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मुकुंदरा पर बोले वन्यजीव प्रेमी- पूरे सिस्टम की हो समीक्षा, पुख्ता किया जाए निगरानी तंत्र

मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में 11 दिन के अंदर दो बाघों की मौत हुई है, इससे वन्यजीव प्रेमी दुखी हैं. साथ ही अधिकारियों पर भी नाराजगी जता रहे हैं. बाघ एमटी-3 और बाघिन एमटी-2 की मौत के बाद अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में वन्यजीव प्रेमियों का कहना है कि हाड़ौती में बाघों के पुनर्वास का संघर्ष 28 साल का रहा है. इसके लिए एक भी बाघ का जाना बहुत गंभीर विषय है.

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मुकुंदरा पर वन्यजीव प्रेमियों की राय

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Published : Aug 4, 2020, 11:04 PM IST

कोटा.मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (Mukundara Hills Tiger Reserve) में पर्यटन शुरू होने के पहले ही यहां पर शिफ्ट किए गए दो बाघों की मौत 11 दिन के अंदर हुई है. इसको लेकर वन्यजीव प्रेमियों में काफी निराशा छाई हुई है. साथ ही अधिकारियों पर भी नाराजगी जता रहे हैं.

मुकुंदरा पर वन्यजीव प्रेमियों की राय

वन्यजीव प्रेमियों की माने तो हाड़ौती में बाघों के पुनर्वास का संघर्ष करीब 28 साल का रहा है. इसके लिए एक भी बाघ का जाना बहुत गंभीर है. मौत के 48 घंटे बाद तक बाघिन एमटी-2 के बारे में सुराग न लगना समूचे निगरानी तंत्र की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है. लोगों की शिकायत है कि जानकारी और सूचना छुपाया जाता है, जिसकी संबंध सीधे तैनात अधिकारियों की कार्यप्रणाली से है. इसमें पर्याप्त सुधार की आवश्यकता है.

निष्पक्ष जांच के बाद दोषी अधिकारियों पर हो कार्रवाई

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हालांकि इस मामले में राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए जयपुर से हेड ऑफ फॉरेस्ट जीबी रेड्डी और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर को कोटा भेजा था. उनके सामने ही पोस्टमार्टम हुआ है. साथ ही 4 अगस्त को कार्रवाई करते हुए मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के सीसीएफ आनंद मोहन और डीसीएफ टी मोहनराज को प्रारंभिक रूप से लापरवाही मानते हुए एपीओ कर दिया है.

राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से चौपट हुई मुकंदरा की सुरक्षा व्यवस्था

निष्पक्ष जांच के बाद दोषी अधिकारियों पर हो कार्रवाई

मुकुंदरा की लोकल एडवाइजरी कमेटी के सदस्य और वन्य जीव प्रेमी तपेश्वर सिंह भाटी का कहना है कि जो शावक लापता है, उसके लिए फॉरेस्ट सर्च ऑपरेशन चला रहा है. लेकिन उसका पता नहीं चल पाया है. मृत टाइग्रेस के रेडियो कॉलर लगा हुआ था. उसकी लगातार रिपोर्ट डीएफओ के पास आती थी. टाइगर रिजर्व में ही गार्ड तैनात हैं, जो रेगुलर उसके मॉनिटरिंग कर रहे हैं. ई-सर्विलांस सिस्टम वहां पर लगा हुआ है, इतनी सुविधाएं होने के बाद भी 48 घंटे तक उस बाघिन का शव पड़ा रहा. फॉरेस्ट डिपार्टमेंट चैन की नींद सोता रहा. बड़ी लापरवाही है, इसकी एक निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. जो भी दोषी अधिकारी या कर्मचारी हैं, उनके खिलाफ खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.

कहीं बीमारी से तो नहीं मर रहे: डॉ. गुप्ता

वन्यजीव प्रेमी डॉ. सुधीर गुप्ता का कहना है कि एमएचटीआर में सबसे बड़ा रोड ब्लॉक आज नजर आ रहा है. एक टाइगर के बाद टाइग्रेस की मौत अब हो गई है. जब यहां कुल संख्या 6 थी, जिसमें दो शावक हैं. ये निराश करने वाला है. इनकी मृत्यु किस वजह से हुई है, उसके बारे में किसी भी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगा. आपसी संघर्ष में टाइगर ने टाइग्रेस को मार दिया, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण होगा. हमें कारणों की तह तक जाना होगा. तब ये ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है कि दो टाइगर की मौत कुछ ही दिनों में हुई है, यह चीज दोहरा रही है. पैटर्न किसी इन्फेक्शन को इंडिकेट करता है.

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बीते दिनों गिर (गुजरात) के नेशनल पार्क के अंदर केनाइन डिस्टेंपर बीमारी से शेरों की मौत हुई है. शावक अभी बीमार है, उसे लगातार मिर्गी के दौरे आ रहे हैं. साथ ही उसे कोई बाहरी चोट नजर नहीं आ रही है. यह इंडिकेशन करता है कि किसी तरह का इन्फेक्शन से है. यह बीमारी दिमाग और पेट पर अटैक करती है. उसके व्यवहार में सुस्ती ला देती है. वहीं डॉ. गुप्ता ने कहा कि अधिकारियों की यह सबसे बड़ी चूक है. हर 12 घंटे में बाघ की पोजीशन और 6 घंटे में रिपोर्ट देनी होती है, लेकिन जिस कंडीशन में बाघिन का शव मिला है. उसके शरीर को कीड़ों ने खाया हुआ था और बॉडी फूल गई थी.

मॉनिटरिंग की कमी, आगे ऐसा नहीं हो

मुकुंदरा की लोकल एडवाइजरी कमेटी के सदस्य और वन्यजीव प्रेमी एएच जैदी का कहना है कि कोटा पूरा शहर और हाड़ौती 10 साल से यहां पर पर्यटन शुरू होने का इंतजार कर रहा है, दोनों सरकारों ने पहल की है. पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने इसे पूरा तैयार करवाया है. वर्तमान की कांग्रेस सरकार ने उसमें टाइगर छोड़े हैं. आरटीआर, सरिस्का के बाद तीसरा देश का बड़ा टाइगर रिजर्व बनने वाला है, लेकिन अचानक इस तरह से दो बाघों की मौत हो जाना वन्यजीव प्रेमियों को बड़ा शौक लगा है. विभाग को भी झटका लगा है. साथ ही आला अधिकारी भी पूरी तरह हिल गए हैं, लेकिन मॉनिटरिंग की सबसे बड़ी कमी रही है. सबको चाहिए था कि वहां जाकर देखें, जब रेडियो कॉलर के सिग्नल एक ही जगह का बता रहे थे. ऐसा नहीं किया गया, इसका पूरा ध्यान आगे से रखा जाना चाहिए, गलती नहीं होनी चाहिए.

राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से चौपट हुई मुकंदरा की सुरक्षा व्यवस्था

बाघ मित्र संयोजक बृजेश विजयवर्गीय का कहना है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति का भी अभाव के चलते मुकुंदरा की सुरक्षा व्यवस्था चौपट है. विजयवर्गीय ने अधिकारियों पर सूचना छिपाने का भी आरोप लगाया है. उसमें आपसी संघर्ष की बात नगण्य है. वहीं उनका कहना है कि कोई भी बाघ शावकों की मां को इस तरह से नहीं मार सकता. पूरे रहस्य से पर्दा उठना चाहिए और रेडियो कॉलर सिस्टम की भी समीक्षा की मांग की है. साथ ही मुकुंदरा में विचरण कर रहे आवारा जानवरों को भी बाहर करने की मांग की है.

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