जोधपुर.कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए उपयोग में आने वाले जीवन रक्षक वेंटिलेटर कारगर साबित नहीं हो रहे हैं. पीएम केयर्स फंड से दिए गए वेंटिलेटर में कई तरह की तकनीकी खामियां होने से इसका उपयोग बंद हो गया है. मथुरा दास माथुर अस्पताल में ऐसे 100 वेंटिलेटर हैं, जिनका उपयोग पूरी तरह से रोक दिया गया है या फिर ऐसे मरीजों के लिए ही कभी कभार काम में लिया जाता है जो ज्यादा गंभीर नहीं है.
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अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों की ओर से लगातार शिकायतें मिलने के बाद एमडीएम अस्पताल अधीक्षक डॉ. एमके आसेरी ने इन वेंटिलेटरों के उपयोग नहीं करने के निर्देश दिए हैं. आसारी ने बताया कि वेंटिलेटर को ठीक करने के लिए एक बार निर्माण कंपनी का इंजीनियर आया था, लेकिन इससे भी हालात नहीं सुधरे. अभी हाल ही में यूपीएस भेजा गया है, लेकिन उनका भी इंस्टॉलेशन करने के लिए कोई नहीं आया है.
डॉ. एमके आसेरी ने बताया कि वेंटिलेटर में लगातार खामियां आ रही है. खासतौर से चलते-चलते ऑक्सीजन प्रेशर कम हो जाता है और इससे वेंटिलेटर बंद हो जाता है. इसके अलावा सेंसर में भी लगातार खराबी सामने आ रही है. डिस्पोजेबल सेंसर होने से यह परेशानी बढ़ रही है. ऐसे में डॉक्टर को लगता है कि अगर गंभीर मरीजों के उपचार के दौरान अगर वेंटिलेटर बंद पड़ गए तो मरीज की जान पर बनाएगी.
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अचानक होने लगे बंद
कोरोना संक्रमण काल के दौरान डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज को पीएम केयर फंड से 100 वेंटिलेटर मिले थे. पिछले साल जून में मिले इन 100 वेंटिलेटरों में से 30 का उपयोग कुछ दिनों बाद अस्पताल के आईसीयू में होने लगा. इस दौरान ये वेंटिलेटर काम करते-करते बंद होने लगे.