जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस अरूण भंसाली ने गुरुवार को नीट पीजी 2020 के प्रवेश में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता नुपूर भाटी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पैरवी करते हुए पक्ष रखा.
नीट पीजी 2020 को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं पर अहम सुनवाई अधिवक्ता भाटी ने अपनी ओर से दलीले देते हुए कोर्ट को बताया कि गवर्मेंट मेडिकल कालेज में नीट पीजी 2020 में ईडबल्यूएस को लागू करते हुए कम से कम दस प्रतिशत सीटें बढ़ानी चाहिए थी. जो करीब 145 होनी चाहिए थी, जबकि राज्य सरकार ने मात्र 51 सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के समक्ष रखा. साथ ही एमसीआई के नियम 10ए के अनुसार 23 सीटें और 18 सीटें डिप्लोमा से डिग्री के अपग्रेड होने के आधार पर बढ़ाते हुए कुल 92 सीटें ही बढ़ाई गईं.
जबकि नियमानुसार 145 सीटें होनी चाहिए थीं. अधिवक्ता ने साथ ही तर्क दिया की पिछले साल वर्ष 2019-20 में कुल 584 सीटें थी और इस वर्ष 2020-21 में 597 सीटें ही हैं. जो पिछले साल से मात्र 13 सीटें ही अधिक हैं. इसके उपरांत भी याचिकाकर्ता से कम मेरिट वाले विद्यार्थी को ईडबल्यूएस आरक्षण का लाभ देते हुए सीट आवंटित कर दी.
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वहीं राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास ने इन दलीलों का खंडन करते हुए कहा की इस मामले में प्रथम काउंसलिंग तो हालांकि हो चुकी है. लेकिन कोर्ट के समक्ष जो तथ्य आए हैं उन सभी तथ्यों का लिखित में जवाब देना चाहते हैं. हालांकि जवाब तैयार है लेकिन कुछ औपचारिकाएं हैं, जिसके लिए समय दिया जाए. इस पर कोर्ट ने 18 मई तक का समय दिया है.