जयपुर.देशभर में सभी प्रदेश कांग्रेस कमेटियों को चलाने के लिए पैसे का इंतजाम कैसे हो, इसे लेकर कांग्रेस पार्टी की ओर से मनमोहन सिंह कमेटी की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया था. इसके अनुसार कांग्रेस पार्टी के सभी चुने हुए प्रतिनिधि चाहे वो सरपंच हों, प्रधान हों, जिला प्रमुख हों, विधायक हों, पूर्व विधायक या मंत्री हों, सभी को अपनी एक महीने की तनख्वाह अपने-अपने प्रदेश के संगठन को चलाने के लिए देनी होती है. बाकी सभी जनप्रतिनिधियों की सैलरी को देखा जाए तो संगठन को उससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता.
ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान में एक नया फार्मूला निकाला है, जिसके तहत अब कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों की (new formula for depositing money in manmohan singh committee) 1 महीने की सैलरी मार्च महीने में अपने आप ही सीधे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अकाउंट में जमा हो जाएगी. जिससे कि किसी से पैसा मांगने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. पार्टी के रोजमर्रा के खर्चे चलाने के लिए आवश्यक फंड भी आसानी से जोड़ लिया जाएगा.
कोषाध्यक्ष सीताराम अग्रवाल ने डोटासरा को दिया सुझाव:कोषाध्यक्ष सीताराम अग्रवाल ने डोटासरा को सुझाव दिया था, जिसके बाद विधायक दल की बैठक में सभी विधायकों से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाए गए. इसके बाद 88 लाख में से 62 लाख जमा हो चुका है. मनमोहन सिंह कमेटी की सिफारिश के अनुसार जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के साथ ही प्रदेश कांग्रेस सदस्यों को अपनी 1 माह की सैलरी साल में एक बार संगठन में जमा करानी होती है. इनमें से सबसे ज्यादा परेशानी विधायकों और पूर्व विधायकों की 1 महीने की सैलरी को लेकर आती है. कई विधायक और पूर्व विधायक ऐसे हैं जो बार-बार रिमाइंडर देने के बावजूद सालों से ये पैसा जमा नहीं करवा रहे थे.