जयपुर.तुलसी, गिलोय, अश्वगंधा और कालमेघ को आयुर्वेद चिकित्सा में दिव्य औषधियों में शामिल है. इन औषधियों को ताजा इस्तेमाल करना गुणकारी होता है. यही वजह है कि अब गहलोत सरकार घर-घर तक इन औषधीय पौधों को पहुंचा रही है. हालांकि, इनका औषधीय प्रयोग करने से पहले चिकित्सकीय सलाह आवश्यक है.
कोरोना काल में आयुर्वेदिक औषधीय पौधों से इम्यूनिटी बढ़ाने के उपयोग को देखते हुए राज्य सरकार (Rajasthan Government) घर-घर औषधीय पौधे वितरण करने जा रही है. तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय और कालमेघ जैसे पौधों को हर घर तक पहुंचाने की कवायद है. इसका क्या फायदा है. इसे लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ आयुर्वेद वैद्य श्रवण कुमार से खास बातचीत की.
कैंसर जैसी गंभीर बीमारी में भी इस्तेमाल होती है तुलसी
धार्मिक आस्था के कारण घरों में तुलसी का पौधा मिल ही जाता है. तुलसी मुख्य रूप से दो प्रकार श्री तुलसी और श्यामा तुलसी होती है. इसका लैटिन नाम 'ओसिमम सैंकटम' है. ये संक्रमण के प्रति, रोग क्षमत्व शक्ति कारक है. सर्दी, जुकाम, खांसी, वायरल बुखार, मलेरिया बुखार, माइग्रेन का दर्द, साईनुसाईटिस, वात व्याधि, गठिया रोग, उच्च रक्तचाप में कारगर है. इसके अलावा यौन रोग में भी तुलसी काम करती है. छोटे कीड़े काटने पर तुलसी को पीसकर लगाने से भी तुरंत राहत मिलती है. यही नहीं तुलसी का प्रयोग कैंसर जैसे जटिल बीमारी में भी दही के साथ किया जाता है. तुलसी के साथ-साथ गिलोय का काढा बनाकर कोरोना काल में आम जनता को भी दिया गया था.
अंतरंग ज्वर के लिए कारगर औषधि है गिलोय
गिलोय रसायन औषधि है. ये बेल होती है और किसी दीवार, पिल्लर, या दूसरे पेड़ के उपर चढ़ती है. ये बहुत जल्दी बढ़ने वाली लता है. जिस पेड़ पर चढ़ती है. उसके भी औषधीय गुण इसमें समाहित हो जाते हैं. अधिकतर नीम पर आरोहित होती है, इसीलिए इसका प्रचलित नाम 'नीम गिलोय' है. इसका लैटिन नाम 'टिनोस्पोरा कोरडिफोलिया' है. कोरोना वायरस संक्रमण काल में प्रतिषेधात्मक रूप में डंठल का काढ़ा घर-घर में सेवन किया गया.
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