जयपुर. आज की महिला चुनौतियों का सामना करने से कभी पीछे नहीं हटती है. कई ऐसे खतरनाक काम भी वे बड़ी आसानी से कर लेती हैं जिन्हें करने में पुरुषों के भी हाथ-पांव फूल जाते हैं. आज हम बात कर रहे हैं ऐसी महिला वनकर्मी की जिनके लिए खतरनाक सांपों को पकड़ना बाएं हाथ के खेल जैसा है. जी हां वन विभाग में तैनात अंजू चौहान सांपों का रेस्कयू करने में माहिर हैं.
हजारों खतरनाक और जहरीले सांपों को पकड़कर वह जंगलों में छोड़ चुकी हैं. वनकर्मी की नौकरी के साथ वह सांपों को बचाने का भी काम कर रही हैं. लेकिन पिछले 5 वर्षों से अंजू अपनी जान खतरे में डालकर लोगों के साथ-साथ सांपों की भी सुरक्षा कर रहीं हैं.
जहरीले सांपों का रेस्क्यू करने वाली यह महिला राजस्थान के सिरोही जिले के पिंडवाड़ा तहसील की रहने वाली हैं. इनका नाम अंजू चौहान है जो कि वन विभाग में वन रक्षक के पद पर कार्यरत हैं और इसी दौरान वह ड्यूटी के बाद समय निकालकर सामाजिक दायित्व भी निभा रही हैं. अंजू चौहान पिछले 5 सालों से आबादी वाले क्षेत्रों से जहरीले सांपों को पकड़कर जंगल में छोड़ने का काम भी कर रही हैं. वनकर्मी अंजू चौहान का कहना है कि प्रकृति के संतुलन को बनाए रखने के लिए सांपों का भी रहना बहुत जरूरी है.
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इसलिए अंजू चौहान अपनी जान जोखिम में डालकर जहरीले व खतरनाक सांपों को बचाने का काम कर रही है. सिरोही जिले में पिंडवाडा तहसील के साथ ही गांव के आबादी और खेतों में सांपों का रेस्क्यू कर सुरक्षित जंगल में छोड़ने का काम कर रही है. सिरोही जिले में वह करीब सभी प्रजातियों के सांपों का रेस्क्यू कर चुकी हैं. बताता हैं कि घर में सांप निकल आया करते थे तो मां कहती थीं कि इनको नहीं मारना चाहिए. जीव दया के प्रति मम्मी से प्ररेणा मिली. वर्ष 2016 में वन रक्षक के पद पर भर्ती हुई तो सबसे ज्यादा प्रभावित सांपों ने ही किया.
सांपों की तस्करी, मारना और परिवहन करने पर सजा का प्रावधान है-
- अजगर: शेड्यूल फर्स्ट में आते हैं, इनको मारना, छेड़छाड़ करना और परिवहन करना अपराध है. इसके लिए 6 साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.
- नाग कोबरा: शेड्यूल सेकंड में आते हैं और इनको मारना, छेड़छाड़ करना और परिवहन करना अपराध है. इसके लिए 6 साल की सजा और जुर्माना या फिर दोनों का प्रावधान है.
- इसके अतिरिक्त जितने सांप पाए जाते हैं शेड्यूल थर्ड में आते हैं. इसमें 3 साल की सजा, 25 हजार रुपए जुर्माना या दोनो का प्रावधान है.
वाइल्ड लाइफ एक्ट 1972 बना हुआ है जिसमें वन्यजीवों से छेडखानी, परिवहन करने पर और तस्करी, शिकार करने पर सजा का प्रावधान है.