जयपुर.कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के संकट में दिव्यांगजनों को आर्थिक सहायता नहीं मिली है. जिस वजह से मुख्य दिव्यांगजन आयुक्त ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. आयोग की ओर से ये रिमाइंडर नोटिस है. जिसमें 15 दिन में जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं. इससे पहले 6 मई को आयोग ने एक महीने का नोटिस जारी कर पूछा था कि आखिर केंद्र सरकार ने कोरोना के संकट में दिव्यांगजनों को सरकार की ओर से आर्थिक मदद क्यों नहीं मिली. लेकिन एक महीना बितने के बाद भी केंद्र सरकार ने कोई जवाब नही दिया था.
कोरोना संकट में नही मिली दिव्यांगों को आर्थिक मदद दिव्यांग अधिकार महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोयल ने बताया कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान केंद्र सरकार ने दिव्यांगजनों को एक-एक हजार रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी. यह राशि केंद्र सूची के दिव्यांगजनों को दी गई थी. वहीं, जो हजारों दिव्यांग राज्य सूची में शामिल थे वो इससे वंचित रह गए. इसको लेकर प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी गई थी. लेकिन इसके बावजूद दिव्यांग जनों को कोई राहत नहीं मिली. हालांकि पहले भी एक नोटिस दिया गया था. जिसके बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई थी. इस पर अब एक बार फिर आयोग ने 15 दिन का नोटिस जारी करके सरकार से जवाब मांगा है.
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बता दें कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण कौशल पैकेज में 1 लाख 70 हजार करोड़ रुपए की आर्थिक मदद जारी की गई थी. लेकिन दिव्यांग जनों के खाते में महज 70 करोड़ रुपए ही आए. इस को लेकर दिव्यांग अधिकार महासंघ ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. दिव्यांग अधिकार महासंघ के उपाध्यक्ष हेमंत भाई गोविंद बताते हैं कि कोरोना की वजह से दिव्यांगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा और ऐसे वक्त में इन्हें सरकार की तरफ से भी कोई सहायता नहीं मिली.
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हेमन्त भाई गोयल ने बताया कि इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को पत्र लिखा. जिसमें उन्होंने कहा कि कोरोना की इस वैश्विक महामारी के वक्त दिव्यांग, महिला और गरीब वर्ग को आर्थिक संबल देने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पैकेज दिया जा रहा है. उसमें दिव्यांगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. देश के 10% दिव्यांगों को ही इसका लाभ दिया जा रहा है जबकि 90% दिव्यांग योजना का लाभ नहीं ले पा रहा हैं. दिव्यांग अधिकार अधिनियम के तहत 40 फीसदी से अधिक विकलांग प्रमाणित होने पर उस व्यक्ति को इस अधिनियम के तहत आने वाले सभी लाभ मिलना अनिवार्य है. लेकिन मौजूदा स्थिति में इस नियम की पालना नहीं की जा रही है.