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'एक राष्ट्र एक राशन कार्ड' के तहत अब किसी भी राज्य में मिलेगा राशन

"एक राष्ट्र एक राशन कार्ड" योजना मोदी सरकार की महत्वपूर्ण योजना है. इस योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से जुड़ा हुआ लाभार्थी किसी भी राज्य से राशन ले सकेगा. रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाने वाले लाखों लोगों को राशन के लिए भटकना नहीं पड़े और उन्हें आसानी से मिल जाए, यही इस योजना का उद्देश्य है.

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Published : Jul 4, 2020, 9:33 PM IST

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अब किसी भी राज्य में मिलेगा राशन

जयपुर. मोदी सरकार द्वारा "एक राष्ट्र एक राशन कार्ड" योजना की शुरुआत जनवरी 2020 में की गई थी. लेकिन इसका ट्रायल 27 सितंबर 2019 को हुआ था. इस योजना के लिए राजस्थान और हरियाणा को कलेक्टर के रूप में चयन किया था. योजना के तहत चूरू जिले के राजगढ़ तहसील में रहने वाले व्यक्ति ने हरियाणा के हिसार से राशन लिया था और इसी तरह से हरियाणा में रहने वाले व्यक्ति ने चूरू जिले के राजगढ़ तहसील में राशन लिया था.

अब किसी भी राज्य में मिलेगा राशन

1 जून से पूरे देश में लागू हुई एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना

जनवरी 2020 में "एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना" की घोषणा के बाद 1 जून से इस योजना को पूरे देश में लागू कर दिया गया है. केंद्र की योजना के तहत 20 राज्यों में राशन की दुकानों से राशन बांटना भी शुरू कर दिया गया है. इन राज्यों के लोग एक दूसरे राज्यों में राशन ले सकेंगे. फिलहाल 20 राज्यों में राष्ट्रीय पोटेबिलिटी के तहत लोग राशन ले रहे हैं.

मार्च 2021 में जुड़ेंगे यह राज्य

एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना के तहत 20 राज्य को जोड़ा जा चुका है, शेष रहे राज्य 31 मार्च 2021 तक इस योजना से जुड़ेंगे. छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश दिल्ली, मेघालय, लद्दाख जम्मू कश्मीर, पुदुचेरी, अंडमान निकोबार, लक्षदीप और तमिलनाडु आदि 31 मार्च 2021 तक इस योजना से जुड़ेंगे.

इन उपभोक्ताओं को होगा फायदा

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 से जुड़े हुए पूरे देश में लाखों ऐसे उपभोक्ता हैं. जो रहते किसी और राज्य में और राशन कार्ड किसी और राज्य का है. इस कारण उन्हें राशन लेने में परेशानी का भी सामना करना पड़ रहा था. इसी तरह से राज्य में भी यही स्थिति थी. उपभोक्ता का राशन कार्ड किसी और जिले का था और वह रहता अन्य जिले में था. इसलिए वह राशन से वंचित हो जाता था.

16 राज्य इस योजना से जुड़े...

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ऐसे ही लाखों लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए मोदी सरकार ने एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना शुरू की है. अब ऐसे लाखों लोग बायोमेट्रिक तरीके से देश में किसी भी दुकान से राशन ले सकते हैं. पलायन करने वाले लाखों मजदूरों को इससे ज्यादा फायदा होगा. देश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत लाभार्थी मूल राज्य की इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल डिवाइस (ई-पीओएस) पर बायोमेट्रिक का आधार प्रमाण के बाद एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना का प्रयोग कर देश के किसी भी राज्य में किसी भी उचित मूल्य की दुकान से पात्रता के आधार पर गेहूं प्राप्त कर सकेगा.

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राजस्थान में पहले से ही लागू है पोर्टेबिलिटी

राजस्थान सहित कई ऐसे राज्य हैं, जहां पहले से ही राशन के लिए पोर्टेबिलिटी सुविधा लागू है. इस इंटर डिस्ट्रिक्ट पोटेबिलिटी योजना के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी उचित मूल्य की दुकान से राशन ले सकता है. सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में भ्रष्टाचार रोकने के लिए इंटर डिस्टिक पोर्टेबिलिटी को शुरू किया था. कई राशन डीलर लाभार्थी परिवार के गेहूं और केरोसिन आदि सामान को बाजार में बेच देते थे.

राशन डीलर अनपढ़ और बुजुर्ग लाभार्थी का ज्यादा फायदा उठाते थे. प्रत्येक लाभार्थी तक राशन पहुंचे इसीलिए बायोमेट्रिक पहचान से पीओएस मशीन से वितरण शुरू किया गया था. इंटर डिस्ट्रिक्ट पोर्टेबिलिटी के जरिए काफी हद तक भ्रष्टाचार करने वालों पर लगाम भी कसी गई है.

