जयपुर. स्टेट जीएसटी की टीम ने 61 करोड़ रुपए के फर्जीवाड़े को उजागर किया है. एसजीएसटी की टीम ने 61 करोड़ की फर्जी बिलिंग करके 11 करोड़ रुपए की फर्जी आईटीसी का लाभ लेने के मामले का पर्दाफाश किया है. एसजीएसटी के मुख्य आयुक्त अभिषेक भगोतिया के निर्देशन में कार्रवाई को अंजाम दिया गया.
स्टेट जीएसटी के संयुक्त आयुक्त कैलाश चंद मीणा को इस संबंध में जानकारी मिली थी, जिसके बाद कार्रवाई को अंजाम दिया गया है. सहायक आयुक्त नरेंद्र मोहन, राजेश बुनकर, धर्मवीर चौधरी और राज्य कर अधिकारी विष्णु कुमार की टीम गठित की गई. स्टेट जीएसटी की टीम फर्म के पंजीयन प्रमाण पत्र में घोषित व्यवसाय स्थल पर जांच करने पहुंची. फार्म की ओर से बिना किसी खरीद के बोगस बिलों का बेचान सर्वेक्षण दिनांक तक भी राज्य और राज्य से बाहर किया गया है, जिन फर्मो को बोगस बिलों का बेचान किया गया है, उनमें से अधिकतर फर्मों ने अपना पंजीयन निरस्त करवा दिया है.
फर्म के पंजीयन प्रमाण पत्र में घोषित व्यवसाय स्थल किशनगढ़ अजमेर की मित्र निवास कॉलोनी में अस्तित्व ही नहीं पाया गया. घोषित व्यवसाय स्थल एक खाली भूखंड पाया गया. टीम ने वहां पहुंचकर खाली भूखंड से संबंधित जानकारी प्राप्त की, जिसमें खाली भूखंड के मालिक से पूछताछ करने पर सामने आया कि ना तो वह किसी प्रदीप कुमार और अमित भाटी को जानता है और ना ही उसने किसी को यह भूखंड किराए या लीज पर दिया है. जांच में कॉलोनी के निवासियों और भूतपूर्व पार्षद से पूछताछ करने पर ना तो प्रोपराइटर का अस्तित्व पाया गया और ना ही घोषित व्यवसायिक गतिविधि का कॉलोनी में संपादित होना पाया गया. फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पंजीयन प्राप्त करना पाया गया है. विभाग की ओर से आईटीसी ब्लॉक करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. फिलहाल स्टेट जीएसटी की टीम मामले की जांच पड़ताल में जुटी हुई है.