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राजेंद्र राठौड़ ने लिखा केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को पत्र, राजस्थान में लैब लगाने की मांग

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Published : Jan 5, 2021, 8:32 PM IST

राजस्थान में तेजी से पैर पसार रहे 'बर्ड फ्लू' के चलते हो रही पक्षियों की मौतों को लेकर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह को पत्र लिखा है. पत्र के जरिए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से राजस्थान में विशेषज्ञों का एक दल भेजने सहित प्रदेश में वेटनरी आरटीपीसीआर लैब की स्थापना हेतु स्वीकृति देने की मांग की है.

Rajendra Rathore letter to Giriraj Singh, bird flu in Rajasthan
राजेंद्र राठौड़ ने लिखा केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को पत्र

जयपुर. प्रतिपक्ष के उप नेता राजेन्द्र राठौड़ ने केन्द्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह को पत्र लिखकर राजस्थान में तेजी से पैर पसार रहे 'बर्ड फ्लू' की विकराल स्थिति के मद्देनजर पक्षियों की असमय मृत्यु होने पर राजस्थान में विशेषज्ञों का एक दल भेजने सहित प्रदेश में वेटनरी आरटीपीसीआर लैब की स्थापना हेतु स्वीकृति देने की मांग की है.

राजेंद्र राठौड़ ने लिखा केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को पत्र

राठौड़ ने पत्र में कहा कि वर्तमान में देश वैश्विक महामारी कोरोना संकट की गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है. ऐसी विषम परिस्थितियों में अब 'बर्ड फ्लू' का नया संकट राजस्थान सहित अन्य राज्यों में तेजी से फैल रहा है, जो चिंता का विषय है. राजस्थान के झालावाड़, कोटा, बारां, जोधपुर, सीकर, नागौर, अजमेर, सवाई माधोपुर और जयपुर सहित विभिन्न जिलों में विगत 10 दिनों में सैकड़ों पक्षी 'बर्ड फ्लू' और अन्य कारणों से असमय काल कवलित हो गए हैं, जिसका सिलसिला अभी भी जारी है.

राठौड़ ने एक बयान जारी कर कहा कि 25 दिसंबर काे कोटा संभाग के झालावाड़ में काैओं की माैत का पहला मामला सामने आया था, जिसके बाद भाेपाल स्थित लैब में जांच के लिए भेजे गए सैंपल की रिपाेर्ट में मृत पाए गए कौवों में (एवियन इन्फ्लूएंजा) बर्ड फ्लू की पुष्टि की गई थी, जबकि अन्य सैंपलों की जांच रिपोर्ट आज दिनांक तक नहीं आई है. राज्य में विगत 10 दिनाें में अब तक 522 से अधिक पक्षियों की मौत हो चुकी है जिनमें कौए, काेयल, काॅमन डक, किंग फिशर और मेगपाई पक्षी और मुर्गियां भी शामिल है.

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बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत से पक्षी, वन्यजीव प्रेमियों और आमजन में निराशा व दहशत का माहौल व्याप्त है, जबकि इन दिनों शीतकालीन प्रवास के लिए सुदूर इलाकों से करीब 150 से ज्यादा प्रजातियों के हजारों देशी-विदेशी पक्षी भी प्रदेश में आए हुए हैं. जिनमें ब्लैक हेडेड गल, ग्रेट कोमोरेंट, ब्राउन हैडेड गल, बार हैडेड गूस प्रजातियां शामिल हैं.

राठौड़ ने कहा कि 'बर्ड फ्लू' वर्ष 2006 से 2015 तक देश में 28 बार फैल चुका है, जिससे देश के अलग-अलग राज्याें में 74.30 लाख पक्षियाें काे माैत हाे चुकी है. प्रदेश में 'बर्ड फ्लू' की दस्तक के बाद राज्य के करीब 146 लाख मुर्गियों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. यह एक चिंता का विषय है कि अगर मुर्गियों में 'बर्ड फ्लू' का संक्रमण फैलता है, तो यह अधिक घातक साबित होगा. क्योंकि संक्रमित मुर्गियों से इंसानों में 'बर्ड फ्लू' वायरस के फैलने की ज्यादा संभावना बनी रहती है.

राठौड़ ने कहा कि नवंबर 2019 में देश की सबसे बड़ी पक्षी त्रासदी राजस्थान की सांभर झील में हुई थी, जिसमें करीब 25 हजार से ज्यादा प्रवासी पक्षियों की मौत हुई थी. अब दिसंबर 2020 में एक बार पुनः प्रदेश के विभिन्न जिलों में पक्षियों के काल कवलित होने का सिलसिला जारी हो गया है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से इसकी रोकथाम की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.

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राठौड़ ने कहा कि राजस्थान प्रदेश में विगत 10 दिनों के भीतर सैकड़ों पक्षी प्रशासनिक लापरवाही और अनदेखी की भेंट चढ़ चुके हैं. राज्य सरकार का पक्षियों की लगातार हो रही मौत की रोकथाम हेतु कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं दिख रहा है. राजस्थान में पशुपालन, स्वास्थ्य और वन विभाग में आपसी समन्वय की कमी से बर्ड फ्लू की रोकथाम हेतु कोई सुनियोजित योजना तक नहीं बन पाई है. राज्य का सरकारी अमला न सिर्फ इच्छाशक्ति, बल्कि संसाधनों के मोर्चे पर भी बुरी तरह विफल साबित हो रहा है.

राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में पूर्व में हुई सांभर झील त्रासदी में काल कवलित हुए हजारों पक्षियों जैसी घटना की पुनरावृत्ति दोबारा नहीं हो, इस दिशा में राज्य सरकार को विभिन्न स्तरों पर समुचित प्रयास किए जाने की विशेष आवश्यकता है. बर्ड फ्लू की जांच के लिए एकमात्र हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज लैब भोपाल में स्थित है. राजस्थान सरकार के पशुपालन विभाग ने प्रदेश में वेटनरी आरटीपीसीआर लैब खोलने के संबंध में केन्द्र सरकार को पत्र लिखने की बात कही है.

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