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20 जिलों की 90 निकायों की चुनावी चौसर पर अंतिम चाल अब जनता चलेगी, भाजपा-कांग्रेस शह-मात में उलझी - राजस्थान चुनाव

राजस्थान के 20 जिलों की 90 नगरीय निकायों में चुनावी चौसर सज चुकी है. इस चौसर पर अब तक सारी चालें भाजपा और कांग्रेस चलती आई हैं. लेकिन, अब बारी जनता जनार्दन की है. गुरुवार 28 जनवरी को 90 निकायों में होने वाले मतदान के दौरान आखिरी चाल जनता चलेगी. इसी चाल से ये फैसला होगा कि किसके खाते में मुस्कुराहट जानी है और किसके निराशा. पढे़ं पूरी रिपोर्ट...

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राजस्थान नगर निकाय चुनाव 2021

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Published : Jan 27, 2021, 8:33 PM IST

Updated : Jan 27, 2021, 10:35 PM IST

जयपुर. राज्य के 20 जिलों के 90 नगरीय निकायों में चुनावी चौसर सजी हुई है. इस चौसर पर अब तक सारी चालें भाजपा और कांग्रेस चलती आई हैं. लेकिन, अब बारी जनता जनार्दन की है. गुरुवार को 90 निकायों में होने वाले मतदान के दौरान आखिरी चाल जनता चलेगी. इसी चाल से ये फैसला होगा कि किसके खाते में मुस्कुराहट जानी है और किसके निराशा. 90 निकायों में गुरुवार को मतदान होना है. सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक होने वाले मतदान में 30 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. मतदान में 9930 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा. मतदान को लेकर जहां प्रशासनिक स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है. वहीं, कांग्रेस और भाजपा शह-मात के जाल में उलझी हुई हैं.

राजस्थान नगर निकाय चुनाव 2021

पढ़ें:राजस्थान निकाय चुनाव 2021: 28 जनवरी को है 90 निकायों में चुनाव, 30 लाख से ज्यादा मतदाता करेंगे 9930 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला

राजनीति के मैदान में आमने-सामने खड़ी कांग्रेस और भाजपा के सामने इस चुनाव को लेकर अलग तरह की मुश्किलें हैं. दोनों ही पार्टियों ने चुनावी भंवर को पार पाने के लिए पूरी ताकत चुनाव में झौंकी है. लेकिन, चुनावी मैदान में किस पार्टी को जनादेश मिलेगा और किसे निराशा इसका फैसला 90 निकायों के 30 लाख मतदाताओं के हाथ में है. आपको बता दें कि हाल में हुए 12 जिलों के 50 निकायों के चुनाव में कांग्रेस 36 निकायों में अध्यक्ष बनाने में कामयाब रही थी. जबकि, भाजपा के खाते में 11 अध्यक्ष पद ही गए और 3 सीटों पर निर्दलीयों का परचम लहराया था.

कांग्रेस के सामने प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती

कांग्रेस के सामने पिछले चुनावी परिणाम को दोहराने की चुनौती बनी हुई है. साथ ही सरकार के सात मंत्रियों और 22 विधायकों की साख भी इस चुनाव में दांव पर लगी है. सत्तारुढ़ कांग्रेस इससे पहले हुए 12 जिलों के 50 निकायों के चुनाव में मिली बढ़त के बाद काफी उत्साहित है. लेकिन, इस उत्साह को इस बार भी बरकरार रखना बड़ी चुनौती है. पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अपनी टीम के साथ चुनावी नब्ज को टटोलते हुए हर राजनीतिक स्थितियों पर नजर बनाए हुए हैं. गोविंद सिंह डोटासरा के लिए पिछले चुनाव के प्रदर्शन को बरकरार रखने का राजनीतिक दबाव भी है. खास बात यहा है खुद उनके विधानसभा क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ नगर पालिका में भी चुनाव है. हालांकि तीन कांग्रेस विधायकों सुजानगढ़ से मास्टर भंवर लाल, वल्लभनगर से गजेंद्र सिंह शक्तावत ओर सहाड़ा से राजेन्द्र त्रिवेदी का निधन हो गया है. जिनकी 3 विधानसभाओं के 5 निकाय इन चुनाव में कांग्रेस को विधायकों के निधन के नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है. वहीं, प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत भी राजनीतिक तजुर्बे और सरकार के काम की बदौलत इस चुनाव में पार्टी को फिर से मुस्कुराने का अवसर देने के लिए रणनीति बनाते रहे. खास बात यह है कि इन चुनाव में कांग्रेस को संगठन के उन 39 पदाधिकारियों पर भी विधायक, मंत्रियों के साथ ही जीत का दारोमदार होगा. जिन्होंने इन चुनावों में टिकट वितरण के साथ ही पर्यवेक्षक के तौर पर जिम्मेदारी सम्भाली है और चुनावी रणनीति तैयार करने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है.

