जयपुर. रीट पेपर लीक प्रकरण में शिक्षा संकुल से पेपर लीक करने वाली अहम कड़ी को दबोचने के बाद अब एसओजी उन तथ्यों की गहनता के साथ पड़ताल करने में जुट गई है जिसके चलते बड़ी आसानी के साथ पेपर लीक किया गया. रीट भर्ती परीक्षा को लेकर राजस्थान पुलिस ने पूरे प्रदेश में सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए थे लेकिन इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी चूक यह रही कि शिक्षा संकुल में रखे गए पेपर की सुरक्षा में पुलिस का कोई भी गार्ड (Police guards were not deployed on education complex) तैनात नहीं था.
यानी कि शिक्षा संकुल के स्ट्रांग रूम में रखे गए पेपर की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी प्राइवेट व्यक्तियों को सौंपी गई. यही कारण रहा कि पुलिस को पेपर लीक करने वाले मुख्य आरोपी तक पहुंचने में चार महीने का समय लग गया.
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जिस लिफाफे से पेपर लीक हुआ उसे लेकर सेंटर संचालक ने नहीं जताई आपत्ति
रीट पेपर लीक प्रकरण में एसओजी तमाम तथ्यों की बारीकी से जांच करने में जुटी है. शिक्षा संकुल से राम कृपाल मीणा ने स्ट्रांग रूम से जिस लिफाफे को काटकर पेपर बाहर निकाला वह लिफाफा जिस परीक्षा केंद्र पर पहुंचा, उस केंद्र के संचालक ने लिफाफे के फटे होने और पेपर कम होने को लेकर किसी भी तरह की आपत्ति दर्ज नहीं करवाई. ऐसे में एसओजी इस बात की भी जांच कर रही है कि वह लिफाफा किस परीक्षा केंद्र पर पहुंचा और क्या उस परीक्षा केंद्र का संचालक भी पेपर लीक करने वाले गिरोह में शामिल है. इस संबंध में भी पुलिस गिरफ्त में आए राम कृपाल मीणा और उदाराम विश्नोई से पूछताछ करने में जुटी है.
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अनेक लोगों को लिया गया हिरासत में तो वहीं दर्जनों की तलाश जारी
रीट पेपर लीक प्रकरण में राम कृपाल मीणा और उदाराम विश्नोई को गिरफ्तार करने के बाद उनसे हुई पूछताछ में अनेक लोगों के नाम सामने आए हैं. इसके आधार पर एसओजी ने एक लंबी चौड़ी सूची तैयार की है जिसमें 2 दर्जन से अधिक लोगों के नाम शामिल हैं. शुक्रवार को इस पूरे प्रकरण से जुड़े हुए कुछ लोगों को एसओजी ने हिरासत में भी लिया है जिनसे पूछताछ की जा रही है. इसमें इस पूरी परीक्षा की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए कुछ प्राइवेट व्यक्ति भी शामिल हैं. वहीं, पेपर लीक करने वाली गैंग से जुड़े हुए दर्जनों लोगों की तलाश में एसओजी टीम संबंधित जिला पुलिस के सहयोग से छापेमारी भी कर रही है.
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सुरक्षा की प्रक्रिया का प्रोसीजर समझने अजमेर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड कार्यालय पहुंची एसओजी
रीट पेपर लीक प्रकरण में देर रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में हुई हाई पावर कमेटी की बैठक में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली को बर्खास्त करने का फैसला लिया गया. ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही एसओजी जारोली पर अपना शिकंजा कस सकती है क्योंकि जारोली की भूमिका इस पूरे प्रकरण में काफी संदिग्ध मानी जा रही है. प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षा में सुरक्षा की प्रक्रिया का क्या प्रोसीजर रहा यह जानने के लिए एसओजी की टीम शुक्रवार को अजमेर स्थित माध्यमिक शिक्षा बोर्ड कार्यालय पहुंची जहां पर जारोली के साथ ही अन्य अधिकारी व कर्मचारियों से भी पूछताछ की गई.
रीट जैसी महत्वपूर्ण परीक्षा में सुरक्षा के लिए सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति न कर प्राइवेट व्यक्तियों की नियुक्ति कर जिला कोऑर्डिनेटर और सिक्योरिटी ऑफिसर नियुक्त करना जारोली को शक के कठघरे में लाकर खड़ा कर रहा है. वहीं इस पूरे प्रकरण में जारोली की ओर से नियुक्त किए गए जिला कोऑर्डिनेटर प्रदीप पाराशर की भूमिका भी काफी संदिग्ध है और जल्द ही प्रदीप पाराशर पर भी एसओजी शिकंजा कस सकती है.
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अब तक प्रकरण में 35 लोगों की गिरफ्तारी
रीट पेपर लीक प्रकरण में एसओजी अब तक 35 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. इनमें पुलिसकर्मी, जेईएन, निजी स्कूल संचालक और अन्य व्यक्ति शामिल हैं. 26 सितंबर 2021 को राजस्थान में रीट भर्ती परीक्षा 2021 का आयोजन किया गया. परीक्षा से ठीक 2 दिन पहले जयपुर के शिक्षा संकुल में प्रश्नपत्रों की सुरक्षा में तैनात प्राइवेट व्यक्ति राम कृपाल मीणा ने स्ट्रांग रूम से पेपर लीक किया और 1.25 करोड़ रुपए में डील कर उदाराम विश्नोई को भेजा. उदाराम ने यह पेपर आगे डील कर भजनलाल विश्नोई सहित सात अन्य लोगों को भेजा.
भजनलाल विश्नोई ने 40 लाख रुपए में डील कर पेपर गिरोह के पृथ्वीराज मीणा को भेजा. पृथ्वीराज मीणा ने पेपर आगे बत्तीलाल मीणा को भेजा और बत्ती लाल मीणा ने पेपर संजय मीणा और आशीष मीणा को भेजा. संजय मीणा ने पेपर आगे दिलखुश मीणा को भेजा, जिसने पेपर कांस्टेबल देवेंद्र गुर्जर और यदुवीर गुर्जर को उपलब्ध करवाया. इसके साथ ही गिरोह से जुड़े हुए रवि पागड़ी, रवि जीनापुर, शिवा चकेरी व अन्य लोगों तक पेपर पहुंचा. जिन्होंने परीक्षा केंद्र के बाहर पेपर सॉल्व करवाने और पेपर खरीदने वाले अभ्यर्थियों तक उन्हें पहुंचाने का काम किया.