जयपुर. 25 सितंबर विश्व फार्मासिस्ट दिवस के रूप में मनाया जाता है. फार्मासिस्ट को समर्पित इस दिवस का (World Pharmacist Day) महत्व कागजों में जितना बड़ा है, उतना जमीनी स्तर पर नजर नहीं आता है. राजस्थान की बात करें तो आज भी फार्मासिस्ट अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है बेरोजगारी. बड़ी संख्या में आज फार्मासिस्ट रजिस्टर्ड हो चुके हैं, लेकिन सरकार की ओर से रोजगार से जुड़े जो दावे किए जाते हैं वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है.
खासकर सरकार की ओर से प्रदेशभर के अस्पतालों में (Pharmacists in Rajasthan) संचालित की जा रही मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना से भी फार्मासिस्ट गायब हैं. फार्मासिस्ट एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि सरकारी दवा की दुकानों पर आज भी अयोग्य लोग दवा वितरण का काम कर रहे हैं.
प्रदेश में फार्मासिस्ट अपने अस्तित्व की लड़ रहे लड़ाई विश्व फार्मासिस्ट दिवस का उद्देश्यःविश्व फार्मासिस्ट दिवस अंतरराष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल फेडरेशन की (Objective of World Pharmacist Day) पहल पर मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य फार्मासिस्ट के काम और उसकी उपयोगिता को बताना है. इंडियन फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सर्वेश्वर शर्मा का कहना है कि पहले एक वैक्सीन तैयार करने में 20 से 25 वर्ष तक का समय लग जाता था. लेकिन हाल ही में जब कोविड-19 संक्रमण की जद में पूरा विश्व आ गया तो फार्मासिस्ट के कारण ही सिर्फ 6 महीने में इस बीमारी की वैक्सीन तैयार कर ली गई.
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आधे से अधिक कच्चा माल भारत में हो रहा है तैयारःप्रदेश अध्यक्ष सर्वेश्वर शर्मा ने बताया कि (Condition of Pharmacist in Rajasthan) देश की बात करें तो आज भी दवाइयों की आने वाला आधे से अधिक कच्चा माल भारत में ही तैयार किया जा रहा है. भारत विश्व में दवाई निर्माण के क्षेत्र में एक अलग पहचान बना रहा है. एसोसिएशन का कहना है कि विश्व में विभिन्न बीमारियों में उपयोग में आने वाली 40 फ़ीसदी दवाइयों का निर्माण आज भारत देश में किया जा रहा है. इन दवाइयों की आज पूरे विश्व में सप्लाई की जा रही है, ऐसे में कहा जा सकता है कि फार्मासिस्ट और इनके द्वारा तैयार किए जाने वाली दवाइयों का एक बड़ा हब भारत देश बनता जा रहा है. आज देश के विभिन्न राज्यों में बड़ी-बड़ी फार्मास्यूटिकल कंपनियां खुली हुई है जहां फार्मासिस्ट को रोजगार उपलब्ध हो रहा है।
प्रदेश में बेरोजगारीःवहीं राजस्थान की बात करें तो आज भी फार्मासिस्ट अपने अस्तित्व की लड़ाई (pharmacists struggling with unemployment) कर रहे हैं. सर्वेश्वर शर्मा का कहना है कि प्रदेश में लगातार बड़ी संख्या में फार्मासिस्ट रजिस्टर्ड हो रहे हैं, लेकिन आज भी रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट बेरोजगारी से जूझ रहे हैं. राजस्थान में आज भी फार्मास्यूटिकल कंपनियों की कमी है. सर्वेश्वर शर्मा का कहना है कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सरकार की ओर से निःशुल्क दवा वितरण केंद्र खोले गए हैं. लेकिन आज भी इन निःशुल्क दवा वितरण केंद्रों पर अयोग्य लोग दवाओं का वितरण करने हैं.
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आंकड़ों में समझें :
- प्रदेश में तकरीबन 66000 फार्मासिस्ट रजिस्टर्ड हैं.
- इनमें से सिर्फ 3000 लोगों को सरकार ने नौकरी दी है.
- वर्ष 2013 में निकाली गई भर्तियों आज तक पूरी नहीं हो पाई.
- वर्ष 2013 में 1736 पदों पर भर्ती की बात कही गई थी.
- लेकिन पिछले 9 सालों में इन पदों पर भर्ती ही नहीं हो पाई.
फार्मासिस्ट गायब :
- तकरीबन 18000 मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा वितरण केंद्र खोले गए हैं.
- इन केंद्रों पर सिर्फ 3000 फार्मासिस्ट को लगाया गया है.
- 15000 दवा वितरण केंद्र से आज भी फार्मासिस्ट गायब हैं.
- इन 15000 दवा केंद्रों पर अयोग्य लोग दवा का वितरण कर रहे हैं.