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Sakat Chauth 2022: संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है व्रत, इस बार बन रहे यह खास योग

Sakat Chauth 2022 : माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट (संकष्टी) चतुर्थी कहते हैं. इस दिन प्रसाद के रूप में तिलकुटे का भोग लगाने के कारण इसे तिलकुटा चौथ और माही चौथ भी कहा जाता है. इस बार सकट चतुर्थी का व्रत 21 जनवरी को है.

Sakat Chauth 2022
Sakat Chauth 2022

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Published : Jan 19, 2022, 11:55 AM IST

जयपुर. माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट (संकष्टी) चतुर्थी (Sakat Chauth 2022) कहते हैं. इस दिन प्रसाद के रूप में तिलकुटे का भोग लगाने के कारण इसे तिलकुटा चौथ और माही चौथ भी कहा जाता है. इस बार सकट चतुर्थी का व्रत 21 जनवरी को है. सकट चतुर्थी भगवान गणेश की आराधना का पर्व है. महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और जीवन में सुख-समृद्धि की कामना के लिए यह व्रत करती हैं. इस दिन सभी माताएं भगवान गणेश का व्रत और पूजन करती हैं. सकट चतुर्थी व्रत के पूजन में काले तिल का विशेष स्थान होता है. इस साल सकट चतुर्थी का व्रत 21 जनवरी को रखा जाएगा. सकट चतुर्थी व्रत के दिन इस बार विशिष्ट संयोग का निर्माण हो रहा है जो कि पूजन के लिए विशेष फलदायी है.

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पंचांग गणना के अनुसार चतुर्थी तिथि 21 जनवरी को सुबह 8:52 बजे से शुरू होगी जो 22 जनवरी को सुबह 9:14 बजे तक रहेगी. सकट चतुर्थी का व्रत (Sankashti Chaturthi 2022) 21 जनवरी को रखा जाएगा. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल सकट चतुर्थी का व्रत सौभाग्य योग में शुरू हो रहा है जो 21 जनवरी को 03:05 बजे तक रहेगा. इसके बाद शोभन योग लग जाएगा. ये दोनों ही योग गणेश पूजन के लिए अति शुभ हैं. गणेश पूजन दिन में करने का विधान है, इस लिए सौभाग्य योग में 03:05 बजे तक पूजन करना शुभ रहेगा. सकट चतुर्थी तिथि पर व्रत रखने के बाद चंद्रमा का दर्शन अवश्य किया जाता है. ऐसे में 21 जनवरी की रात को सकट चौथ पर चंद्रमा 09 बजकर 05 मिनट पर उदय होंगे. जो महिलाएं सकट चौथ का व्रत रखेंगी. वे पूजा के बाद चंद्रमा के दर्शन करते हुए जल अर्पित करें.

गणेश मंत्र का जाप करते हुए 21 दूर्वा अर्पित करने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं: सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद लाल वस्त्र पहनकर भगवान गणेश की पूजा (ganesh ji puja on sakat chauth) करनी चाहिए. भगवान गणेश की पूजा करने के लिए मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति दोनों होनी चाहिए. पूजा में गणेश मंत्र का जाप करना बेहद फलदाई बताया गया है. गणेश मंत्र का जाप करते हुए 21 दुर्वा भगवान गणेश को अर्पित करनी चाहिए. पूजा के बाद रात में चांद को अर्घ्य दें फिर फलहार करते हुए व्रत का पारण करें.

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