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कोविड के कारण जल जीवन मिशन की प्रगति में कमी...अधिकारियों को अलग से रणनीति अपनाकर कार्य करने के निर्देश - Implementation Support Agencies

जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) सुधांश पंत ने प्रदेश में कोविड-19 के कारण उत्पन्न स्थितियों के बीच जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत हर घर नल कनेक्शन के कार्यों को गति देने के लिए अधिकारियों को अलग रणनीति के साथ कार्य करने के निर्देश दिए हैं.

Water Department Additional Chief Secretary Sudhansh Pant Review
जल जीवन मिशन की प्रगति में कमी

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Published : May 12, 2021, 9:45 PM IST

जयपुर. जलदाय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) सुधांश पंत ने कहा कि कोविड के कारण बदली स्थितियों के सामान्य होने तक अधिकारी कार्यालयों के स्तर पर तकनीकी स्वीकृतियां एवं निविदा जारी करने जैसे कई कार्य सम्पादित कर इस समय का अधिकतम सदुपयोग कर सकते हैं. बाद में हालात सामान्य होने पर अन्य कार्यों को गति दी जा सकती है.

पंत बुधवार को शासन सचिवालय में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत स्वीकृति कार्यों की प्रगति की समीक्षा कर रहे थे. उन्होंने कहा कि कोविड के कारण जेजेएम की प्रगति में कमी दर्ज की गई है. मगर सभी रीजन और जिला कार्यालयों के स्तर पर ऐसे योजनाबद्ध प्रयासों से प्रदेश द्वारा वार्षिक कार्य योजना में लक्षित कार्यों को पूरा किया जा सकता है.

एसीएस ने निर्देश दिए कि हर घर नल कनेक्शन देने के कार्य को लक्ष्य के अनुरूप पूरा करने के लिए तकनीकी स्वीकृतियां, निविदा जारी करने के बाद वर्क ऑर्डर जारी करने के काम को जल्द से जल्द पूरा किया जाए. उन्होंने जिलों में आईएसए (इम्पलीमेंटेशन सपोर्ट एजेंसीज) को सक्रिय करते हुए आगामी दिनों में उनके माध्यम से 'विलेज एक्शन प्लान' तैयार करने के कार्य को भी आगे बढ़ाने के निर्देश दिए.

पंत ने वीसी में जेजेएम के कार्यों की रीजन, सर्किल और जिला स्तर पर प्रगति की बिन्दुवार समीक्षा की. इसमें पाया गया कि राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएससी) की गत बैठकों में मेजर प्रोजेक्ट्स के अतिरिक्त स्वीकृत 9101 गांवों में से अब तक 5032 गांवों की योजनाओं की तकनीकी स्वीकृतियां तथा 3128 गांवों के कार्यों की निविदाएं जारी की गई हैं.

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एसएलएससी की स्वीकृतियों की तुलना में चुरू जिले में सभी तकनीकी स्वीकृतियां जारी कर दी गई है. बूंदी में 98 प्रतिशत, भीलवाड़ा व नागौर में 96-96 प्रतिशत तथा बारां में 94 प्रतिशत तकनीकी स्वीकृतियां जारी की जा चुकी हैं. इसकी तुलना में जैसलमेर में 94 प्रतिशत, श्रीगंगानगर में 79 प्रतिशत, करौली में 72 प्रतिशत, अजमेर में 71 प्रतिशत और बाड़मेर में 69 प्रतिशत तकनीकी स्वीकृतियां जारी करने का कार्य शेष हैं.

तकनीकी स्वीकृतियों के बाद निविदा जारी करने के मामले में बूंदी 98 प्रतिशत, चुरू 88 प्रतिशत, भीलवाड़ा 80 प्रतिशत, सीकर 75 प्रतिशत तथा जयपुर 73 प्रतिशत निविदाएं जारी कर शीर्ष 5 जिलों में शामिल हैं. जबकि सबसे कम प्रगति वाले जिलो में जैसलमेर में 96 प्रतिशत, डूंगरपुर में 95 प्रतिशत, पाली में 93 प्रतिशत, अजमेर में 87 प्रतिशत तथा श्री गंगानगर में 86 प्रतिशत निविदाओं का काम बाकी हैं.

एसीएस ने अधिकारियों को एसएसएससी की स्वीकृतियों की तुलना में पिछड़ रहे जिले के अधिकारियों को शेष कार्यों में व्यक्तिगत रूचि लेते हुए 'पेंडींग टास्क' को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए. अधिकारियों को आगामी एसएलएससी की बैठक के लिए भी सभी जिलों से नए हर घर नल कनैक्शन कार्यों के प्रस्ताव अगले सोमवार तक भिजवाने के निर्देश दिए.

वीसी से जलदाय विभाग की विषिष्ट सचिव उर्मिला राजोरिया, मुख्य अभियंता (शहरी एवं एनआरडब्ल्यू) सीएम चौहान, मुख्य अभियंता (विशेष प्रोजेक्ट्स) दिलीप गौड़, मुख्य अभियंता (जोधपुर) नीरज माथुर तथा अतिरिक्त मुख्य अभियंता (ग्रामीण) महेश जांगिड के अलावा प्रदेश भर से अतिरिक्त मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता स्तर के अधिकारियों भी जुड़े.

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