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राजेंद्र राठौड़ बोले- 'नाथी का बाड़ा' को घोषित करो पर्यटन स्थल, सभापति ने कहा- सदन को नहीं बनने दूंगा 'नाथी का बाड़ा'

पिछले दिनों शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा के वायरल वीडियो में 'नाथी का बाड़ा' शब्द के इस्तेमाल पर भड़की राजनीति की आग अब राजस्थान विधानसभा के सदन तक पहुंच चुकी है. सोमवार को सदन में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने 'नाथी का बाड़ा' को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग तक कर डाली.

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Published : Sep 13, 2021, 6:12 PM IST

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अब सदन में 'नाथी का बाड़ा'...

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को राजस्थान पर्यटन व्यवसाय (सुकरकरण व विनियम) संशोधन विधेयक 2021 पर चर्चा के दौरान भाजपा के वरिष्ठ विधायक राजेंद्र राठौड़ ने पर्यटन मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा और सरकार से यह मांग कर डाली कि 'नाथी का बाड़ा' को पर्यटन स्थलरा घोषित करो. लेकिन स्थिति और परिपेक्ष कुछ और ही था.

राठौड़ ने कहा कि 'नाथी का बाड़ा' को पर्यटन स्थल घोषित करने के साथ ही उसमें इस प्रकार के अधिकारी लगाएं जो राजस्थान एडमिनिस्ट्रेशन सर्विस के अधिकारी यहां आएं वह सर्वप्रिय बन जाएं. हालांकि, सदन में मौजूद पर्यटन राज्य मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि 'नाथी का बाड़ा' तो पहले से ही ऐतिहासिक पर्यटक स्थल है. आप पाली में जाकर देखो तो सही.

अब सदन में 'नाथी का बाड़ा'...

इस बीच सभापति राजेंद्र पारीक ने कहा कि मैं आप दोनों को इस सदन को 'नाथी का बाड़ा' बनाने नहीं दूंगा. अपनी चर्चा समाप्त करें. इसके बाद भाजपा विधायक ज्ञानचंद पारख भी 'नाथी का बाड़ा' स्थल को अपने क्षेत्र पाली में बताते हुए इस पर कुछ चर्चा करना चाहते थे, लेकिन सभापति ने इसकी इजाजत नहीं दी.

इससे पहले राठौड़ ने इस संशोधन विधेयक पर चर्चा करते हुए इस संशोधन विधेयक को खोटा कानून करार दिया. राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इस संशोधन विधायक में पर्यटक स्थल से गरीब भिखारियों को हटाने के लिए सजा का सख्त प्रावधान तो कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास को लेकर कोई योजना इसमें नहीं डाली गई, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि पूर्व में 2010 में बने इस कानून की धारा 27 और 13 (2 व 3) आप संशोधन लाए हैं. इसके जरिए इस कानून को आप गैर जमानत बनाना चाहते हैं.

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राठौड़ ने कहा कि पूर्व में भी इस कानून में पुलिस को पर्यटक स्थलों के बाहर भीख मांगने वाले क्या पर्यटकों को परेशान करने वाले आदि पर कार्रवाई करने का अधिकार था और 3 माह की सजा से लेकर 3000 तक के जुर्माने का भी प्रावधान था. लेकिन 11 साल बाद इस कानून में संशोधन भी लेकर आए जब प्रदेश सरकार का आधा कार्यकाल बीत गया है.

ऐसे में पर्यटन मंत्री यह भी बताएं कि गरीब और असहाय लोगों के खिलाफ जो कानून में संशोधन लेकर आया गया है वह किस आधार पर लेकर आया गया. क्या पिछले ढाई साल में ऐसी कोई बड़ी घटना है जो पर्यटन स्थलों में हुई और सरकार की ओर से इस प्रकार के लोगों पर जो कार्रवाई की गई उसके भी आंकड़े सदन में मंत्री को रखना चाहिए. राजेंद्र राठौड़ ने यह भी कहा कि प्रदेश सरकार ने प्रदेश में पर्यटक स्थलों पर पर्यटक पुलिस लगाने का वादा किया था. ऐसे में सरकार यह बता दे कि राजस्थान में कितने घोषित पर्यटक स्थल है और वहां पर कितने पर्यटक पुलिस अब तक लगाई गई है. वहीं, जो कानून लाया जा रहा है उसे लागू करने के लिए क्या सरकार के पास कोई मैकेनिज्म है.

कोरोना कालखंड में दम तोड़ते पर्यटन उद्योग के लिए कोई नीति नहीं, गरीबों को उजाड़ने के लिए कानून : राठौड़

राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कोरोना कालखंड के 2 साल के भीतर राजस्थान में 12,000 करोड़ का नुकसान इस व्यवसाय में सरकार को हुआ है. लेकिन दम तोड़ते पर्यटन व्यवसाय को राहत देने के लिए कोई नीति प्रदेश सरकार नहीं लेकर आई. आज भी परकोटे में अधिकतर जगह अतिक्रमण शिकार हैं. वहीं, साल 2021-22 में इसी सदन के भीतर प्रदेश सरकार ने 500 करोड़ रुपए से पर्यटन विकास कोष और 200 करोड़ रुपए से पर्यटन स्थलों की ब्रांडिंग और 300 करोड़ की लागत से आधारभू संरचना का काम किए जाने की बात कही थी. लेकिन वह पैसा कहां खर्च हुआ, यह भी सरकार को बता देना चाहिए. जयपुर में अब तक हेरिटेज वॉक नहीं बन पाया और व्हीकल फ्री-जोन के बाद भी अधूरी है.

शेखावाटी में टूट रही हवेली, कहां हो रहा संरक्षण : राठौड़

संशोधन विधेयक पर चर्चा में शामिल होते हुए राज्य नाटकों ने कहा कि राजस्थान में पुरानी ऐतिहासिक हवेलियों के संरक्षण के लिए राजस्थान कंजर्वेशन एक्ट लाया गया. लेकिन आज पिछले 2 वर्षों में शेखावटी की ही 500 हवेलियां टूट गईं. वहीं, बीकानेर में दो हजार हवेलियों में से महज 1,100 हवेलियां ही अब बची हैं. इसी तरह मंत्री जी के गृह जिले लक्ष्मणगढ़ में तो ऐतिहासिक हवेलियों की क्या स्थिति है, उस पर क्या कहें.

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