कोटा.आईआईटियन और स्पीक मैके के फाउंडर पद्मश्री डॉ किरण सेठ कोटा दौरे पर आए हैं. वो साइकिल से (Dr Kiran Seth in Kota) ही पर्यावरण जागृति का संदेश देने के लिए यात्रा कर रहे हैं. डॉ कई शहरों की यात्रा करने के बाद में कोटा पहुंचे और आगामी दिनों में भी करीब 1500 किलोमीटर की यात्रा करेंगे. उन्होंने ईटीवी भारत से आईआईटी स्पीक मैके और बच्चों की स्कूलिंग से लेकर कई मुद्दों पर बातचीत की.
डॉ किरण सेठ खुद एक आईआईटियन हैं और उसके बाद करीब 42 सालों तक आईआईटी में पढ़ाया है. उनका कहना है कि (Dr Kiran Seth on IIT education culture) हमारे समय में आईआईटी में कोई काउंसलिंग नहीं होती थी, बाद में पार्ट टाइम काउंसलिंग हुई. उसके बाद परमानेंट काउंसलर लगाया गया और अब एक पूरी काउंसलिंग यूनिट बना दी गई है. नए बच्चे जो आईआईटी कर रहे हैं उनको इस काउंसलिंग की जरूरत नहीं होनी चाहिए. ऐसे बच्चों की अंदरूनी तौर पर काफी मजबूत होते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने एक्सपेरिमेंट किए हैं उन्हें हमारी जिंदगी में हमें उतारना चाहिए.
पैकेज को महत्व देना गलत:पद्मश्री डॉ सेठ का कहना है कि जब मैं पढ़ रहा था तब इतना कंपटीशन नहीं था. ऐसा नहीं था कि बड़ा जॉब या पैकेज मिलना ही है. जॉब मिल जरूर जाता था, लेकिन ये सब इतना ज्यादा नहीं था. आजकल सबसे ज्यादा महत्व ये रखता है कि आपका पैकेज क्या होगा. बाहरी चीजों को महत्व ज्यादा दिया जाने लगा है. इसके चलते असंतुलित हो गया है. ये तनाव और डिप्रेशन का माध्यम बन गया है. इसको बैलेंस करना काफी जरूरी है. बैलेंस हो जाने के बाद में कोई काउंसलिंग की जरूरत नहीं होगी. हमारे पूर्वजों ने शास्त्रीय संगीत, गायन पर बहुत प्रयोग किया है. ये केवल नृत्य या संगीत नहीं है, मस्तिष्क को संतुलितन करने का माध्यम है. इससे तनाव और डिप्रेशन सब खत्म हो जाएगा.