कोटा. जेईई-मेंस के परिणाम आने के बाद परीक्षा से 25 दिन पूर्व पार्थ को गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया था, तब से लगातार इलाज चल रहा है और वर्तमान में भी दिल्ली के एक हॉस्पिटल में वह इलाज करवा रहा है. बीमारी के चलते माता-पिता व चिकित्सकों के मना करने के बावजूद जोखिम लेते हुए असहनीय दर्द सहन करते हुए पार्थ ने जेईई एडवांस्ड की परीक्षा दी. पार्थ के पिता विनीत द्विवेदी रेलवे में अधिकारी हैं और दिल्ली में पोस्टेड हैं. वहीं मां नीति द्विवेदी उत्तर प्रदेश पुलिस में एडिशनल एसपी हैं.
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राजस्थान के भरतपुर निवासी पार्थ ने जेईई एडवांस्ड में 35वीं रैंक प्राप्त की है. पार्थ के इस जज्बे को देखते हुए उनके कोचिंग निदेशक का कहना है कि कोटा कैरियर तो बनाता ही है. साथ ही उन्हें संघर्ष करते हुए आगे बढ़ना भी सीखाता है. पार्थ इसी का उदाहरण है. पार्थ पिछले दो साल से कोटा में रहकर जेईई एडवांस्ड की कोचिंग ले रहा था. जेईई मेन्स में 100 पर्सेन्टाइल एनटीए स्कोर कर राजस्थान टॉप किया था. पार्थ ने जेईई-एडवांस्ड देने की तैयारी की थी, लेकिन परीक्षा से 25 दिन पूर्व बुखार आया और दवा से भी कोई असर नहीं हुआ.
इसके बाद 8 सितंबर को असहनीय सिर दर्द के बाद माता-पिता के साथ उपचार के लिए दिल्ली आ गया. यहां जांच में सामने आया कि उसे मेनिंगो एनसेफेलिटिस बीमारी ने जकड़ लिया है. यह एक दुर्लभ वायरल इंफेक्शन है, जिसमें मस्तिष्क की नसों में सूजन आ जाती है. 12 सितंबर को उसे आईसीयू में एडमिट किया गया. पार्थ ने इस दौरान भी किताबों का साथ नहीं छोड़ा. आईसीयू में रहने के दौरान कोचिंग का ऑनलाइन टेस्ट भी दिया.
दर्द के बीच 6 घंटे बैठकर दी परीक्षा
पार्थ ने बताया कि उपचार के दौरान उसे काफी तकलीफ सहनी पड़ी. टेस्ट के लिए डॉक्टर स्पाइन में से फ्ल्युइड लेते थे, इसलिए दर्द बहुत होता था और पूरे दिन लेटे रहना पड़ता था. बाद में आईसीयू से प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट किया गया. मेरी मेहनत इस बीमारी से नहीं हार सकती थी, इसलिए मैंने परीक्षा देने का निर्णय लिया. मम्मी-पापा ने काफी मना किया, लेकिन मेरा हौसला देखकर उन्होंने भी साथ दिया. हॉस्पिटल प्रबंधन ने भी सहयोग किया और परीक्षा में जाने की अनुमति दी. मैं 27 सितंबर को जेईई एडवांस्ड देने गया. दोनों पारियों में छह घंटे तक बैठना संभव नहीं था, लेकिन खुद से कमिटमेंट किया हुआ था कि आईआईटी क्रेक करनी है, इसलिए असहनीय दर्द के बीच भी पेपर सॉल्व करता गया. पेपर थोड़ा टफ था, लेकिन कोचिंग के प्रैक्टिस टेस्ट के मुकाबले आसान था. इसलिए ज्यादा परेशानी नहीं हुई.
कमजोर टॉपिक्स को मजबूत बनाया
पार्थ ने बताया कि मैंने कमजोर टॉपिक्स को बार-बार रिवाइज कर उन्हें मजबूत बनाया. पहले ऑर्गेनिक कैमेस्ट्री से घबराता था, लेकिन टीचर्स के सपोर्ट से सब्जेक्ट पर अच्छी कमांड हो गई. स्टडी मैटेरियल से काफी सपोर्ट मिला. इससे पूर्व पार्थ केवीपीवाय में ऑल इंडिया 6 रैंक, जेईई मेन 2020 में 100 पर्सेन्टाइल स्कोर कर राजस्थान टॉप कर चुका है. एनटीएसई स्कॉलर होने के साथ ही ओसीएससी के लिए भी चयनित हो चुका है. पार्थ ने एनएसईपी, एनएसईए और आरएमओ क्वालिफाइड भी किया है. 10वीं कक्षा 97.4 व 12वीं कक्षा 97.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हैं.