 500 रुपये पोषण भत्ता देना अनिवार्य किया है. पहले मरीज निजी अस्पतालों में उपचार कराते थे और उनका रिकॉर्ड चिकित्सा विभाग के पास नहीं पहुंच पाता था, लेकिन पोषण भत्ता शुरू होने के बाद मरीजों का झुकाव सरकारी अस्पतालों की ओर बढ़ा है.

नागौर जिले में खनन मजदूरों की संख्या ज्यादा है, जिसके चलते टीबी का खतरा ज्यादा है. जिला मुख्यालय पर करीब 60 लाख रुपये की आधुनिक सेबिनेट मशीन स्थापित की गई है, जिससे मरीजों को कफ की हाथों-हाथ जांच की जाती है. जांच के बाद यह पता चल पाता है कि मरीजों को किस कैटेगरी की टीबी है और कौन सा इलाज शुरू करना है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details