जोधपुर. उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल के विनिवेश मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट में चल रहे मामले पर अगले आदेश तक अंतरिम रोक लगा दिया है. साथ ही रिकार्ड कॉल कर दिया है. जस्टिस विजय विश्नोई की अदालत ने गुरूवार को याचिकाकर्ता ज्योत्सना सूरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी, आशीष गुहा, प्रदीप बैजल और कांतिलाल की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीबीआई कोर्ट की प्रोसेडिंग पर रोक लगा दी है.
भारत होटल्स प्रा. लि. की प्रबंध निदेशक ज्योत्सना सूरी की ओर से सांसद पीपी चौधरी ने पैरवी करते हुए कहा था कि जब इस होटल का विनिवेश हुआ था, उस समय तय कीमत से 25 फीसदी ज्यादा रकम पर किया गया था. साथ ही उन्होंने सीबीआई कोर्ट की ओर से सीबीआई द्वारा इस मामले में लगाई गई क्लोजर रिपोर्ट की अनदेखी करने का भी तर्क देते हुए 15 सितंबर 2020 को जारी जोधपुर की सीबीआई विशेष अदालत के आदेशों को अपास्त करने की मांग की.
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आशीष गुहा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव सेन ने पक्ष रखा. वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पक्ष रखते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ की गई थी. पहले भी राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई थी, जिसमें कहा गया था कि किसी प्रकार का घोटाला नहीं हुआ है. केंद्र सरकार की ओर से एसवी राजु एएसजी ने पक्ष रखा. प्रदीप बैजल की ओर से अधिवक्ता निशांत बोडा मौजूद रहे.
सभी अधिवक्ताओ के तर्कों को सुनने के बाद जस्टिस विश्नोई ने सीबीआई कोर्ट की ओर से 15 सितंबर 2020 को पारित आदेश एवं अगली प्रोसेडिंग पर अंतरिम रोक लगाते हुए तीन सप्ताह बाद याचिका को पुन: सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के निर्देश जारी किए हैं.
गौरतलब है कि सीबीआई कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी, ज्योत्सना सूरी, आशीष गुहा, प्रदीप बैजल और कांतिलाल के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के आदेश के साथ सभी की गिरफ्तारी वारंट जारी करने के निर्देश दिए थे. जिस पर पूर्व में राजस्थान हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में तब्दील करते हुए जमानत मुचलके पेश करने के निर्देश दिए थे.
इसके बाद सभी ने सीबीआई अदालत में जमानत मुचलके पेश कर दिए थे. सभी पर आरोप था कि उन्होंने उदयपुर की लक्ष्मी विलास होटल का विनिवेश गलत तरीके से करते हुए सरकार को सदोष राजस्व की हानि पहुंचाई है.