जयपुर/श्रीगंगानगर.14 फरवरी यानि कि वैलेंटाइन डे (Valentine Day 2022), फरवरी को अगर हम प्यार का महीना भी कहें, तो शायद ठीक ही होगा. क्योंकि इसी महीने में लोगों का प्यार परवान चढ़ता है. कुछ प्रेम कहानियां बहुत ही जटिल होती हैं, तो कुछ बहुत ही साधारण. प्यार की बात हो और प्यार में मर-मिटने वाले इन दो शख्स का जिक्र ना हो, ऐसा मुमकिन ही नहीं है. इस वैलेंटाइन, ईटीवी भारत आपके लिए लेकर आया है, कहानी दो प्रेमियों की. जिनका शरीर भले ही अलग रहा, लेकिन दोनों की आत्मा एक थी. यह कहानी है लैला और मजनू (Love Story of Laila Majnu) की.
लैला और मजनू के बारे में तो हम सभी ने सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर दोनों की शादी क्यों नहीं हो पाई. वैसे लैला-मजनूं का इतिहास भारत से जुड़ा है. बताया जाता है कि दोनों ने अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हे पाकिस्तान बॉर्डर से महज 2 किमी दूर राजस्थान की जमीन पर ही गुजारे थे. यही नहीं इनकी यहां पर एक मजार भी बनी है, जो श्रीगंगानगर जिले में आज भी स्थित है. अनूपगढ़ तहसील के गांव बिंजौर में बनी इस मजार पर प्यार करने वाले मन्नतें लेकर आते हैं.
7वीं सदी से रखते हैं ताल्लुक:लैला-मजनू की कहानी 7वीं सदी की है. उस समय अरब के रेगिस्तानों में अमीरों का बसेरा हुआ करता था. उन्हीं अमीरों में से अरबपति शाह आमरी के घर कैस ने जन्म लिया. कैस के जन्म की खुशी में घरवालों ने जश्न रखा. इस जश्न में एक ज्योतिषी आए. उन्होंने कैस को देखने ही भविष्यवाणी कर दी कि, यह बालक बड़ा होकर प्रेम रोग में पड़ने वाला है. या यूं कहें, तो अरबपति शाह आमरी के बेटे कैस की किस्मत में यह प्रेम रोग हाथ की लकीरों में ही लिखा था. ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की थी कि आने वाले समय में कैस प्रेम दीवाना होकर दर-दर भटकता फिरेगा.
यह भी पढे़ं-दिल के एहसास को जुबां पर लाने का दिन 'वैलेंटाइन डे', कपल्स ने कुछ यूं किया मोहब्बत का इजहार
इसके बाद क्या था, ज्योतिषियों की भविष्यवाणी को झुठलाने के लिए शाह अमारी ने खूब मन्नतें मांगी. मजारों में खुदा को मनाया, ताकि अपने बेटे को इस प्रेम रोग से बचा सके, लेकिन हुआ वहीं जो खुदा को मंजूर था. कुदरत ने अपना खेल दिखाया. दूसरी तरफ अरब देश का एक और शाही खानदान, जहां एक छोटी बच्ची लैला का जन्म हुआ, मानों इसे खुदा ने कैस के लिए ही भेजा हो. लैला को नाजो से किसी राजकुमारी की तरह ही पाला गया था. वह देखने में भी काफी सुंदर थी. लैला के घर में उसके माता-पिता और एक भाई था.
दमिश्क के मदरसे में हुई पहली मुलाकात:कैस जब अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर रहा था. तब दमिश्क के मदरसे में उसी जगह लैला भी आया करती थी. लैला को देखते ही कैस को उससे मोहब्बत हो गई. लैला और कैस बचपन में ही एक-दूसरे की ओर खिंचते चले गए. कैस और लैला साथ-साथ में तालिम ले रहे थे. मदरसे के मौलवी ने उन्हें कई दफा टोका कि दोनों तालिम में ध्यान दें. लेकिन कैस की नजर कभी लैला से हटती ही नहीं थी. कैस की मोहब्बत इस कदर बढ़ती गई कि वह तालिम में भी लैला का ही जिक्र करने लगा. ऐसा करने से उसे कई बार रोका भी गया. लेकिन वह नहीं माना और लैला के प्यार में खोता गया. कैस की मोहब्बत देखकर लैला को भी उससे इश्क हो चला था. प्यार ऐसा कि तकलीफ एक को होती तो दर्द दूसरे को महसूस होता. जब मार कैस को पड़ती तो दर्द लैला को भी महसूस होता था.
यह भी पढे़ं-स्पेशल: धोरों की धरती में आज भी गूंज रही है बेइंतहा प्यार के प्रतीक मूमल-महेन्द्रा की प्रेम गाथा
जब 'अल्लाह' की जगह कैस लिखने लगा लैला:एक बार मौलवी ने जब कैस को अल्लाह लिखने को कहा, तो उसने बजाए अल्लाह लिखने के लैला लिख दिया. मौलवी के बार-बार कहने पर भी कैस ने उनकी बात नहीं मानी और लैला-लैला लिखता गया. इस बात पर गुस्साए मौलवी ने उसे सजा के तौर पर मारना शुरू किया. जिसके निशान लैला के हाथों पर भी पड़ने लगे. यह देखकर मौलवी भी अचंभित हो गए और यह बात दोनों के घरवालों को बता दी. यह बात जब मौलवी ने दोनों के घरवालों को बताई को दोनों को अलग कर दिया गया. इसके साथ ही दोनों बचपन में ही बिछड़ गए और काफी दिनों तक एक-दूसरे से चाहकर भी नहीं मिल पाए.
समय बीता, मोहब्बत नहीं:वक्त बढ़ता गया. लैला और कैस अब बड़े हो चुके थे. एक-दूसरे से ना मिलकर दोनों बस एक- दूसरे की यादों में ही खोए थे. लैला बड़ी होकर बला की खूबसूरत हो चुकी थी. कैस भी किसी गबरू मुंडे से कम नहीं था.
....जब एक बार फिर हुई मुलाकात :एक बार लैला और कैस दोनों एक ही मेले में पहुंचे. कैस की निगाहें लैला को ही ढूंढ रही थी. यहां दोनों ने एक-दूसरे को देखते ही पहचान लिया. लैला का दीदार पाकर कैस उस दिन बहुत खुश हुआ. लैला भी अपने बचपन के प्यार को देखकर उतनी ही खुश थी, मानों किसी पंछी को उसके टूटे हुए पंख मिल गए हो. दोनों किनारे जाकर पेड़ के नीचे सुकून की तलाश में एक-दूजे में खो गए और इस प्रकार दोनों का प्यार परवान चढ़ता गया. कैस लैला के लिए शायरी लिखने लगा. लैला और कैस बस एक-दूसरे में खो चुके थे. उन्हें न समाज की परवाह थी, न अपने घरवालों की.