जयपुर. धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा को अब तक की सबसे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. हार हुई तो वसुंधरा राजे समर्थक पूर्व विधायक भवानी सिंह राजावत ने प्रदेश की कमान राजे के हाथ में देने का बयान भी दे डाला लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को शायद इसका एहसास पहले से था. यही कारण है कि हार पर उन्होंने अपने बयान में यह भी कह डाला कि जब हम सत्ता में थे, तब भी हम उपचुनाव में पराजय से सबक लेकर आगे बढ़े हैं.
सत्ता में थे मतलब निशाना वसुंधरा राजे सरकार पर
सतीश पूनिया का यह बयान कई मायनों में महत्वपूर्ण है. इसके अलग-अलग सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. पूनिया को इस बात का शायद अहसास था कि अलवर, धौलपुर पंचायत राज चुनाव के बाद उपचुनाव में मिली हार से उनके विरोधी मुखर होंगे. शायद इसीलिए उन्होंने अपने बयान में इस बात का भी एहसास करा दिया कि अभी तो भाजपा विपक्ष में है लेकिन जब सत्ता में थी तब भी उपचुनाव में बीजेपी हारी थी. मतलब मौजूदा हार को लेकर प्रदेश भाजपा नेतृत्व पर उंगली उठाने वालों को पूनिया ने पहले ही अपने इस बयान के जरिए बहुत कुछ सियासी मैसेज दे डाला.
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उपचुनाव से गायब रही थी वसुंधरा राजे, क्या इस तरह की हार का था एहसास
पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव से पूरी तरह दूर रहीं. यही नहीं अलवर और धौलपुर पंचायत राज चुनाव में भी वसुंधरा राजे की कोई भागीदारी नहीं दिखी. आलम यह रहा कि उपचुनाव के लिए बनाए गए स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल होने के बावजूद वसुंधरा राजे ने इन दोनों ही उप चुनाव क्षेत्रों में अपना रुख नहीं किया. अब सियासी गलियारों में यही चर्चा है कि क्या वसुंधरा राजे को भाजपा की इस संभावित हार का पहले से एहसास था, जो उन्होंने उपचुनाव से दूरी बनाए रखी.
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भाजपा की इतनी करारी हार की उम्मीद शायद पूनिया और कटारिया को भी ना होगी
राजस्थान में दो दलीय व्यवस्था होने के बावजूद वल्लभनगर में भाजपा प्रत्याशी चौथे स्थान पर और धरियावद में तीसरे स्थान पर रहा. उपचुनाव में हार तो हुई लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने इसकी कल्पना नहीं की होगी. इतनी करारी हार भाजपा को राजस्थान में मिलेगी.