जयपुर. जलदाय विभाग ने प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत 169 ग्रामीण जल वितरण योजनाओं के लिए 392 करोड़ 32 लाख 50 हजार रुपए की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति जारी की है. जलदाय मंत्री बीडी कल्ला ने इसकी मंजूरी दी है. इससे प्रदेश में 19 जिलों के 47 विधानसभा क्षेत्रों में 193 गांवों और आबादियों में 1 लाख 22 हजार 913 घरों में नल से जल आपूर्ति के लिए कनेक्शन जारी किए जाएंगे.
जलदाय मंत्री कल्ला ने बताया कि इस योजना के तहत 150 सिंगल विलेज और 19 मल्टी विलेज स्कीम्स को मंजूर दी गई है. सिंगल विलेज स्कीम्स के 150 गांव और आबादियों के अलावा मल्टी विलेज योजनाओं में 43 गांव और आबादियां शामिल की गई हैं. इस संबंध में सभी संबंधित क्षेत्रों के अतिरिक्त मुख्य अभियंता (एसीई) को तकनीकी स्वीकृति, निविदा और कार्यादेश शीघ्रता से जारी करने के निर्देश भी दिए गए हैं, ताकि निर्धारित समय में लक्ष्य के अनुरूप हर घर तक नल से जल पहुंचाया जा सके.
इसके अलावा प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत राज्य स्तर से लेकर ग्राम स्तर तक समितियों के गठन के संबंध में भी आदेश जारी कर दिए गए हैं. राज्य के 19 जिलों में 47 विधानसभा क्षेत्रों के 193 गांव और आबादियों के लिए 392 करोड 32 लाख 50 हजार की प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृतियां केंद्र और राज्य सरकार के 50-50 प्रतिशत शेयर के आधार पर जारी की गई हैं.
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कल्ला ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत साल 2024 तक प्रदेश के हर घर में नल से जल पहुंचाने के लिए एक अनुमान के अनुसार राज्य को एक लाख 50 हजार करोड़ की राशि की आवश्यकता है. इसमें से 50 प्रतिशत राशि के हिसाब से राज्य का शेयर 75 हजार करोड़ रुपए होता है. जिसे राज्य के विषम भौगोलिक और आर्थिक स्थितियों के मद्देनजर वहन किया जाना संभव नहीं है. इसी कारण राज्य सरकार के स्तर से केंद्र सरकार और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री के सामने ये मुद्दा बार-बार उठाया गया है. वर्ष 2013 से पहले जिस प्रकार राजस्थान को पेयजल योजनाओं के लिए 90 फीसदी ग्रांट मिलती थी, उसे फिर से बहाल किया जाए, ताकि जल जीवन मिशन के तहत वर्ष 2024 तक निर्धारित लक्ष्यों को पूरा किया जा सके.
उन्होंने बताया कि भारत सरकार वर्तमान में केंद्र शासित प्रदेशों और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए पेयजल परियोजनाओं में 90 फीसदी की राशि दे रही है. प्रदेश के रेगिस्तानी इलाकों में गांव के बीच बहुत दूरी है. यहां सतही जल की मात्रा पूरे देश का मात्र 1 प्रतिशत है. ऐसे में केन्द्र सरकार को राजस्थान में पेयजल परियोजनाओं के लिए 90 फीसदी ग्रांट पहले की तरह बहाल करने पर शीघ्र निर्णय लेना चाहिए.
कल्ला ने बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री को पत्र लिखकर आग्रह किया है. उन्होंने खुद कई बार केंद्रीय जलशक्ति मंत्री के समक्ष इस मुद्दे को उठाया है. साथ ही राज्य के सभी सांसदों को पत्र लिखकर इस बारे में राज्य के हितों की पैरवी करते हुए केंद्र सरकार से राज्य की जनता के हित में फैसला कराने में सहयोग का आग्रह किया है. बावजूद इसके बहुप्रतीक्षित मांग की ओर केंद्र सरकार द्वारा अब तक कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.