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ऑफिस-ऑफिस : नौकरशाही को जवाबदेह बनाने वाला कानून आखिर क्यों अटका है... - कोरोना काल

जवाबदेही कानून...यह वो सपना है जो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देखा है. कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में इस कानून का जिक्र किया. फिर बजट में भी घोषणा की और कमेटी बनाकर कानून के ड्राफ्ट पर भी कवायद हुई. इतना होने के बाद भी इस कानून को अमीलजामा पहनाने में क्या दिक्कत है ?

जवाबदेही कानून,  accountability law
जवाबदेही कानून

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Published : Jun 18, 2021, 6:25 PM IST

Updated : Jun 18, 2021, 6:34 PM IST

जयपुर. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Govt) ने सत्ता में आने से पहले जवाबदेही कानून (Accountability Law) लाने का वादा किया था. कानून बनाने के लिए कमेटी बनी, ड्राफ्टिंग हुई, लेकिन ढाई साल के कार्यकाल में सरकार बिल नहीं ला पाई है. सवाल ये है कि जवाबदेही कानून के विचार को ठंडे बस्ते में क्यों डाला जा रहा है.

नौकरशाही से परेशान नवरतन हैं उदाहरण

जवाबदेही कानून की परिकल्पना को समझने के लिए नवरतन शर्मा का उदाहरण काफी है. नवरतन कई दिनों से अपने काम के लिए सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगा रहे हैं. कभी किसी अधिकारी के पास जाते हैं तो कभी किसी बाबू के पास. उनकी फाइल एक टेबल से दूसरी टेबल घूम रही है. लेकिन काम नहीं हो रहा है. कोई जवाब देने वाला तक नहीं है कि काम होने में क्या दिक्कत आ रही है, काम होगा या नहीं होगा, नहीं होगा तो क्यों नहीं होगा.

जवाबदेही कानून क्यों अटका

आपने 'भोलाराम का जीव' कहानी तो पढ़ी हो होगी, पंकज कपूर का धारावाहिक 'ऑफिस ऑफिस' देखा होगा. या फिर श्रीलाल शुक्ल के कालजयी उपन्यास 'राग दरबारी' के पात्र लंगड़ की व्यथा से वाकिफ ही होंगे. नवरतन शर्मा जैसे हजारों लोग नौकरशाही (Bureaucracy) के मारे हैं. जवाबदेही कानून बन गया तो नौकरशाही की जवाबदेही तय हो सकेगी.

जवाबदेही कानून को समझिये
जवाबदेही कानून को समझिये

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कानून के लिए सरकार ने क्या किया

जवाबदेही कानून की परिकल्पना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) की ही है. चुनावी घोषणा पत्र (election manifesto) में उन्होंने इस कानून का जिक्र किया था. सत्ता में आने के बाद कमेटी बनाई. जोर-शोर से बैठकों का दौर शुरू हुआ. एक्सपर्ट्स के सुझाव लिये गये. कानून को लेकर ड्राफ्टिंग होने की चर्चा भी हुई. लेकिन ढाई साल गुजरने के बाद भी कानून को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे (Nikhil Dey) तो साफ आरोप लगाते हैं कि कानून को नौकरशाहों ने रोक रखा है. वे इसे लागू नहीं होने देना चाहते.

क्या नौकरशाहों ने अटकाया बिल

जवाबदेही कानून को समझिये, यह आपके लिए कितना फायदेमंद

जवाबदेही कानून गुड गवर्नेंस (Good governance) की झलक है. कानून लागू हुआ तो प्रशासनिक व्यवस्था (Administrative law) में नीचे से ऊपर तक के अधिकारी की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय होगी. आपका बिजली का काम हो, सड़क, पानी, लाइसेंस या प्रमाण-पत्र से संबंधित काम हो, उससे जुड़े अधिकारी या कर्मचारी को लिख कर देना होगा कि आपका काम कितने समय में हो जाएगा. फाइल रोकने वाले अधिकारी की खैर नहीं होगी.

किसके दबाव में है सरकार

इस कानून को निचले स्तर तक लागू करने के लिए हर पंचायत और नगरपालिका में सहायता केंद्र बनेंगे. जहां आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे. हर शिकायत कंप्यूटर में दर्ज होगी और शिकायत को ट्रैक किया जाएगा. आपकी शिकायत लोक शिकायत निवारण अधिकारी (public grievance redressal) तक पहुंचेगी. इसके बाद आपको 14 दिन के अंदर खुली सुनवाई में अपनी बात रखने का मौका मिलेगा. लोक शिकायत निवारण अधिकारी को भई 30 दिन के भीतर लिखित में जवाब देना होगा. अगर आपकी समस्या सही है तो अधिकारी को बताना होगा कि इसका समाधान कब तक होगा. शिकायत को रिजेक्ट करने का भी कारण बताना होगा. जिला और राज्य स्तर पर भी सुनवाई के लिए अलग प्राधिकरण होंगे.

कब आएगा जवाबदेही कानून

भ्रष्टाचार पर लगेगा अंकुश

सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे कहते हैं कि कोरोना काल में लोगों को बहुत परेशानी हुई. जवाबदेही कानून बन चुका होता तो हजारों लोगों को इसका फायदा मिलता. सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता. निखिल डे का कहना है कि इस कानून को रोकने के लिए कितनी ही अड़चनें लगाई जाएं, हम इसे लागू करा के रहेंगे. राजस्थान ने ही सबसे पहले राइट टू इनफोर्मेशन (Right to Information Act, 2005) जैसे कानूनों को लागू किया है. तो जवाबदेही कानून भी राजस्थान में लागू करना होना.

Last Updated : Jun 18, 2021, 6:34 PM IST

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