स्पेशल रिपोर्ट : तो बंद हो जाएगी कोटा थर्मल की 5 इकाइयां, 1240 मेगावाट से घटकर 390 रह जाएगी क्षमता
कोटा थर्मल की 5 इकाइयों को संचालित होते हुए 25 से लेकर 37 साल हो गए है, लेकिन अब उनके बंद होने की घोषणा हो गई है. बची हुई जो 2 इकाइयों में छह नम्बर इकाई को 15 साल और सातवीं को महज 10 साल ही हुए हैं. इस घोषणा के बाद बिजली उत्पादन धड़ाम से नीचे आ जाएगा और इसका व्यापक असर प्रदेश की बिजली सप्लाई पर भी पड़ेगा. आखिर कौनसी ऐसी वजहें हैं जिनके चलते ऐसा किया जा रहा है, देखिए कोटा से ये स्पेशल रिपोर्ट...
कोटा थर्मल की 5 इकाइयां बंद होगी
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Published : Feb 19, 2020, 1:27 PM IST
कोटा. केंद्र सरकार ने बजट घोषणा के तहत कोयले से चलने वाले थर्मल प्लांट जो पुराने हो गए हैं, उन्हें बंद करने की घोषणा की है. इस घोषणा के बाद से ही केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) पहले ही पुरानी तकनीक और ज्यादा लागत के साथ 25 वर्ष पुरानी यूनिटों को बंद करने की योजना को गति मिल रही है. इसके चलते कोटा थर्मल प्लांट की 5 इकाइयों पर संकट खड़ा हो गया है.
सीआईए की गाइडलाइन के अनुसार 25 साल से पुराने प्लांटों को बंद किया जाना है. ऐसे में कोटा थर्मल की जो 5 इकाइयां है, उनको 25 से लेकर 37 साल संचालित होते हुए हो गए है, वो बंद होगी. बची हुई जो 2 इकाइयां है, उनमें छह नम्बर इकाई को 15 साल और सातवीं को महज 10 साल ही हुए हैं. इसके चलते जो अभी कोटा थर्मल की क्षमता 1240 मेगावाट है, वह घटकर महज 390 मेगावाट रह जाएगी, क्योंकि एक नंबर से लेकर पांच नंबर इकाई तक जिनकी कुल क्षमता 850 है उनको 25 साल से ज्यादा हो गए हैं.
हमें 2025 तक चलाने की मिले अनुमति: चीफ इंजीनियर कोटा थर्मल के चीफ इंजीनियर अजय सक्सेना का कहना है कि सीईए के जो डायरेक्शन ने उसके अनुसार पुरानी यूनिटी 25 साल से ज्यादा की हो गई है और जो अनइकोनॉमिकल है, साथ ही फॉरेस्ट और पर्यावरण के नियमों को पूरा नहीं कर पा रही है, उनको बंद करने की प्लानिंग है. हमें भी डेडलाइन दी गई है कि गत 31 दिसंबर 2020 तक एक नंबर से लेकर 4 नंबर इकाइयों से उत्पादन बंद करना है. हम तैयारी कर रहे हैं कि इन यूनिट्स की कुछ कंप्लायंस पूरी करके इन यूनिट्स को 2025 तक चलाने की अनुमति हमें दी जाए.
यूनिट
उत्पादन शुरू
(वर्ष)
क्षमता (मेगावाट)
पहली
1983
110
दूसरी
1984
110
तीसरी
1989
210
चौथी
1989
210
पांचवीं
1995
210
छठीं
2004
195
सातवीं
2009
195
पुरानी यूनिटों से उत्पादन की ज्यादा लागत कोटा थर्मल की पहली व दूसरी यूनिट काफी पुरानी हो चुकी है. ऐसे में इनसे बिजली उत्पादन के लिए काफी कोयला खर्च करना पड़ता है. जबकि जो नई स्थापित यूनिटें प्रदेश में अन्य थर्मल में स्थापित है, वहां पर इन यूनिटों के मुकाबले आधे कोयले में ही इनके बराबर उत्पादन हो जाता है. कोटा थर्मल की वेरिएबल और कॉस्ट मिलाकर 3.75 रुपए में एक यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है. हालांकि इसमें फिक्स कोस्ट महज 59 पैसे ही है. जबकि पुरानी एक नंबर दो नंबर यूनिट में यह लागत 5 रुपए से भी ज्यादा आ रही है.
निजीकरण को बढ़ावा देने के लिए बंद कर रहे हैं यूनिटों को बंद करने को लेकर मजदूर संगठन भी विरोध में उतरने को तैयार है. भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष घनश्याम शर्मा का कहना है कि यूनिटों को सोची समझी साजिश के तहत बंद किया जा रहा है. जबकि इन यूनिटों को मॉडिफिकेशन किया गया है, जो 110 मेगावाट की यूनिट है, वह 150 मेगावाट तक उत्पादन कर रही है. केवल पर्यावरण के नाम पर इनको बंद किया जा रहा है. निजीकरण को बढ़ावा देने की यह साजिश है. कम लागत में ही थर्मल में बिजली का उत्पादन हो रहा है. कोटा थर्मल राजस्थान ही नहीं एशिया का नंबर वन प्लांट रहा है.
हजारों लोगों का रोजगार जुड़ा है, नहीं होने देंगे बंद मजदूर संघ के संगठन मंत्री राम प्रसाद साहू ने कहा कि वे जन आंदोलन बनाकर थर्मल की यूनिटों को बंद करने का विरोध करेंगे. इसमें कोटा ही नहीं राजस्थान की जनता भी साथ देगी, क्योंकि करीब हजारों परिवारों का रोजगार कोटा थर्मल की वजह से चल रहा है. पहले जहां पंद्रह सौ कर्मचारी कार्यरत थे, अब 400 कर्मचारी अधिकारी ही कार्यरत हैं. वही दैनिक वेतन भोगी करीब 4000 लोग यहां पर लगे हुए हैं. कोयले की क्वालिटी और सरकार के दोषपूर्ण नीति के चलते यह थर्मल घाटे में थे.