जयपुर. प्रदेश में अब सरकारी भवनों की छतों पर भी निजी कंपनियां सौर ऊर्जा का उत्पादन करेंगी. अक्षय ऊर्जा निगम के 'रेस्को मॉडल' के जरिए ये संभव हो सकेगा. खास बात ये है कि जिन सरकारी विभागों ने अपने कार्यालयों में अबतक रूफटॉप सोलर प्लांट नहीं लगवाए थे वे भी अब रूफटॉप सोलर प्लांट के जरिए सौर ऊर्जा प्लांट लगवाने के लिए संपर्क कर रहे हैं.
30 प्रतिशत अनुदान की छूट से जुड़ी योजना का कम विभागों ने लिया लाभ
दरअसल सरकार और अक्षय ऊर्जा निगम ने जब रूफटॉप सोलर प्लांट को लेकर राजस्थान में पहल की थी, तब ये उम्मीद थी कि कम से कम सरकारी विभागों के कार्यलयों की छतों पर तो इसकी शुरुआत होगी. रेस्को मॉडल से पूर्व भारत सरकार की ओर से फरवरी 2015 से मार्च 2017 तक सरकारी भवनों पर रूफटॉप सोलर प्लांट लगवाने पर 30% अनुदान प्रदान किया जाता था. उस दौरान कुछ डिपार्टमेंट इसके लिए आगे भी आए जिन्हें शुरुआत में रूफटॉप प्लांट लगवाने पर 30% सब्सिडी की छूट भी सरकार से मिली. हालांकि तब भी अधिकतर विभागों ने इसमें कम ही रुचि दिखाई.
यही कारण है कि मार्च 2017 तक राजस्थान के महज 26 बड़े सरकारी भवनों पर ही 30% सब्सिडी योजना के तहत रूफटॉप सोलर प्लांट लगाए जिसमें मुख्यमंत्री आवास, मुख्यमंत्री ऑफिस, उदयपुर नगर निगम, अजमेर नगर निगम, जोधपुर नगर निगम, भरतपुर नगर निगम, राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम हीरापुरा कार्यालय जयपुर अरण्य भवन जयपुर स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल एसएमएस स्टेडियम जयपुर, अपेक्स बैंक लाल कोठी जयपुर, आरआरईसीएल जयपुर, रीको जयपुर के 2 कार्यालयों, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड मैन बिल्डिंग,राजस्थान हाउसिंग बोर्ड क्यूसी लैब जयपुर, आरएसएमएमएल उदयपुर, अजमेर विकास प्राधिकरण कार्यालय, सीकर कलेक्ट्रेट कार्यालय, सीटीआई उदयपुर भवन और बीकानेर पशु विज्ञान विश्वविद्यालय भवन आदि में यह रूफटॉप सोलर प्लांट लगवाए गए. हालांकि राजस्थान में सरकारी भवनों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है. मतलब साफ था कि अधिकतर विभागों ने अपने कार्यालय में इस योजना के तहत सोलर प्लांट लगवाने में रुचि नहीं दिखाई.
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ये है रेसको मॉडल की खासियत...