करोड़ों लोग करते हैं देश में पलायन

एक अनुमान के मुताबिक करोड़ों लोग ऐसे हैं जो एक दूसरे राज्य में किसी न किसी कारण से पलायन करते हैं. लाखों लोग मजदूरी और नौकरी आदि के कारण पलायन करते हैं. उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उड़ीसा, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु ऐसे राज्य हैं, जहां के लोग एक दूसरे राज्य में मजदूरी और रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं. 70 लाख से ज्यादा लोक निर्माण क्षेत्र में काम करते हैं जो लगातार पलायन करते हैं. इसी तरह से 50 लाख से ज्यादा लोग घरेलू नौकरी करते हैं. 22 लाख से ज्यादा लोग कपड़ा मिलों और 20 लाख से ज्यादा लोग बाहरी राज्यों में ईट भट्टों पर काम करते हैं जिन का पलायन निरंतर चलता रहता है.

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राजस्थान में अब तक 94 लोगों ने लिया लाभ

"एक राष्ट्र एक राशन कार्ड" योजना के तहत अब तक राजस्थान में 94 लोगों ने इसका लाभ लिया हैं. जनवरी में बाहरी राज्य के रहने वाले 34 लोगों ने राजस्थान में राशन लिया तो 9 लोगों ने अन्य राज्यों में राशन लिया. फरवरी में बाहरी राज्यों के पांच लोगों ने राशन लिया और राजस्थान के 10 लोगों ने अन्य राज्यों में राशन लिया. मार्च में बाहरी राज्यों के 14 लोगों ने राजस्थान और राजस्थान के एक व्यक्ति ने अन्य राज्य में राशन लिया.

94 लोगों को मिला लाभ...

उधर, अप्रैल में मात्र राजस्थान के 7 लोगों ने अन्य राज्यों में राशन लिया. इसी तरह से मई में भी राजस्थान के 5 लोगों ने अन्य राज्यों में राशन लिया. जून में अब तक राजस्थान के 9 लोग अन्य राज्यों में राशन ले चुके हैं. अप्रैल, मई और जून महीने में बाहरी राज्यों के एक भी व्यक्ति ने एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना का लाभ नहीं लिया. इस तरह से बाहरी राज्यों के कुल 53 और राजस्थान के 41 लोगों ने अन्य राज्यों से राशन लिया है.

क्या कहते हैं खाद्य मंत्री रमेश मीणा

खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा ने कहा कि राजस्थान में एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना जनवरी में ही शुरू हो गई थी, लेकिन कोविड 19 और स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के कारण बायोमैट्रिक सिस्टम बंद करना पड़ा था. जिसके कारण यह योजना प्रभावित हुई है. अब फिर से बायोमैट्रिक सिस्टम चालू कर दिया गया है और इससे "एक राष्ट्र एक राशन कार्ड" योजना आगे बढ़ सकेगी. उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना से खाद्य वितरण में पारदर्शिता आएगी. उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए किसी भी तरह की जागरूकता की आवश्यकता नहीं है. सभी लोगों को इसके बारे में पता है.1

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चलाएंगे जन जागरूकता अभियान

जयपुर शहर की जिला रसद अधिकारी कनिष्क सैनी ने कहा कि एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना के तहत हमें 350 ट्रांजेक्शन का टारगेट दिया गया है. फिलहाल इस योजना के तहत ट्रांजेक्शन कम है लोगों में जागरूकता की भी कमी है. इस योजना को लेकर जन जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा.

लॉकडाउन मे मजदूरों को हुई थी राशन को लेकर परेशानी

देशभर में कोविड-19 को लेकर घोषित लॉकडाउन के दौरान राशन को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी का सामना मजदूर वर्ग को करना पड़ा था. मजदूर वर्ग को लॉकडाउन में राशन नहीं मिला. क्योंकि मजदूर वर्ग दूसरे राज्यों के निवासी थे. राशन नहीं मिलने के कारण उन्होंने अपने घर की ओर पलायन भी किया. भूखे मरने के डर से लाखों मजदूरों ने अपने-अपने राज्य पलायन कर गए थे और रास्ते में भी उन्हें खाने-पीने के लिए परेशान होना पड़ा था. इसे देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को कहा था कि एक "राष्ट्र एक राशन कार्ड" योजना की तरफ ध्यान दें ताकि कोविड 19 महामारी के कारण पलायन करने वाले मजदूरों को कम दाम पर अनाज मिल सके.

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