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आरयू के 147 शिक्षकों का प्रोबेशन पीरियड बढ़ाने के फैसले पर बवाल

राजस्थान विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर स्थायीकरण की मांग को लेकर कुलपति सचिवालय में डटे रहे. पहले वार्ता के दौरान हंगामा और फिर कुलपति का घेराव किया. समाधान नहीं निकलने पर मंगलवार देर शाम तक कुलपति को भी सचिवालय में ही रोके रखा. आखिर में सिंडिकेट की बैठक में शिक्षकों के प्रोबेशन पीरियड को लेकर लिया गया एकतरफा फैसला वापस लेने पर सहमति बनने के बाद मामला शांत हुआ.

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प्रोबेशन पीरियड बढ़ाने के फैसले पर बवाल

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Published : Oct 14, 2020, 11:13 AM IST

जयपुर.साल 2018 में राजस्थान विश्वविद्यालय में एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती की गई थी, जिनमें 147 शिक्षकों को नियुक्ति दी गई. लेकिन मई 2020 में इन शिक्षकों का प्रोबेशन पीरियड पूरा होने के बाद भी स्थायीकरण नहीं किया गया. शिक्षक अपने स्थायीकरण और वेतन नियमितीकरण की मांग को लेकर लगातार यूनिवर्सिटी प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं.

प्रोबेशन पीरियड बढ़ाने के फैसले पर बवाल

वहीं बीते दिनों सिंडिकेट की बैठक में इन शिक्षकों पर एक तरफा फैसला लेते हुए प्रोबेशन पीरियड 6 महीने और बढ़ा दिया गया. साथ ही एक कमेटी का भी गठन किया गया, जिसमें नियुक्त हुए शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच की बात कही गई. इसके चलते शिक्षकों में रोष व्याप्त है. आक्रोशित शिक्षक कुलपति राजीव जैन से वार्ता करने पहुंचे. मांगों को लेकर करीब 5 घंटे तक वीसी सचिवालय में वार्ता का दौर चला. लेकिन इस वार्ता में हंगामा ज्यादा देखने को मिला. बाद में एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसरों के समर्थन में विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर भी उतर आए और कुलपति का घेराव किया.

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इस दौरान कुलपति ने कई बार सचिवालय से बाहर निकलने की कोशिश की. लेकिन शिक्षकों ने कुलपति का रास्ता रोक बाहर जाने से रोके रखा. शिक्षकों ने आरोप लगाते हुए कहा कि मई 2020 में प्रोबेशन पीरियड पूरा हो चुका है. लेकिन उसके बाद भी यूनिवर्सिटी प्रशासन अपनी मनमर्जी कर रहा है और सिंडिकेट की बैठक में शिक्षकों का प्रोबेशन पीरियड 6 महीने और बढ़ा दिया. साथ ही उनके दस्तावेजों की जांच के लिए एक कमेटी बैठा दी है.

यही नहीं बीते दिनों कोरोना के चलते यूनिवर्सिटी के एक असिस्टेंट प्रोफेसर का निधन भी हो गया. ऐसे में प्रोबेशन काल बढ़ाने के चलते उनके परिवार को मिलने वाला लाभ भी नहीं मिलेगा. हालांकि रात करीब 9:00 बजे रजिस्ट्रार और कुलपति की वार्ता के बाद सिंडिकेट में लिए गए फैसले को वापस लेने पर सहमति बनी, जिसके बाद जमा हुए शिक्षकों ने अपना धरना खत्म किया.

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