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पीड़िता ने हाई कोर्ट में पेश होकर कहा, फर्जी है शपथ पत्र - गर्भपात की अनुमति

करौली जिले में हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पीड़िता ने हाई कोर्ट के आदेश पर अदालत में पेश होकर कहा है कि, पेश किया गया समझौते का शपथ पत्र फर्जी है. जिसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 30 जून तक टाल दी है. वहीं अन्य दुष्कर्म पीड़िताओं की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने गर्भपात की अनुमति दी है.

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करौली जिले में हुए सामूहिक दुष्कर्म की सुनवाई

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Published : Jun 22, 2020, 9:11 PM IST

जयपुर. करौली जिले में हुए सामूहिक दुष्कर्म के मामले में हाईकोर्ट के आदेश की पालना में पीड़िता अदालत में पेश हुई. उसने अदालत को बताया कि, आरोपियों की ओर से उसके नाम से पेश किया गया समझौते का शपथ पत्र फर्जी है. पीड़िता के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई 30 जून तक टाल दी है.

अवकाशकालीन न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी के समक्ष पीड़िता ने कहा कि, उसने आरोपियों से कोई समझौता नहीं किया है और न ही उसे उसका बच्चा लौटाया गया है. आरोपियों ने मिलीभगत कर उसकी ओर से शपथ पत्र पेश किया है.

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गौरतलब है कि, कैलाश चंद्र अग्रवाल और अन्य आरोपियों की ओर से जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में पीड़िता का शपथ पत्र पेश किया गया था. जिसमें कहा गया था कि, पीड़िता ने उनसे समझौता कर लिया है और वह उन पर आगे कार्रवाई भी नहीं चाहती है. इस पर अदालत ने पीड़िता को 22 जून को पेश की जानकारी देने को कहा था.

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गर्भपात की अनुमति

वहीं हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के दो अलग-अलग मामलों में पीड़िताओं को गर्भपात की अनुमति दी है. अदालत ने दोनों ही मामलों में भ्रूण को सुरक्षित रखने को कहा है. अवकाशकालीन न्यायाधीश अभय चतुर्वेदी की एकलपीठ ने यह आदेश पीड़िताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान संबंधित चिकित्सालयों की ओर से मेडिकल रिपोर्ट पेश की गई. जिसमें बताया गया कि, पीड़िताओं के करीब 21 सप्ताह का गर्भ और गर्भपात करना पूरी तरह सुरक्षित रहेगा. इस पर अदालत ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर गर्भपात करने की अनुमति देते हुए भ्रूण को सुरक्षित रखने को कहा है.

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