कांग्रेस से दो कदम आगे निकलने की कशमकश

बात भाजपा की करें तो राज्य में विपक्ष में बैठी पार्टी को निकाय चुनाव में बढ़त दिलाना प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और उनकी टीम के लिए आसान नहीं है. पिछले निकाय चुनाव में सियासी मात खा चुकी भाजपा के आला नेता इस चुनाव में कांग्रेस से दो कदम आगे निकलने के लिए पूरा जोर लगा चुके हैं. पार्टी के रणनीतिकार हर पहलू पर गौर करते हुए रणनीति को बनाती और उसे जमीन पर उतारती रही है. पार्टी के आला नेता चुनाव में जीत हासिल करने को लेकर दावे तो खूब कर रहे हैं. साथ ही चुनाव के बाद अपने विजेता पार्षदों को बचाने के लिए बाड़ेबंदी जैसे विकल्प पर भी मंथन में जुटे हुए हैं. चुनावी चौसर में जारी शह और मात के इस खेल में कौन किसके ऊपर भारी पड़ेगा ये फैसला अब जनता के फैसले पर निर्भर है. यहां आपको बता दें कि 20 जिलों के दिन 90 निकायों में यह चुनाव होने हैं उनमें से अधिकतर निकायों में इस समय भाजपा का ही कब्जा और बोर्ड है।

इन 20 जिलों में होंगे मतदान

अजमेर, बांसवाड़ा, बीकानेर, भीलवाड़ा, बूंदी, प्रतापगढ़, चित्तौड़गढ़, चूरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालोर, झालावाड़, झुंझुनूं, नागौर, पाली, राजसमंद, सीकर, टोंक और उदयपुर के नगरीय निकायों में मतदान होगा.

कांग्रेस के इन सात मंत्रियों की साख दांव पर

  • गोविंद डोटासरा प्रदेश अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री हैं. उनकी खुदकी लक्ष्मणगढ़ नगर पालिका में चुनाव है.
  • रघु शर्मा स्वास्थ्य मंत्री हैं. इनकी विधानसभा केकड़ी में केकड़ी नगर पालिका और सरवाड़ नगर पालिका में चुनाव है. वहीं, अजमेर नगर निगम में चुनाव जिताने की जिम्मेदारी भी रघु शर्मा की होगी.
  • भंवर सिंह भाटी सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री हैं. भाटी की विधानसभा सीट कोलायत में आने वाली देशनोक नगर पालिका में चुनाव है.
  • अशोक चांदना सरकार में खेल मंत्री हैं. चांदना पर बूंदी नगर परिषद में चुनाव जिताने की जिम्मेदारी है. साथ ही चांदना की खुद की विधानसभा हिंडोली में आने वाली नैनवा नगर पालिका में भी चुनाव है.
  • सालेह मोहम्मद सरकार में अल्पसंख्यक मामलात मंत्री हैं. इनके ऊपर विधानसभा पोकरण में आने वाली पोकरण नगर पालिका में चुनाव जिताने की जिम्मेदारी होगी.
  • सुखराम बिश्नोई सरकार में वन मंत्री हैं. इनकी सांचौर विधानसभा सीट में स्थित सांचौर नगर पालिका में चुनाव है.
  • महेंद्र चौधरी सरकार में उप मुख्य सचेतक हैं. नागौर में नगर परिषद में जीत दिलाने की जिम्मेदारी है. साथ ही उनकी खुद की विधानसभा सीट नावा में आने वाली कुचामन नगर पालिका और नावा नगर पालिका सीट पर भी साख का सवाल है.
Last Updated : Jan 27, 2021, 10:35 PM IST

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