कोटा.शहर की सड़कों पर कचरा बीनने वाले लोग अब शहरी सरकार के सहायक बनकर काम कर रहे हैं. कोटा नगर निगम दक्षिण ने एक अनूठी पहल की है, जिसके तहत कचरा बीनने वालों को रोजगार भी मिल रहा है और आय भी हो रही है. दरअसल, नगर निगम कोटा दक्षिण ने कचरा संग्रहण के बाद उसमें से मटेरियल रिकवरी का काम शुरू किया है. जिसके लिए कचरा बीनने वालों को काम पर रखा गया है. इस कार्य के लिए कचरा बीनने वालों को ट्रेनिंग दी जा रही है. देखें ये खास रिपोर्ट...
कोटा नगर निगम दक्षिण ने अनूठी पहल करते हुए कचरे से मटेरियल रिकवरी का काम शुरू किया है... तीन आर का फार्मूला...
नगर निगम दक्षिण के दो कचरा ट्रांसपोर्ट स्टेशन संचालित हैं. जिनमें थेगड़ा और दूसरा विश्वकर्मा सर्किल है. यहां कचरे को अलग-अलग रखने के लिए व्यवस्था कर दी गई है. नगर निगम दक्षिण में तीन आर फार्मूला लागू कर Recovery, Recycle और Reuse होने वाले सामान को निकाला जा रहा है. जिनमें कांच की बोतल, प्लास्टिक, पॉलिथीन, रबड़, चमड़ा, कागज व गत्ता के उत्पाद को अलग-अलग रखा जा रहा है. पॉलिथीन के अलावा सभी सामग्री कचरा बीनने वाले को दे दी जाती है. नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि अभी जितना भी मटेरियल कचरे में से निकलता है, वह कचरा बीनने वालों को ही दे दिया जाता है. क्योंकि, उनको नगर निगम से कोई मानदेय नहीं मिल रहा है.
कन्वेयर बेल्ट सिस्टम से होगा काम... कन्वेयर बेल्ट सिस्टम से होगा काम...
नगर निगम कोटा दक्षिण के आयुक्त कीर्ति राठौड़ का कहना है कि वह अब ट्रांसपोर्ट स्टेशन पर कन्वेयर बेल्ट का पूरा सिस्टम लगा रहे हैं. वहां पर ज्यादा संख्या में मैन पावर लगाकर पॉलिथीन और अन्य मटेरियल को रिकवर कर लिया जाए. इससे कचरा बीनने वालों को भी आसानी होगी और कचरा एक जगह होने से उनके स्वास्थ्य पर भी असर विपरीत नहीं पड़ेगा.
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सीमेंट फैक्ट्री को बेची जाएगी पॉलिथीन...
सीमेंट फैक्ट्री को बेची जाएगी पॉलिथीन... नगर निगम कोटा दक्षिण ने टेंडर जारी कर दिया है. जिसके तहत वह पॉलिथीन जितनी भी कचरे के साथ आ रही है, उनको एकत्रित कर धूल छांटने के बाद बेलिंग मशीन से सीमेंट उत्पादक फैक्ट्री तक पहुंचाया जाएगा. जिसके लिए सीमेंट फैक्ट्री से पैसा लिया जाएगा. सीमेंट फैक्ट्री पॉलिथीन को अपने बर्नर में उपयोग करेगी. साथ ही, रोड बनाने के लिए भी इस पॉलिथीन को दिया जा सकेगा.
एमआरएफ के जरिए किया जा रहा है काम...
कचरे का निस्तारण का मल्टी रिकवरी फैसिलिटी से किया जा रहा है. घर-घर से कचरा संग्रहण कर टिपर व ट्रॉली से ट्रांसपोर्ट स्टेशन पहुंचाया जाता है. जहां अलग-अलग रूम बनाए गए हैं. कचरे में से निकलने वाले मटेरियल को इन रूम में स्टोर किया जाता है. यहां पर चिन्हित कचरा बीनने वाले लोग आते हैं, जो कांच, प्लास्टिक, गत्ता, थर्माकोल, पॉलिथीन, रबर और चमड़ा निकाल लेते हैं. इनका वजन कराया जाता है, जिसका रिकॉर्ड रखा जा रहा है. केवल पॉलिथीन नगर निगम रख लेती है, बाकी सब सामान कचरा बीनने वालों को दे दिया जाता है.
पॉल्यूशन रोकने में मददगार... पॉल्यूशन रोकने में मददगार...
नगर निगम दक्षिण की आयुक्त राठौड़ का कहना है कि कचरा पॉइंट पर विघटित नहीं होने वाले आइटम परेशानी का सबब बन जाते हैं. इसके अलावा ट्रेंचिंग ग्राउंड पर भी इस तरह से बड़ी मात्रा में पॉलिथीन इकट्ठी रहती है. यह वर्षों तक विघटित नहीं हो पाती है. कई बार कचरे में आग लगने के कारण पॉल्यूशन फैलता है और खतरनाक गैस भी फैल जाती है. ऐसे में इन सब मटेरियल को पहले ही निकाल लिया जाता है, ताकि ट्रेंचिंग ग्राउंड पर विघटित होने वाला कचरा ही पहुंचे.
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अभी 10 से शुरुआत...
नगर निगम दक्षिण की हेल्थ ऑफिसर ऋचा का कहना है कि दोनों ट्रांसपोर्ट स्टेशन पर 10 लोगों को चिन्हित किया है. यहां पर 120 से ज्यादा टिपर कचरा लेकर आ रहे हैं, साथ ही कई ट्रैक्टर ट्रॉली अभी है. अभी शुरुआती तौर पर 5-5 लोग दोनों जगह काम कर रहे हैं, लेकिन इनको धीरे धीरे बढ़ाया जाएगा और पूरा सिस्टम बनाया जाएगा. दूसरे लोग नहीं आए, इसके लिए नगर निगम ने इन सबको आई कार्ड जारी किया है.
अलग-अलग स्टोर रूम तैयार किए गए हैं... इनकम के साथ सुरक्षा भी...
यहां कचरा बीनने आने वाले लोगों का कहना है कि पहले वह सड़क पर ही कचरा बीनते थे. जहां पर कुछ नहीं मिलता था. लेकिन, अब यहां नगर निगम के कचरा स्टेशन पर उन्हें रोज आमदनी भी हो रही है. साथ ही, सुरक्षा के लिए भी उन्हें उपकरण दिए गए हैं. इसके पहले उन्हें ट्रेनिंग भी दी गई है कि किस तरह से कचरे में से मटेरियल छांट कर एकत्रित करना है.