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'सरकार किसान विरोधी, आर्थिक दिवालियापन के चलते किसानों का बीमा का पैसा भी नहीं जमा कराया' - Uproar in rajasthan assembly

राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को हंगामे और कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी रहा. वासुदेव देवनानी आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार किसान कल्याण की बातें तो करती है, लेकिन वास्तव में किसान के हित की परवाह सरकार को नहीं है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर सदन में हंगामा, rucks in the house regarding Prime Minister's crop insurance scheme
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर सदन में हंगामा

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Published : Mar 6, 2020, 1:37 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में प्रधानमंत्री फसल बीमा के जुड़े सवाल पर हंगामा हुआ और सदन में शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप का दौर सदन के बाहर भी जारी रहा. कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने जहां प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसी भी कट ऑफ डेट होने की बात से इनकार किया तो वहीं भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा पहले कृषि मंत्री बीमा कंपनियों के प्रावधान देख लें और फिर बयान दें.

प्रदेश सरकार पर भाजपा विधायक देवनानी ने साधा निशाना

वासुदेव देवनानी ने ही प्रश्नकाल में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ा सवाल लगाया था. जिसके जवाब के बाद सदन में हंगामा हुआ और सदन की कार्यवाही 1 घंटे के लिए स्थगित करना पड़ी. देवनानी का आरोप है कि प्रदेश सरकार किसान कल्याण की बातें तो करती है, लेकिन वास्तव में किसान के हित की परवाह सरकार को नहीं है.

पढ़ें-फसल बीमा योजना पर सदन में भाजपा-कांग्रेस के बीच नोकझोंक, हंगामे की भेंट चढ़ा प्रश्नकाल

देवनानी ने कहा कि किसानों को बीमा प्रीमियम का अंश जमा कराना होता है और केंद्र और राज्य सरकार का अंश जमा होने के बाद उसे प्रधानमंत्री बीमा योजना का फायदा मिलता है. लेकिन प्रदेश में पिछली बार किसान और केंद्र का अंश तो जमा हो गया लेकिन राज्य सरकार का अंश जमा नहीं होने के चलते 37 लाख 82 हजार किसानों को बीमा का लाभ नहीं मिल पाया, इसके लिए सीधे तौर पर प्रदेश सरकार जिम्मेदार है.

देवनानी ने यह भी कहा कि जब इस सिलसिले में सदन में विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहा था, तब सदन के नेता यानी मुख्यमंत्री भी मौन धारण किए हुए बैठे थे. देवनानी ने आरोप लगाया कि अब भी सरकार को 2115 करोड़ रुपए जमा कराना है. लेकिन किसान कल्याण कोष में महज 500 करोड़ रुपए ही मौजूद है. ऐसे में सरकार की किसानों के हितों से जुड़ी कोई मंशा है ही नहीं.

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