जयपुर.हर तरफ चीख-पुकार और इधर-उधर बिखरी पड़ी लाशें. ये मंजर था 13 मई 2008 की शाम का. मंगलवार का दिन होने के चलते हनुमान मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ उमड़ी हुई थी. तभी अचानक बम ब्लास्ट होना शुरू हुए. एक के बाद एक हुए आठ ब्लास्ट से गुलाबी नगरी कहे जाने वाले जयपुर की सड़कों का रंग लाल हो गया.
ये वह वक्त था जिसके बारे में कभी जयपुर वासियों ने कल्पना भी नहीं की होगी. आज एक दशक बाद भी अपनों को खोने वाले परिजनों की आंखें उस भयावह मंजर को याद कर नम हो जाती है. हालांकि अब जयपुर बम धमाकों के आरोपियों को सजा मुकर्रर होनी है. लेकिन बम ब्लास्ट के पीड़ितों को पीड़ा इस बात की है कि 11 साल तक आरोपियों को सजा क्यों नहीं मिली.
बम धमाकों के पीड़ित परिवारों की मांग- सार्वजनिक फांसी देने की सजा सुनाए कोर्ट दोषियों को सजा मिलने के बाद ही मिलेगी आत्मा को शांति : पीड़ित
विजय गर्ग के बड़े भाई अजय गर्ग उस दिन अपनी शॉप से बड़ी चौपड़ स्थित गणेश मंदिर के दर्शन के लिए निकले थे. लेकिन वापस नहीं लौटे. विजय ने बताया कि उस दिन हर तरफ चीख-पुकार मच रही थी. और बड़ी चौपड़ पर डेड बॉडीज पड़ी थी. इस हादसे के बाद उनका घर पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया.
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अजय के छोटे-छोटे बच्चे थे, और घर में कमाने वाला भी वही था. ऐसे में अचानक सारी जिम्मेदारी उन पर आ गई. उन्होंने कहा कि 11 साल से आरोपियों की सजा का इंतजार कर रहे हैं. अजय की कमी तो पूरी नहीं होगी, लेकिन उनकी आत्मा को शांति जरूर मिलेगी और परिवार वालों को तसल्ली.
सार्वजनिक स्थान पर हो फांसी की सजा : पीड़ित
बम ब्लास्ट में पुरुषोत्तम भारती के दामाद और संबंधी भी काल का ग्रास बने. ये दोनों सांगानेरी गेट स्थित हनुमान मंदिर में दर्शन के लिए गए थे. इस दौरान उनका सर्वेंट भी उनके साथ था. जिसकी भी बम ब्लास्ट में मौत हुई. उन्होंने बताया कि इस ह्रदय विदारक हादसे को स्मरण करने से ही मन आहत हो जाता है. उन्होंने बुधवार को आरोपियों को होने वाली सजा को देर से आया हुआ न्याय बताया. साथ ही कहा कि न्याय में यदि समय लगता है तो न्याय मिलना नहीं मिलना बराबर है. उन्होंने मांग की कि आरोपियों को फांसी से कम सजा ना हो और फांसी भी सार्वजनिक स्थान पर हो.
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बहरहाल, बुधवार को सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत पांच आरोपियों पर फैसला सुनाएगी. जिस पर ना सिर्फ पीड़ित परिजन बल्कि जयपुर शहर के हर एक बाशिंदे की नजर रहेगी.