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राजस्थान में घमासान : गहलोत का फायदा या पायलट को नुकसान

राजस्थान में सियासी स्थिति पल-पल बदल रही है. कांग्रेस के अन्दर अंतर्कलह घना होता जा रहा है. ऐसे में सवाल जितना फायदे और घाटे का है, उससे बड़ा सवाल है कि राजस्थान में ये स्थिति पैदा ही क्यों हुई कि सचिन पायलट को बगावती स्वर अपनाना पड़ा.

Rajasthan political crisis expert live
राजस्थान के सियासी संग्राम पर विशेषज्ञों की राय

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Published : Jul 13, 2020, 12:45 PM IST

Updated : Jul 13, 2020, 2:27 PM IST

हैदराबाद. राजस्थान में सियासी स्थिति पल-पल बदल रही है. कांग्रेस के अन्दर अंतर्कलह घना होता जा रहा है. ऐसे में सवाल जितना फायदे और घाटे का है, उससे बड़ा सवाल है कि राजस्थान में ये स्थिति पैदा ही क्यों हुई कि सचिन पायलट को बगावती स्वर अपनाना पड़ा.

क्या कांग्रेस ने सचिन पायलट को इस मुकाम पर पहुंचा दिया कि उनको अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावती तेवर अपनाना पड़ा. जैसा कि सचिन पहले से ये इशारा देते रहे हैं कि वह अशोक गहलोत से नाराज़ हैं लेकिन वो पार्टी को तोडना नहीं चाहते और बीजेपी में शामिल नहीं होना चाहते.

राजस्थान के सियासी संग्राम पर विशेषज्ञों की राय

राजस्थान की सियासत पर नज़र रखने वाले इस बात को तस्दीक करते हैं कि इस महासंकट के बाद नुकसान कांग्रेस को हुआ है और फायदे में बीजेपी रही है. पार्टी के अन्दर जो अंतर्विरोध था, वो खुलकर सामने आ गया है. एक बात और मजबूती के साथ सामने आई है कि कांग्रेस ने राजस्थान की स्थिति को समझने में विलम्ब किया.

राजस्थान के महासंकट पर ईटीवी भारत ने विशेष परिचर्चा की. जिसमें बीबीसी के पूर्व पत्रकार नारायण बारेट, राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भंडारी और ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रज मोहन शामिल हुए. परिचर्चा का संचालन ईटीवी भारत राजस्थान के ब्यूरो चीफ अश्वनी पारीक ने किया .

Last Updated : Jul 13, 2020, 2:27 PM IST

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