कोटा.हाड़ौती संभाग में खरीफ की फसल के लिए बुवाई का समय जल्द ही शुरू होने वाला है. किसान बीज की बुवाई की तैयारियों में जुटा हुआ है. हाड़ौती संभाग में इस बार भी सोयाबीन के बीज के लिए किसान को परेशान होना पड़ रहा है. सरकारी बीज उत्पादक संस्थाओं के पास सोयाबीन का बीज नाम मात्र का भी नहीं है. सरकारी संस्थाएं केवल बीज उत्पादक संस्थाओं को भी मांग की कुछ प्रतिशत बीज ही उपलब्ध करा रही है. हाड़ौती संभाग में साढ़े 7 लाख हेक्टेयर से ज्यादा एरिया में सोयाबीन की बुवाई का लक्ष्य कृषि विभाग को मिला है. इसके लिए 7 लाख क्विंटल से ज्यादा बीज की आवश्यकता होगी, लेकिन इतना उपलब्ध ही नहीं है.
किसान इस बार महज कुछ प्रतिशत ही प्रमाणित बीज का उपयोग कर पाएंगे. हर साल बीज करीब 1 लाख (soybean Seed scarcity in Kota) क्विंटल के आसपास मार्केट में आता था. जिससे कि मार्केट में दाम निजी कंपनियों के कंट्रोल में रहते थे. हालांकि इस बार ऐसा नहीं है. बीते साल भी सरकारी कंपनियों का बीज नाम मात्र ही बाजार में पहुंचा था. किसान अधिकारियों से मिलकर बीज दिलाने की गुहार लगा रहे हैं. इधर, कृषि विभाग के अधिकारियों ने दावा किया है कि बीज की कोई कमी नहीं रहने वाली है.
बीज उत्पादक प्रोग्राम के लिए भी बीज पर्याप्त नहीं
बीज उत्पादक सरकारी संस्था आरएसएससी के पास अगले साल के लिए बीज प्रोडक्शन के लिए किसानों को देने के लिए पूरा बीज उपलब्ध नहीं है. आरएसएससी के रीजनल मैनेजर पीसी बुनकर का कहना है कि बीज उत्पादकों से सोयाबीन नहीं मिल पाई है. इस कारण किसानों को प्रमाणित बीज उपलब्ध नहीं करा पाएंगे. हमें इस साल 4468 हेक्टेयर का सीड प्रोडक्शन का प्रोग्राम चलाना है, जिसके लिए 3363 क्विंटल सोयाबीन चाहिए.
हाड़ौती के लिए 1800 क्विंटल का वितरण कर दिया गया है. करीब 300 - 300 क्विंटल कोटा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी और अन्य इकाइयों से मिलना संभावित है. उन्होंने कहा कि एक भी किसान को उन्होंने बीज नहीं दिया है. नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन के एरिया मैनेजर मुकेश कुमार वर्मा के अनुसार उनके पास 11,000 क्विंटल सोयाबीन का बीज था, जिसमें से 5000 को बांट चुके हैं. जबकि 6000 क्विंटल उनके पास हैं. इसी तरह से तिलम संघ के जनरल मैनेजर सुनील अग्रवाल का कहना है कि उनके पास 3100 क्विंटल सोयाबीन का बीज था. वहीं आरएसएससी के पास 2200 क्विंटल बीज ही था.
दो साल में दोगुना हुआ दाम, प्रमाणिक बीज भी 15 फीसदी
किसानों के सामने बीज के दाम भी समस्या बन गई है. बीते 2 सालों में सोयाबीन के बीज का दाम दोगुना हो गया है. वर्ष 2020 में बीज के दाम 50 से 60 रुपए किलो के आसपास थे. बीते साल इसमें करीब 40 रुपए की वृद्धि हुई थी. इस साल भी 4 से 5 रुपए की बढ़त हुई है. हालांकि मार्च-अप्रैल में मंडी के दाम में 10 से 20 रुपए किलो की गिरावट के कारण बीज के दाम ज्यादा नहीं बढ़े हैं. किसानों को 7 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज की आवश्यकता है, उसकी जगह बाजार में महज 1 लाख क्विंटल ही उपलब्ध हैं. ऐसे में साफ है कि किसान 15 फ़ीसदी ही प्रमाणित बीज का उपयोग कर पाएंगे.
नई किस्म के बीजों के ज्यादा दाम
भामाशाह कृषि उपज मंडी के सामने के बीज व्यापारी अनूप जैन का कहना है कि बाजार में बीज के दाम 95 से लेकर 180 रुपए किलो तक है. नई किस्म के दाम ज्यादा हैं, जबकि पुरानी के कम हैं. अलग-अलग कंपनियों के बीज के दाम में भी काफी ज्यादा अंतर है. वैरायटी 20-34 बीज का दाम 9800 क्विंटल है. इसी तरह 2001 बीज का दाम 11000 से लेकर 18000 क्विंटल तक है. बीते साल से इनमें 200 से 300 रुपए क्विंटल का इजाफा हुआ है. व्यापारी अनूप का कहना है कि सरकारी बीज कंपनियों राजस्थान सीड्स, एनएससी और तिलम संघ का माल उपलब्ध नहीं है.
अनुदानित बीज भी किसानों को मिलना मुश्किल
छोटी कृषि जोत वाले किसानों को सरकार अनुदान पर बीज उपलब्ध करवाती है. लेकिन इस बार तीनों सरकारी बीज कंपनियों के पास बीज की उपलब्धता नहीं होने के कारण किसानों को अनुदान पर बीज देने की संभावना कम है. किसानों को करीब 40 फीसदी से ज्यादा अनुदान पर बीज मिलता है, जिससे उन्हें दाम में राहत मिलती है. तिलम संघ के महाप्रबंधक सुनील अग्रवाल के अनुसार इस बार बीज के दाम 100 रुपए किलो के आसपास हैं. लेकिन किसानों को 60 रुपए किलो के आसपास अनुदान का बीज मिल जाता है.