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कोटा दौरे पर पद्मश्री डॉ किरण सेठ, कहा- आईआईटी कर रहे बच्चे को नहीं होनी चाहिए काउंसलिंग की जरूरत

डॉ किरण सेठ खुद एक आईआईटियन हैं, और करीब 42 सालों तक आईआईटी में पढ़ाया (Dr Kiran Seth on IIT education culture) है. उन्होंने ईटीवी भारत से स्कूलिंग से लेकर आईआईटी कर बच्चों पर बढ़ रहे प्रशर को लेकर बात की. उन्होंने कहा पढ़ाई छोड़ कर अन्य चीजों को ज्यादा महत्व दिया जा रहा इसीलिए वो डिप्रेशन और मानसिक तनाव का शिकार हो रहे.

Dr Kiran Seth on IIT education culture
स्पीक मैके के फाउंडर पद्मश्री डॉ किरण सेठ

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Published : May 14, 2022, 4:19 PM IST

कोटा.आईआईटियन और स्पीक मैके के फाउंडर पद्मश्री डॉ किरण सेठ कोटा दौरे पर आए हैं. वो साइकिल से (Dr Kiran Seth in Kota) ही पर्यावरण जागृति का संदेश देने के लिए यात्रा कर रहे हैं. डॉ कई शहरों की यात्रा करने के बाद में कोटा पहुंचे और आगामी दिनों में भी करीब 1500 किलोमीटर की यात्रा करेंगे. उन्होंने ईटीवी भारत से आईआईटी स्पीक मैके और बच्चों की स्कूलिंग से लेकर कई मुद्दों पर बातचीत की.

डॉ किरण सेठ खुद एक आईआईटियन हैं और उसके बाद करीब 42 सालों तक आईआईटी में पढ़ाया है. उनका कहना है कि (Dr Kiran Seth on IIT education culture) हमारे समय में आईआईटी में कोई काउंसलिंग नहीं होती थी, बाद में पार्ट टाइम काउंसलिंग हुई. उसके बाद परमानेंट काउंसलर लगाया गया और अब एक पूरी काउंसलिंग यूनिट बना दी गई है. नए बच्चे जो आईआईटी कर रहे हैं उनको इस काउंसलिंग की जरूरत नहीं होनी चाहिए. ऐसे बच्चों की अंदरूनी तौर पर काफी मजबूत होते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने एक्सपेरिमेंट किए हैं उन्हें हमारी जिंदगी में हमें उतारना चाहिए.

स्पीक मैके के फाउंडर पद्मश्री डॉ किरण सेठ

पैकेज को महत्व देना गलत:पद्मश्री डॉ सेठ का कहना है कि जब मैं पढ़ रहा था तब इतना कंपटीशन नहीं था. ऐसा नहीं था कि बड़ा जॉब या पैकेज मिलना ही है. जॉब मिल जरूर जाता था, लेकिन ये सब इतना ज्यादा नहीं था. आजकल सबसे ज्यादा महत्व ये रखता है कि आपका पैकेज क्या होगा. बाहरी चीजों को महत्व ज्यादा दिया जाने लगा है. इसके चलते असंतुलित हो गया है. ये तनाव और डिप्रेशन का माध्यम बन गया है. इसको बैलेंस करना काफी जरूरी है. बैलेंस हो जाने के बाद में कोई काउंसलिंग की जरूरत नहीं होगी. हमारे पूर्वजों ने शास्त्रीय संगीत, गायन पर बहुत प्रयोग किया है. ये केवल नृत्य या संगीत नहीं है, मस्तिष्क को संतुलितन करने का माध्यम है. इससे तनाव और डिप्रेशन सब खत्म हो जाएगा.

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स्कूल की जगह बैटलफील्ड में भेज रहे :डॉ. सेठ ने कहा कि आजकल ऐसा लग रहा है कि बच्चों को हम स्कूल नहीं बैटलफील्ड में भेज रहे हैं. लेकिन बच्चों की सोच को अगर विकसित किया जाएगा तो ज्यादा अच्छा होगा. इसके बाद वे जो करना चाह रहे हैं, वो खुद ही सब सीख जाएंगे. लेकिन हम चाहते हैं कि वे जल्दी-जल्दी सब कुछ सीख जाएं. कंप्यूटर पढ़ना है, कोचिंग करना है. इन सब में बच्चों का बचपना कहीं छूट जाता है. उनपर मानसिक दबाव बनने लगता है.

हमें पूर्वजों से जो मिला, वो बच्चों को नहीं दे पा रहे :पर्यावरण के मुद्दे पर पद्मश्री डॉ किरण सेठ ने कहा कि हमें हमारे पूर्वजों से बेस्ट मिला है, वही हमारे बच्चों को भी मिलना चाहिए. पर्यावरण के मुद्दे पर ही डॉ. सेठ साइकिल यात्रा पर हैं. वो कोटा में 4 दिन 17 मई रहेंगे जिसमें अलग-अलग कार्यक्रमों में भाग लेंगे. स्पीक मैके के कोऑर्डिनेटर की मीट में शामिल होंगे. इसके अलावा नागरिक सम्मान भी कोटा में डॉ. सेठ का आयोजित होगा.

इसी कार्यक्रम में पद्म विभूषण और ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित पंडित विश्व मोहन भट्ट का वीणा वादन कार्यक्रम भी आयोजित होगा. यहां वो स्कूल के प्रिंसिपल के साथ चर्चा करेंगे. साथ ही प्राइवेट कॉलेज के संचालकों से भी मिलेंगे. इसके पहले डॉ. सेठ दिल्ली से अलवर, जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, अहमदाबाद, बड़ौदा, दाहोद, गोधरा, पेटलावद, बदनावर, बड़नगर, उज्जैन के बाद कोटा पहुंचे हैं. इसके बाद भी वो 1500 किलोमीटर की यात्रा पूरी करते हुए कोटा से अलग-अलग रास्ते में होते हुए दिल्ली जाएंगे.

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