जयपुर. राज्य के 20 जिलों के 90 नगरीय निकायों में चुनावी चौसर सजी हुई है. इस चौसर पर अब तक सारी चालें भाजपा और कांग्रेस चलती आई हैं. लेकिन, अब बारी जनता जनार्दन की है. गुरुवार को 90 निकायों में होने वाले मतदान के दौरान आखिरी चाल जनता चलेगी. इसी चाल से ये फैसला होगा कि किसके खाते में मुस्कुराहट जानी है और किसके निराशा. 90 निकायों में गुरुवार को मतदान होना है. सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक होने वाले मतदान में 30 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. मतदान में 9930 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा. मतदान को लेकर जहां प्रशासनिक स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है. वहीं, कांग्रेस और भाजपा शह-मात के जाल में उलझी हुई हैं.
राजनीति के मैदान में आमने-सामने खड़ी कांग्रेस और भाजपा के सामने इस चुनाव को लेकर अलग तरह की मुश्किलें हैं. दोनों ही पार्टियों ने चुनावी भंवर को पार पाने के लिए पूरी ताकत चुनाव में झौंकी है. लेकिन, चुनावी मैदान में किस पार्टी को जनादेश मिलेगा और किसे निराशा इसका फैसला 90 निकायों के 30 लाख मतदाताओं के हाथ में है. आपको बता दें कि हाल में हुए 12 जिलों के 50 निकायों के चुनाव में कांग्रेस 36 निकायों में अध्यक्ष बनाने में कामयाब रही थी. जबकि, भाजपा के खाते में 11 अध्यक्ष पद ही गए और 3 सीटों पर निर्दलीयों का परचम लहराया था.
कांग्रेस के सामने प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती
कांग्रेस के सामने पिछले चुनावी परिणाम को दोहराने की चुनौती बनी हुई है. साथ ही सरकार के सात मंत्रियों और 22 विधायकों की साख भी इस चुनाव में दांव पर लगी है. सत्तारुढ़ कांग्रेस इससे पहले हुए 12 जिलों के 50 निकायों के चुनाव में मिली बढ़त के बाद काफी उत्साहित है. लेकिन, इस उत्साह को इस बार भी बरकरार रखना बड़ी चुनौती है. पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अपनी टीम के साथ चुनावी नब्ज को टटोलते हुए हर राजनीतिक स्थितियों पर नजर बनाए हुए हैं. गोविंद सिंह डोटासरा के लिए पिछले चुनाव के प्रदर्शन को बरकरार रखने का राजनीतिक दबाव भी है. खास बात यहा है खुद उनके विधानसभा क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ नगर पालिका में भी चुनाव है. हालांकि तीन कांग्रेस विधायकों सुजानगढ़ से मास्टर भंवर लाल, वल्लभनगर से गजेंद्र सिंह शक्तावत ओर सहाड़ा से राजेन्द्र त्रिवेदी का निधन हो गया है. जिनकी 3 विधानसभाओं के 5 निकाय इन चुनाव में कांग्रेस को विधायकों के निधन के नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है. वहीं, प्रदेश के सीएम अशोक गहलोत भी राजनीतिक तजुर्बे और सरकार के काम की बदौलत इस चुनाव में पार्टी को फिर से मुस्कुराने का अवसर देने के लिए रणनीति बनाते रहे. खास बात यह है कि इन चुनाव में कांग्रेस को संगठन के उन 39 पदाधिकारियों पर भी विधायक, मंत्रियों के साथ ही जीत का दारोमदार होगा. जिन्होंने इन चुनावों में टिकट वितरण के साथ ही पर्यवेक्षक के तौर पर जिम्मेदारी सम्भाली है और चुनावी रणनीति तैयार करने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है.