जयपुर. गहलोत सरकार को गिराने की कशिश करने वाले तत्कालीन कैबिनेट मंत्रियों को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया. अब मंत्री पद से बर्खास्तगी के दो महीने बाद नियम अनुसार बंगला और गाड़ी छोड़नी पड़ती है. लेकिन सरकार की ओर से अभी तक इन तीनों मंत्रियों को बंगला खाली करने के नोटिस तक नहीं दिए गए. हालांकि, सचिन पायलट सहित दोनों विधायकों को विधानसभा पूल के नए नियम के तहत फर्स्ट श्रेणी के बंगले में रहने की छूट मिल सकती है. लेकिन इसके लिए भी नए सिरे से आदेश जारी होंगे, जो अभी तक नहीं हुए.
बता दें कि जुलाई में गहलोत सरकार के कामकाज से नाराज होकर तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके खेमे के 18 विधायकों ने बगावत शुरू कर दी थी. सरकार के खिलाफ बगावत करने के चलते डिप्टी सीएम सचिन पायलट और अन्य दो तत्कालीन कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया.
वहीं, बर्खास्तगी के साथ दो महीने में खुद पूर्व उप मुख्यमंत्री पायलट को मंत्री की हैसियत से मिला अपना फर्स्ट श्रेणी वाला सरकारी बंगला अब खाली करना था. क्योंकि, इन सभी के मंत्री पद से बर्खास्त किए जाने के बाद बंगले में रहने की 2 महीने की मियाद पूरी हो चुकी है. माना जा रहा है कि इसे लेकर प्रदेश की राजनीति में एक और नया मोड़ आ सकता है.
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बता दें कि राज्य में मंत्री पद से हटने के बाद टाइप फर्स्ट श्रेणी के बंगले में अधिकतम 2 महीने तक रहने की इजाजत होती है. इसके बाद से 10 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देना होता है. लेकिन इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग को पहले मंत्रियों को 21 दिन पहले नोटिस जारी करना होता है. वहीं, विभाग की ओर से अभी तक यह नोटिस जारी नहीं किया गया.
पायलट सहित दोनों विधायकों को विधानसभा पूल के तहत मिल सकती है छूट
तीनों विधायकों के मंत्रियों के बंगले में रहने की मियाद पूरी हो चुकी है. लेकिन अब सरकार पर निर्भर करता है कि वो पायलट, विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा पर कब तक मेहरबान रहती है. ऐसा इसलिए भी सोचा जा सकता है कि क्योंकि हाल ही में राज्य सरकार की ओर से पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को राहत देने के लिए उनके बंगले समेत चार बंगलों को सामान्य प्रशासन विभाग से विधानसभा के पूल में डाल दिया था.