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श्रावणी अमावस्या 2021 : पितृदोष से बचना चाहते हैं तो करें ये उपाय, जानें वृत का महत्व

देवों के देव महादेव की उपासना के लिए सावन का महीना (Sawan Month 2021) सबसे अच्छा माना जाता है. सावन के महीने में श्रावण अमावस्या 2021 (Shravan Amavasya 2021) का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है. श्रावण मास की कृष्ण अमावस्या का प्रारम्भ आज शाम 07:11 बजे से होगा.

hariyali amavasya
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Published : Aug 7, 2021, 7:32 AM IST

जयपुर:देवों के देव महादेव की उपासना के लिए सावन का महीना (Sawan Month 2021) सबसे अच्छा माना जाता है. मान्यता है कि सावन में सच्ची श्रद्धा के साथ शिव पूजन से व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं. सावन के महीने में श्रावण अमावस्या 2021 (Shravan Amavasya 2021) का विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है. श्रावण मास को सावन का महीना भी कहते है. इस पूरे महीने ही भगवान शिव की पूजा की जाती है.

हरियाली अमावस्या 2021 (Hariyali Amavasya 2021) का पर्व पर्यावरण के महत्व को भी बताता है. इस दिन पौधा लगाना शुभ माना गया है. हरियाली अमावस्या के दिन कृषि उपकरणों की भी पूजा की जाती है. ये पर्व कृषि के महत्व को भी बताता है. श्रावण मास की अमावस्या की तिथि को हरियाली अमावस्या, सावन अमावस्या और श्रावणी अमावस्या के नाम से भी जानते हैं. अमावस्या की तिथि 07 अगस्त 2021 को शाम 7 बजकर 13 मिनट से शुरू होगी. इस तिथि का समापन 08 अगस्त को शाम 7 बजकर 21 पर होगा.

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पितृदोष होते हैं शांत :श्रावण अमावस्या के दिन स्नान और दान के अलावा भी महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान, पूजा पाठ, ब्रह्मणों को भोजन आदि कराना चाहिए. हरियाली अमावस्या के दिन पेड़ की पूजा की जाती है. इस दिन विशेष रुप से पीपल और तुलसी के पौधे की पूजा करते हैं. पीपल के पेड़ में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है. पूजा के बाद एक पेड़ लगाने का भी विधान है. प्रत्येक वर्ष हरियाली अमावस्या पर एक पेड़ लगाना चाहिए. मान्यता है कि अमावस्या के दिन वृक्ष रोपण करने से ग्रह नक्षत्र को शांति मिलती है तथा पितृदोष भी शांत होते हैं.

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इस दिन वृत करने का महत्व बढ़ जाता है. ऐसा माना जाता है कि श्रावणी अमावस्या को वृत करने से रोग और दुखों से निवारण के साथ ही पितृदोष भी शांत होते हैं. अमावस्या तिथि पर शिव जी के साथ ही देवी पार्वती का पूजन अवश्य करना चाहिए. पूजा में माता को सुहाग का सामान, शिवलिंग पर पंचामृत अर्पित करना होता है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और मां पार्वती की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है. इस दिन पीपल-तुलसी की पूजा विशेष फल देने वाली होने के साथ ही प्रत्येक मनुष्य को इस दिन पौधा लगाकर देखरेख करने का संकल्प लेना चाहिए.

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