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जयपुर नगर निगम में 10 महीने बाद एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक, महज 22 प्रस्ताव हो सके पारित - प्रस्ताव

जयपुर नगर निगम में करीब 10 महीने बाद हुई एग्जीक्यूटिव कमिटी की बैठक में 25 प्रस्तावों पर चर्चा हुई. इनमें से पारित हुए 22 प्रस्तावों में डोर टू डोर कचरा संग्रहण, मैरिज सर्टिफिकेट और कर्मचारियों से जुड़े प्रस्ताव शामिल हैं. उप महापौर मनोज भारद्वाज ने इस बैठक से एक बार फिर दूरी बनाई.

जयपुर नगर निगम में एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक

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Published : Jun 17, 2019, 11:33 PM IST

जयपुर. राजधानी में मेयर उपचुनाव के बाद से जयपुर नगर निगम और यहां कार्यरत कर्मचारियों को एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग का इंतजार था. सोमवार को इंतजार खत्म होने के साथ बैठक हुई. हालांकि कर्मचारी वर्ग इस बैठक से संतुष्ट नजर नहीं आए. कर्मचारी से जुड़े हुए करीब सवा सौ प्रस्ताव ईसी की बैठक में रखे जाने थे. इसको लेकर बैठक के दौरान कर्मचारी यूनियन ने हंगामा किया. जिस पर खुद मेयर विष्णु लाटा को समझाइश करने के लिए बैठक छोड़कर आना पड़ा.

जयपुर नगर निगम में 10 महीने बाद एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक

बैठक में महज 25 प्रस्तावों पर चर्चा हो सकी. खासकर कर्मचारियों से जुड़े लंबित प्रकरणों का निस्तारण किया गया. इसके अलावा शहर में डोर टू डोर कचरा संग्रहण को लेकर अनियमितताओं के चलते बीवीजी कंपनी से 1 फेज का काम लेकर 2017 की रेट पर जो फर्म काम करना चाहती है. उसे काम देने के संबंध में अनुमोदन किया गया. साथ ही सामुदायिक केंद्र में तीये की बैठक नि:शुल्क करने और विवाह पंजीयन की फीस 100 रुपए करते हुए कलर फोटो का सर्टिफिकेट दिए जाने के प्रस्ताव पारित किए गए.

उधर, उपमहापौर मनोज भारद्वाज ने एक बार फिर मेयर की अध्यक्षता में हुई बैठक से दूरी बनाई. उन्होंने कहा कि ईसी की बैठक के एजेंडे करीब 7 दिन पहले कार्यकारिणी सदस्यों तक पहुंचाए जाने का प्रावधान है. लेकिन महज एक दिन पहले एजेंडे की कॉपी उन तक आई है. उन्होंने कहा कि नियमों के विरुद्ध बैठक बुलाई गई है. जिसमें भी पिक एंड चूज के हिसाब से एजेंडे लिए गए हैं.

लंबे समय बाद हुई ईसी की बैठक में कुछ हद तक औपचारिकता नजर आई. हालांकि इस संबंध में मेयर ने इसी महीने की 26 तारीख को एक बार फिर एक्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक बुलाई है. जबकि 28 तारीख को बोर्ड बैठक बुलाई गई है. देखना होगा कि इस बैठक में किन प्रस्तावों पर सहमति बन पाती है और इससे शहर और निगम से जुड़े कर्मचारियों को कितनी राहत मिल पाती है.

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