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नेपाल ने भारतीय भूमि पर बनाया कैंप, स्थानीय लोगों में गुस्सा - भारतीय जमीन पर कब्जा

सरिसवा नदी नेपाल से निकल कर रक्सौल के पनटोका के पास पिलर संख्या 393 के पास भारतीय सीमा में प्रवेश करती है, जो एक पहाड़ी नदी है. यह हर वर्ष भारतीय भू-भाग में कटाव की दिशा बदलती रहती है. नदी की धारा को नेपाली प्रशासन दोनों देशों की सीमा बताते हुए भारतीय जमीन पर कब्जा जमाए बैठा है.

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नेपाल के भारतीय भूमि पर कैंप बनाने से स्थानीय लोगों में गुस्सा

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Published : Jun 26, 2020, 6:57 AM IST

मोतिहारी: भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ी नाराजगी के बीच नेपाली सीमा प्रहरी और नेपाल के लोगों ने भारतीय भूमि पर कब्जा करना शुरु कर दिया है. भारत-नेपाल सीमा पर बसे भारतीय परिक्षेत्र के रक्सौल अनुमंडल के कई एकड़ जमीन पर नेपाल ने कब्जा कर रखा है और उसे अपनी भूमि बता रहा है. रक्सौल के पनटोका गांव के लोगों की खतियानी जमीन पर भी नेपाल ने कब्जा कर लिया है. अपनी जमीन पर पनटोका के लोग जाते हैं, तो नेपाली सीमा प्रहरी और नेपाल के लोग मारपीट करते हैं. बावजूद इसके भारतीय अधिकारी ग्रामीणों की समस्या पर चुप्पी साधे हुए हैं. ईटीवी भारत ग्राउंड जीरो पर पहुंची, जहां पर भारतीय जमीन को कब्जा कर टेंट नुमा सुरक्षा पोस्ट बनाकर नेपाल के सीमा प्रहरी जमे हुए हैं.

'सरिसवा नदी की धारा को बताता है दोनों देश की सीमा'

ईटीवी भारत से बात करते हुए पनटोका गांव के रहने वाले मो. इस्लाम ने बताया कि उनकी तीन कट्ठा छह धूर जमीन सरिसवा नदी के दूसरी तरफ है, जो भारतीय परिक्षेत्र में हैं. लेकिन उस जमीन पर नेपाली आर्म्ड फोर्स ने कब्जा करके अपना पोस्ट बना लिया है, जहां जाने पर मारपीट करता है. वहीं, चंद्रमणि राम ने बताया कि उनकी आठ धूर जमीन नदी के दूसरी तरफ है. जिस पर नेपाली लोगों ने कब्जा कर लिया है. चंद्रमणि ने बताया कि नेपाली आर्म्ड फोर्स और नेपाल के लोग नदी को सीमा बताते हैं, जबकि हर साल बरसात के मौसम में नदी भारतीय परिक्षेत्र में कटाव करते हुए अपनी धारा की दिशा बदलते रहती है.

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सरिसवा नदी हर वर्ष बदलती है अपनी धारा

दिनेश महतो ने बताया कि सरिसवा नदी के दूसरी तरफ उनका दो कट्ठा दस धूर जमीन है. जिस पर नेपाल के लोगों ने कब्जा कर रखा है. उन्होंने बताया कि भारत नेपाल सीमा को दर्शाने वाले पिलर के अन्दर भारतीय परिक्षेत्र में उनकी जमीन है. जिस जमीन के काफी आगे नेपाल से निकलने वाली सरिसवा नदी बहती थी. लेकिन सरिसवा नदी भारतीय भूभाग का कटाव करते हुए हर साल अपने धारा की दिशा को बदल देती है और नेपाली सशस्त्र पुलिस और नेपाल की जनता भारतीय भूमि पर कब्जा कर लेते हैं. यह खेल कई वर्षों से चल रहा है. लेकिन भारतीय अधिकारी इसकी सुध नहीं लेते हैं. जबकि स्थानीय पनटोका के ग्रामीण और नेपाल के सिरिसिया गांव के लोगों के बीच उस जमीन को लेकर झगड़ा होता रहता है. जिसकी पंचायती के बाद मामले का निदान निकलता है.

पिलर संख्या 393 के पास भारत में प्रवेश करती है सरिसवा

बता दें कि सरिसवा नदी नेपाल से निकल कर रक्सौल के पनटोका के पास पिलर संख्या 393 के पास भारतीय सीमा में प्रवेश करती है, जो एक पहाड़ी नदी है और वह हर वर्ष भारतीय भू-भाग में कटाव की दिशा बदलती रहती है. नदी की धारा को नेपाली प्रशासन दोनों देशों की सीमा बताते हुए भारतीय जमीन पर कब्जा जमाए बैठी है. नदी की धारा बदलने के साथ नेपाल जबरन अपनी सीमा बदल रहा है.

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भारतीय किसानों के साथ करते हैं मारपीट

हाल के दिनों में भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ी नाराजगी के बाद से नेपाल की सीमा प्रहरी और नेपाल के लोगों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है. एक तरफ जहां लॉकडाउन के बाद नेपाली आर्म्ड फोर्स ने सरिसवा नदी के दूसरी तरफ भारतीय जमीन पर टेंट लगाकर अपना पोस्ट बना लिया है, जहां सीमा प्रहरी के जवान तैनात हैं. वहीं, नेपाल के लोग भारतीय परिक्षेत्र के लगभग पचास लोगों की जमीन पर कब्जा कर लिया है. भारतीय परिक्षेत्र के लोग जब नदी पार करके अपनी जमीन पर जाते हैं, तो उनके साथ नेपाल सीमा प्रहरी और नेपाल के लोग भारतीय किसानों के साथ मारपीट करते हैं. लेकिन अब नेपाल की हिमाकत ने स्थानीय लोगों को आक्रोशित कर दिया है. जबकि भारतीय परिक्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारी इस पूरे मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं.

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