जोधपुर. संभाग के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल के कोविड सेंटर में हर सवा मिनट में एक ऑक्सीजन का सिलेंडर खत्म हो रहा है. प्रतिदिन 1200 सिलेंडर तक काम में आने लगे हैं. इससे हालात का अंदाजा लगाया जा सकता है.
जोधपुर में कोरोना की भयावह स्थिति इतनी भारी मात्रा में ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत के बावजूद आईसीयू में मरीजों को आवश्यकता के अनुसार प्रेशर नहीं मिलने की शिकायत बनी हुई है. डॉक्टरों के अनुसार इसकी वजह है वार्डों में भी अब मरीजों को ऑक्सीजन पर लेना पड़ रहा है. जिसके चलते जिन मरीजों को हाई फ्लो ऑक्सीजन चाहिए उनका प्रेशर कम हो रहा है.
MDM अस्पताल में रोजोना 200 मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत अस्पताल में बढ़ती मरीजों की संख्या को ध्यान में रखते हुए अब बरामदों और कोरिडोर में भी बेड लगा दिए गए हैं. लेकिन इनके लिए ऑक्सीजन जुटाना आसान काम नहीं है. एमडीएम अस्पताल के मरीजों को ऑक्सीजन मिलती रहे इसके लिए जिला प्रशासन ने पूरे प्रयास किए हैं. यहां एक आरएएस स्तर के अधिकारी को मॉनिटरिंग पर लगाया है जो हर घंटे यहां खपत हो रहे सिलेंडरों पर नजर रखे हुए हैं.
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जोधपुर के प्लांट के अलावा ब्यावर अजमेर से भी ऑक्सीजन मंगवाई जा रही है. इसी तरह महात्मा गांधी अस्पताल में भी स्थितियां विकट होती जा रही हैं. वहां लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट से आपूर्ति शुरू हुई है. लेकिन लिक्विड ऑक्सीजन की भी कमी है. मेडिकल कॉलेज के मथुरादास माथुर पर महात्मा गांधी अस्पताल में प्रतिदिन दो हजार से ज्यादा ऑक्सीजन का सिलेंडर की खपत हो रही है. एक सिलेंडर सरकार को 300 रुपए में मिल रहा है इस हिसाब से प्रतिदिन 6 से 7 लाख रुपए की ऑक्सीजन संक्रमितों को दी जा रही है.
हर सवा मिनट में एक ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म 3 नए प्लांट की तैयारी
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ एसएस राठौर ने बताया कि एमडीएम अस्पताल में तीन जगह पर हवा से ऑक्शन बनाने के प्लांट लगाने की अनुमति मिल गई है. हम तीन जगह चिन्हित कर वहां काम शुरु कर रहे हैं. उम्मीद है कि अगले 1 महीने में यह प्लांट शुरू हो जाएंगे. जिससे ऑक्सीजन की कमी की समस्या का समाधान हो सकेगा.
हर दिन 7 लाख की ऑक्सीजन खत्म हर दिन बढ़ते मरीज बढ़ा रहे चिंता
जोधपुर में हर दिन जिस गति से मरीज बढ़ रहे है वो चिंता बढ़ा रहे हैं. 4 दिनों में 5745 नए रोगी सामने आए है. इसके अलावा बढ़ी संख्या में मौतें हो रही हैं. अब अगर आने वाले दिनों में प्रतिदिन संक्रमित होने वाले मरीजों में से अगर 10 फ़ीसदी को भी अस्पताल की आवश्यकता हुई तो स्थितियां बेकाबू हो सकती हैं.