जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने एमबीबीएस छात्र की दो साल से छात्रवृत्ति जारी नहीं करने के मामले में राज्य सरकार को आठ जुलाई तक विस्तृत शपथ पत्र पेश कर बताने को कहा है कि कितने छात्रों की छात्रवृत्ति रुकी हुई (how many students scholarship has been stopped) है. इसके क्या कारण हैं. जस्टिस अशोक कुमार गौड ने यह आदेश पंकज मीणा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव समित शर्मा और निदेशक ओपी बुनकर अदालत में पेश हुए. अदालत ने कहा कि वे जिम्मेदार अफसर है और उनसे उम्मीद की जाती है कि इस तरह के के मामलों को गंभीरता से लेकर उसका निराकरण करें. इस दौरान समिति शर्मा ने छात्रवृत्ति जारी करने की प्रक्रिया से अदालत को अवगत कराया.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता हिमांशु ठोलिया ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के नीट आवेदन पत्र में ई-मित्र संचालक ने गलती से उसके माता-पिता का नाम अदला-बदली हो गए.जिसके चलते उसे दो साल से छात्रवृत्ति भी नहीं मिली है.