जयपुर. कांग्रेस पार्टी राजस्थान में बीते वर्ष राजनीतिक चुनौतियों के बीच घिरी रही. सरकार बचाने और संगठन के बीच तालमेल बैठाने में फंसी कांग्रेस सरकार के खेवनहार सालभर उलझनों को सुलझाने में लगे रहे. भले ही उस घटनाक्रम को अब 6 महीने का समय हो चुका हो, लेकिन हालात अब भी विपरीत ही बने हुए हैं.
कांग्रेस पार्टी सत्ताधारी दल होने के बावजूद चुनौतियों का सामना कर रही है. ये चुनौतियां साल 2021 में भी राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के सामने सिर उठाए खड़ी हैं. हालात यह है कि राजस्थान में चाहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हो, सेवादल अध्यक्ष हो, यूथ कांग्रेस अध्यक्ष हो सभी राजनीतिक उठापटक के चलते बदले गए हैं. अभी हालात यह है कि यूथ कांग्रेस को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश कांग्रेस समेत तीनों अग्रिम संगठनों के पास उनकी कार्यकारिणी ही नहीं है. प्रदेश कार्यकारिणी 31 दिसंबर गठित होनी थी, लेकिन अब उसमें भी समय लगता दिखाई दे रहा है. वहीं प्रदेश कांग्रेस के सामने नए साल में राजनीतिक नियुक्तियों, मंत्रिमंडल विस्तार, विधानसभा उपचुनाव के साथ ही 20 जिलों के स्थानीय निकाय चुनाव भी बड़ी चुनौती साबित होने वाली है.
कार्यकारिणी का गठन बड़ी चुनौती
प्रदेश में कांग्रेस के सामने प्रदेश कार्यकारिणी का गठन बड़ी चुनौती बनी हुई है. इससे पार पाना प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के लिए भी आसान नजर नहीं आ रहा है. 14 जुलाई को गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बने थे. करीब 6 महीने बाद भी वह अकेले ही राजस्थान कांग्रेस की कमान हाथ में लिए हुए हैं. हालांकि प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन ने 31 दिसंबर को प्रदेश कांग्रेस कार्यकारिणी के गठन के लिए अंतिम दिन तय किया था, लेकिन अब नए साल में ही कार्यकारिणी का गठन होगा.
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कार्यकारिणी के गठन में सबसे बड़ा चिंता का सबब यह है कि जहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष खुद स्वीकार कर चुके हैं कि उनके पास करीब 800 आवेदन कार्यकारिणी में शामिल होने के लिए नेताओं के आए थे. लेकिन उन्हें फिलहाल 30 से 35 लोगों की कार्यकारिणी ही बनानी है. ऐसे में पीछे छूटने वाले नेता निश्चित तौर पर नाराज होंगे और उस नाराजगी से पार पाना कांग्रेस के लिए और खुद प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा के लिए एक काफी मुश्किलों भरा हो सकता है. हालांकि नाराजगी से पहले गोविंद डोटासरा के सामने पहली चुनौती अपनी प्रदेश कार्यकारिणी घोषित करना ही होगा.
राजनीतिक नियुक्ति टेढ़ा मामला
राजनीतिक नियुक्तियां प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती होगा. विधानसभा चुनाव जीतने के बाद से ही कांग्रेस कार्यकर्ता यह आस लगाए बैठा है कि उसे राजनीतिक नियुक्तियां मिलेंगी. लेकिन अब सरकार के 2 साल पूरे होने के बावजूद भी कांग्रेस कार्यकर्ता के हाथ खाली हैं. वही, राजनीतिक नियुक्तियां करने में कांग्रेस के सामने चुनौती यह भी है कि अगर वह कांग्रेस कार्यकर्ता को यह राजनीतिक नियुक्तियां दे देंगे तो फिर उन विधायकों का क्या होगा, जिन्होंने सरकार बचाने में अपना पूरा योगदान दिया था.