जोधपुर.दुनिया कोरोना वायरस के कहर से कराह रही है. संक्रमितों के इलाज में कई हेल्थ वर्कर्स और डॉक्टरों की मौत हो चुकी है. देश में अबतक 17 हजार से ज्यादा लोगों में कोरोना के संक्रमण की पुष्टि हुई है और 543 लोगों की मौत हो चुकी है.
कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण देश में N-95 मास्क की मांग काफी बढ़ गई है. N-95 मास्क को कोरोना वायरस से सुरक्षित रहने में कारगर माना जाता है. 4 से 6 घंटे काम आने वाला यह मास्क सर्वाधिक चिकित्साकर्मियों के काम आ रहा है. देश के कई भागों में इसकी किल्लत भी है. ऐसे में IIT जोधपुर ने कोरोना उपचार में काम आने वाले N-95 मास्क, एप्रेन, पीपीई किट सहित अन्य उपकरणों को दोबारा उपयोग में लाने के लिए एक उपकरण विकसित किया है, जो महज 5 मिनट में मास्क को संक्रमण मुक्त कर देता है. इसके बाद यह दुबारा उपयोग में लाया जा सकता है.
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बता दें कि यह उपकरण पराबैंगनी किरणों, अल्ट्रावॉयलेट और ऑक्सीकारकों नैनो पार्टिकल की मदद से उपकरणों को सैनेटाइज करता है. जोधपुर जिला प्रशासन की पहल पर जोधपुर IIT ने इसे तैयार किया है. IIT के निदेशक प्रो. शांतनु चौधरी ने बताया, कि उपकरण बनाने के बाद इसे प्रायोगिक तौर पर जोधपुर एम्स में लगाया गया, जहां 15 दिन परीक्षण करने के बाद इसे प्रमाणित किया गया है.
ऐसे करता है यह काम
- यह एडवांस फोटोकैटाइटिक ऑक्सीडेशन स्टरलाइजेशन सिस्टम है.
- यह पराबैंगनी विकिरणों और धात्विक ऑक्साइड के नैनो कणों पर आधारित है.
- पराबैंगनी किरणों, अल्ट्रावॉयलेट और ऑक्सीकारकों नैनो पार्टिकल की मदद से उपकरणों को सैनेटाइज करता है.
आईआईटी जोधपुर इस तकनीक को उद्योगों को निशुल्क दे रही है, जिससे कि इसका व्यावसायिक उत्पादन किया जा सके. एम्स में इस तकनीक का उपयोग N-95 मास्क को संक्रमण मुक्त करने में किया जा रहा है. यह उपकरण एक दिन में 200 मास्क दुबारा उपयोग के लिए तैयार कर सकता है, जिससे मास्क के कमी की समस्या को दूर किया जा सकेगा.
ऐसे काम करते हैं अलग-अलग लेयर के मास्क
- सिंगल लेयर मास्क: यह मास्क सिर्फ धूल के बड़े कण ही रोक पाता है.
- ट्रिपल लेयर मास्क: इसमें 2 लेयर नान वूवन की होती हैं और एक फिल्टर की. यह प्रदूषण से बचने के लिए पहना जाता है, लेकिन 20 फीसदी ही बचाव करता है.